मोदी मेरे नाम पर बने पीएम, मेरा नाम विकास है
चुनावी माहौल में मनोचिकित्सकों पर मेनिया से पीड़ित मरीजों की बढ़ी संख्या खुद को विधायक और मुख्यमंत्री पद का बता रहे दावेदार
जागरण संवाददाता, आगरा : चुनावी माहौल में मेनिया उन्माद मनोरोग के मरीज किसी को भी प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री बनाने की बात करने लगे हैं। ये खुद को विधायक बता रहे हैं। टोपी पहनकर प्रचार करने निकल जाते हैं। भाषण देने लगते हैं, स्वजन इन्हें लेकर मनोचिकित्सक के पास पहुंच रहे हैं।
मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय के प्रमुख अधीक्षक डा. दिनेश राठौर ने बताया कि मनोरोगियों में 20 फीसद मेनिया के मरीज आ रहे हैं। इनमें से 10 फीसद चुनाव से जुड़ी बातें करते हैं, कई तो खुद को प्रधानमंत्री बता रहे हैं। विरोध करने पर चीखना-चिल्लाना शुरू कर देते हैं। इनमें 20 से 40 साल के मरीज अधिक हैं। काउंसलिग के बाद दवाएं दी जा रही हैं, इससे उनकी तबीयत में सुधार हो रहा है। मेनिया के मरीजों में लंबे समय के लिए दवा दी जाती है। इससे मरीज ठीक हो जाते हैं। क्या है मेनिया
मेनिया मनोरोग है, इस बीमारी में डोपामिन, नानएड्रनलिन का स्त्राव अधिक होने लगता है। यह बीमारी दवाओं से ठीक हो जाती है। ये हैं लक्षण
मेनिया के मरीज काल्पनिक बातों को सही मानने लगते हैं, खुद को सबसे ज्यादा योग्य मानते हैं।
-राह चलते अनजान लोगों से उत्साह के साथ मिलना, उनसे बातें करना।
-तारीफ कर देने पर अनजान को अपनी महंगी वस्तु दे देना।
-ज्यादा खर्चा करना।
-खाना ज्यादा खाना और काम ज्यादा करना।
-नींद न आना। मेनिया के मरीजों की गतिविधि तेज हो जाती है। जल्दी भावुक हो जाते हैं। जिस तरह का माहौल होता है उसी तरह की बातें करने लगते हैं, इस समय चुनावी माहौल है, इसलिए किसी को भी विधायक बनाने की बातें करने लगे हैं।
-डा. यूसी गर्ग, वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ मेनिया के मरीजों में उन्माद के बाद डिप्रेशन आता है। ऐसे मरीजों का इलाज कराना जरूरी है। इलाज से ये पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं, कोई यह नहीं बता सकता है कि इन्हें मनोरोग की समस्या रही है।
-डा. दिनेश राठौर, प्रमुख अधीक्षक मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय केस वन
30 साल के युवक को स्वजन मानसिक स्वास्थ्य संस्थान लेकर पहुंचे। यहां उसकी काउंसलिग की गई, युवक कहने लगा कि वह किसी को भी पीएम और सीएम बना सकता है। काउंसलर ने पूछा कैसे, तो जवाब दिया कि मोदी मेरे नाम पर पीएम बने हैं। मेरा नाम विकास है और वो विकास के नाम पर ही तो वोट मांगते हैं। केस टू
मनोचिकित्सक के पास पहुंची 18 साल की युवती नेताओं वाली टोपी लगाए हुए थी। उसने कहा कि मुझे एमएलए बनना है, मनोचिकित्सक ने पूछा कैसे बनोगी? युवती बोली कि भाजपा मुझे टिकट दे रही है, टिकट नहीं मिली तो, सवाल पर कहा कि निर्दलीय चुनाव लड़ लूंगी। पैसा कहां से आएगा, इस सवाल पर बोली कि आप सब लोग देंगे।