Operation on Hold: कोरोना के डर से आगरा में होल्ड पर आए 20 हजार से ज्यादा आपरेशन
कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे से बचने को लोग नहीं पहुंचे आपरेशन कराने। अब तक के हालातों पर अगर नजर डालें मार्च में जहां जिलों के अस्पतालों में 600 से 800 आपरेशन हर रोज हो रहे थे उनकी संख्या एक या दो पर रूक गई।
आगरा, प्रभजोत कौर। कोरोना की दूसरी लहर ने लोगों इतना ज्यादा डर गए हैं कि वे अपने आपरेशन कराने के लिए अस्पतालों में जा ही नहीं रहे हैं। कोरोना काल में सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में सिर्फ कोविड मरीजों का ही इलाज हो रहा था, संक्रमण के डर से लोगों ने अपने इलाज के लिए चिकित्सकों से फोन पर ही परामर्श लेना उचित समझा। स्थिति यह है कि मार्च से लेकर अब तक जिले में किडनी, मोतियाबिंद, हर्निया, पथरी आदि के 20 हजार से ज्यादा आपरेशन होल्ड पर चल रहे हैं।
एसएन मेडिकल कालेज और कुछ प्राइवेट अस्पतालों को कोविड अस्पतालों में बदल दिया गया था। हालांकि चिकित्सक अन्य बीमारियों का इलाज भी लगातार कर रहे थे, पर कोविड के मरीजों की संख्या ज्यादा होने के कारण संसाधन और व्यवस्थाएं उन्हीं पर केंद्रित थीं। दूसरी लहर में कोरोना से हुई मृत्यु और संक्रमण के डर ने अन्य बीमारियों के मरीजों को डरा दिया। वे अपने घरों से बाहर नहीं निकले, जरूरत होने पर चिकित्सकों से फोन पर ही परामर्श लेकर दवाएं खा रहे थे। अन्य बीमारियों के मरीज तब तक अस्पतालों में आपरेशन के लिए नहीं पहुंच रहे थे, जब तक स्थिति गंभीर नहीं हो जाती थी। मार्च से लेकर अब तक के हालातों पर अगर नजर डालें मार्च में जहां जिलों के अस्पतालों में 600 से 800 आपरेशन हर रोज हो रहे थे, उनकी संख्या एक या दो पर रूक गई।
सरकारी अस्पताल में कम हुई डिलीवरी
कोरोना की दूसरी लहर में लेडी लायल अस्पताल में डिलीवरी की संख्या काफी कम रही। इसके पीछे प्राइवेट अस्पतालों में लगातार इलाज मिलना और डिलीवरी होना रहा। पिछले साल 21 मार्च से लेकर 20 जुलाई तक 3300 से ज्यादा बच्चे पैदा हो चुके थे, जबकि इस साल मार्च और अप्रैल में अब तक 1165 बच्चे पैदा हुए हैं।
इन बीमारियों के कम हुए आपरेशन
अस्पतालों में एेसे सभी आपरेशन नहीं हुए, जो गंभीर नहीं थे। इनमें ईएनटी, हड्डी, हर्निया,मोतियाबिंद, पथरी, गर्भाशय में रसौली, घुटना प्रत्यारोपण, दांतों के आपरेशन आदि शामिल हैं।
ओपीडी अभी बंद चल रही है। 15 जून तक ओपीडी खोलने की योजना नहीं है। कोरोना की दूसरी लहर में हमने आपरेशन टाले नहीं बल्कि लोग खुद ही आपरेशन कराने नहीं आए। इमरजेंसी में कई आपरेशन हुए।- डा. संजय काला, प्राचार्य, एसएन मेडिकल कालेज
हमारे अस्पताल में हर बीमारी का इलाज हो रहा था, पर लोग आपरेशन कराने से डर रहे थे। वे कोरोना संक्रमण कम होने का इंतजार कर रहे हैं। इस दौरान वे लगातार हमसे फोन पर परामर्श लेते रहे। - डा. नरेंद्र मल्होत्रा, रेनबो हास्पिटल