Move to Jagran APP

मोबाइल हटने से यदि आपका बच्चा भी हो जाता है बेचैन तो हो जाएं सावधान

लत एकाकीपन अवसाद स्ट्रेस एंग्जाइटी मेमोरीलॉस आदि बीमारियां बढ़ा रही। चिकित्‍सकीय परामर्श की है जरूरत।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sat, 27 Apr 2019 10:32 AM (IST)Updated: Sat, 27 Apr 2019 10:32 AM (IST)
मोबाइल हटने से यदि आपका बच्चा भी हो जाता है बेचैन तो हो जाएं सावधान
मोबाइल हटने से यदि आपका बच्चा भी हो जाता है बेचैन तो हो जाएं सावधान

आगरा, जेएनएन। बच्चों का मोबाइल से चिपके रहना एक सामान्य बात हो गई है। बच्चों का हर वक्त मोबाइल फोन से चिपके रहना उन्हें बीमार बना रहा है। मोबाइल छीनने पर अगर आपका बच्चा बेचैन हो जाता है, तो अभिभावकों को इसे नजरंदाज नहीं करना चाहिए बल्कि सावधान हो जाने की जरूरत है। इस मामले में मनोचिकित्सकों की मानें तो यह आदत मानसिक और शारीरिक विकारों के साथ पूरे व्यक्तित्व पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। मोबाइल हटते ही आपका बच्चा अगर बेचैन हो जाता है तो सावधान हो जाइए।

loksabha election banner

केस नंबर एक-

यमुनापार क्षेत्र में पहली कक्षा में पढऩे वाला हार्दिक स्कूल से आते ही अपनी मम्मी के मोबाइल से चिपक जाता है और काफी देर तक कार्टून वीडियो देखता है। लंच करना भी भूल जाता है। हार्दिक की आदत से उसकी मम्मी परेशान रहती है। मोबाइल लेकर घर में अंदर ही घुसा रहता है।

केस नंबर दो-

अंतापाडा़ निवासी 12 वर्षीय अस्मित चौहान भी अपने पिता द्वारा मोबाइल छीनने पर नाराज होकर बिस्तर में पड़ जाता है। मोबाइल की ऐसी लत है कि खाना तक खाना भूल जाता है, मां के कहने पर कहता है कि बाद में खा लूंगा। उसे भी कार्टून फिल्म देखने का शौक है।

डिसऑर्डर की बीमारी

मोबाइल से जुड़ी बच्चों की इस बीमारी को मनोविज्ञान में प्रोब्लोमेटिक टेक्नीकल डिसऑर्डर या आब्सेसिव कंपलसिस डिसऑर्डर का नाम दिया गया है। मोबाइल की लत के कारण एकाकीपन, अवसाद, स्ट्रेस, एंग्जाइटी, असामान्य व्यवहार, मोटापा, डायबिटीज, मेमोरीलॉस आदि बीमारियां घर कर जाती हैं। मनोवैज्ञानिक और शिक्षा मनोविद् का कहना है कि मोबाइल से ध्यान हटाने के लिए बच्चों के अंदर नई रुचियों को विकसित करना होगा।

खेलने का टाइम करें तय

अभिवावकों का चाहिए कि बच्चों का मोबाइल से खेलने का एक टाइम फिक्स करें और उसके एवज में पढ़ाई करने की शर्त जोड़ दें। बच्चों में नई अभिरुचियां विकसित करें और उसके आइडिया सुझाएं। बच्चों को अन्य खेलों के प्रति प्रोत्साहित करें। ज्यादा परेशानी होने पर मनो रोग विशेषज्ञ की मदद लें।

- डॉ. सागर लवानिया, विभागाध्यक्ष मनोविज्ञान विभाग, नयति मेडिसिटी।

रचनात्मक प्रवृत्ति को प्रोत्साहन दें

बच्चे नई सूचनाओं के प्रति जिज्ञासु होते हैं और मोबाइल उसका सुलभ साधन बन गया है। बच्चों की इस प्रवृत्ति के लिए सामाजिक बदलाव भी बड़ी वजह हैं। एकल परिवार होने के कारण सामाजीकरण का अभाव है। अभिभावकों का चाहिए कि बच्चों को क्वालिटी टाइम दें, नए विषयों की जानकारी दें। घुमाने ले जाएं। उनकी रचनात्मक प्रवृत्ति को प्रोत्साहन दें।

- डॉ. संजीव कुमार सिंह, शिक्षा मनोविद्। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.