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Annapurna Statue: 108 साल बाद लौटीं मां अन्‍नपूर्णा, मान्‍यता है ये, अब नहीं सोएगा कोई भूखा

सन 1913 में चोरी हुई थी मां अन्‍नपूर्णा की प्रतिमा। कनाडा से लौटी है अब वापस। दिल्‍ली से चलकर शुक्रवार सुबह पांच बजे दाखिल हुई कासगंज की सीमा में। पहला पड़ाव है सोरों यहां से भव्‍य शोभायात्रा के रूप में जाएगी काशी तक। वहीं होगी स्‍थापित।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Fri, 12 Nov 2021 08:00 AM (IST)Updated: Fri, 12 Nov 2021 09:15 AM (IST)
Annapurna Statue: 108 साल बाद लौटीं मां अन्‍नपूर्णा, मान्‍यता है ये, अब नहीं सोएगा कोई भूखा
शुक्रवार सुबह पांच बजे कासगंज पहुंची मां अन्‍नपूर्णा की प्रतिमा।

आगरा, जागरण संवाददाता। भोर की पहली किरण के साथ मां अन्‍नपूर्णा की प्रतिमा कासगंज की सीमा में दाखिल हुई है। वैसे भी हिंदू मान्‍यता में देव आराधना से संबंधित सभी कार्य सुबह सुबह संपन्‍न होते हैं। इसे संयोग की कहेंगे कि प्रतिमा को यहां आना गुरुवार शाम को था लेकिन मार्ग में समय लगने के कारण लगभग 12 घंटे विलंब के साथ ये शुक्रवार सुबह करीब पांच बजे कासगंज पहुंची है। कासगंज में प्रतिमा का जोरदार स्‍वागत हुआ। इसके लिए रातभर लोग जागते रहे, सुबह जब प्रतिमा पहुंची तो सर्द सुबह के सन्‍नाटे को उद्घोषों की गूंज ने दूर कर दिया। यूपी में पहले पड़ाव यानि तीर्थनगरी सोरों में यह प्रतिमा लगभग सुबह आठ बजे पहुंच पाएगी। कनाडा से 108 साल स्‍वदेश वापस लौटींं मां अन्‍नपूर्णा के साथ एक मान्‍यता ये भी है कि अब कोई भूखा नहीं सोयेगा, मां अन्‍नपूर्णा का दिया ये वरदान एक बार फिर फलीभूत होगा। कासगंज की सीमा पर गांव डुकरिया नगला पर शोभायात्रा का स्‍वागत सदर विधायक देवेंद्र राजपूत के साथ भाजपा कार्यकर्ताओं ने किया। सोरों में कार्यक्रम होने के बाद यहां से भव्‍य शोभायात्रा के रूप में प्रदेश सरकार प्रतिमा को काशी लेकर जाएगी, वहां प्रतिमा की स्‍थापना कराई जाएगी।

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कासगंज सीमा में प्रवेश करने पर प्रतिमा का स्‍वागत करते लोग। 

सोरों में होगा भव्‍य कार्यक्रम

माता अन्नपूर्णा यात्रा के लिये तीर्थ नगरी सोरों को दुल्हन की तरह सजाया गया है। हरिपदी गंगा के तट को दीपों से जगमगाया गया है। तीर्थ नगरी की शोभा देखते ही बन रही है। सोरों में इस यात्रा को गुरुवार शाम को ही पहुंचना था इसलिए 5100 दिये जलाये गए थे। रंगोली सजाई गई। जबकि शोभायात्रा शुक्रवार को लगभग 12 घंटे विलंब के साथ सुबह सात बजे पहुंची है। कासगंज से सोरों तक 21 स्थानों पर शोभायात्रा का स्वागत किया गया। रात भर जागकर लोगों ने शोभायात्रा का इंतजार किया। कासगंज जिले की सीमा के गांव डुकरिया नगला पर शुक्रवार सुबह साढ़े पांच बजे शोभायात्रा पहुंची। जहां शोभायात्रा के जिला संयोजक रामेश्वर महेरे, सदर विधायक देवेंद्र राजपूत, राजवीर भल्ला, गोविंद महेरे ने कार्यकर्ताओं के साथ शोभायात्रा का स्वागत किया। डुकरिया नगला से कासगंज होते हुए शोभायात्रा सोरों पहुंची। यहां सहावर गेट स्थित वराह मूर्ति पर लोगों ने शोभायात्रा का स्वागत किया और नगर भ्रमण कराया। इस दौरान पालिका अध्यक्ष मुन्नीदेवी, राधा कृष्ण, राजवीर सिंह, नहार सिंह, बबलू, अखण्ड प्रताप सिंह, आकाश दीप, यशवीर, खूब सिंह, आशीष तेजधारी, विनोद कुमार, राजेंद्र बौहरे, शशिलता चौहान, विनय राज पन्नू, अनुराग विंदल, नीरज शर्मा, कुलदीप प्रतिहार, होडल सिंह, रामकिशोर, संजय दुबे, नीरज शर्मा, महेंद्र बघेल, शरद गुप्ता, डॉ. बीडी राणा, राजीव माहेश्‍वरी आदि मौजूद रहे।

आर्ट गैलरी में रखी थी प्रतिमा

मां अन्नपूर्णा की मूर्ति कनाडा के मैकेंजी आर्ट गैलरी, यूनिवर्सिटी आफ रेजिना में रखी गई थी। इस आर्ट गैलरी को 1936 में वकीन नार्मन मैकेंजी की वसीयत के अनुसार बनाया गया था। यहां पर 2019 में विनिपेग में रहने वाली भारतीय मूल की कलाकार दिव्या मेहरा को यहां प्रदर्शनी के लिए बुलाया गया था। जहां उन्होने मूर्ति पर अध्ययन किया और दूतावास को सूचित किया तो पता चला कि वर्ष 1913 में वाराणसी में गंगा किनारे मूर्ति चोरी हुई थी। वर्ष 1913 में वाराणसी से यह प्रतिमा चोरी हुई थी और कनाडा के बिनिपेग म्यूजियम में भारतीय मूल की आर्टिस्ट दिव्या मेहरा की नजर प्रतिमा पर पड़ी और उनके प्रयासों के बाद यह प्रतिमा दूतावास की पहल के बाद भारत सरकार को इसे कनाडा सरकार की पहल पर सौंप दिया गया।

मां अन्नपूर्णा की आरती करतीं पूर्व पालिका अध्यक्ष डॉ शश‍िलता चौहान।

बलुआ पत्थर से निर्मित है मूर्ति

चुनार के बलुआ पत्थर से बनी यह मूर्ति 18 वीं सदी की बताई जाती है। जिनके एक हाथ में कटोरा और दूसरे हाथ में चम्मच है। महादेव की नगरी काशी के लोगों को कभी भूखा न सोने देने वाली धन धान्य की देवी मां अन्नपूर्णा की मूर्ति का इंतजार काशी को अब खत्म होने जा रहा है। पौराणिक मान्यता के अनुसार काशी में एक बार भीषण अकाल पड़ा था तो भगवान शिव ने मां अन्नपूर्णा का ध्यान करने के बाद उनसे भिक्षा मांगी थी। तब अन्नपूर्णा ने कहा था कि अब से काशी में कोई भूखा नहीं सोएगा।


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