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पति पत्‍नी और 'वो' बना मोबाइल, आधुनिक तकनीक कर रही सात वचनों को कमजोर

मोबाइल से टूट रहे रिश्ते मुश्किल हो रहा सात वचन निभाना। दंपतियों में 15 से 20 फीसद विवादों का कारण मोबाइल।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Wed, 22 May 2019 02:17 PM (IST)Updated: Wed, 22 May 2019 02:17 PM (IST)
पति पत्‍नी और 'वो' बना मोबाइल, आधुनिक तकनीक कर रही सात वचनों को कमजोर
पति पत्‍नी और 'वो' बना मोबाइल, आधुनिक तकनीक कर रही सात वचनों को कमजोर

आगरा, अली अब्बास। कभी ऐसे घरेलू झगड़ों का कारण पति, पत्नी और 'वो' होता था, अब मोबाइल बन रहा। सात फेरों के सात वचन निभाना मुश्किल हो रहा। कहीं रिश्तों में दरार पड़ रही है तो कहीं टूट भी जा रहा हैं। आशा ज्योति केंद्र की प्रबंधक दीपशिखा कुशवाहा बताती हैं कि वर्ष 2016 से अब तक 1310 मामलों की आशा ज्योति केंद्र काउंसिलिंग की गई। इनमें 15 से 20 फीसद मामले मोबाइल के चलते पत्नी-पत्नी के बीच दरार पडऩे के थे। कई दंपतियों के संबंध टूटने की वजह मोबाइल बना। काउंसलर ऐसे मामलों में दंपतियों से धैर्य रखने की सलाह देते हैं। उनकी समीक्षा करने के साथ ही छह महीने तक फॉलो करते हैं। 

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केंद्र की केस वर्कर प्रियांजलि मिश्रा कहती हैं, मोबाइल हर किसी की जरूरत है, उसे छीना नहीं जा सकता। पति-पत्नी दोनों को सही और गलत समझना होगा। दांपत्य जीवन में सब कुछ सीमा में हो तो सही है। किसी भी रिश्ते में सामजंस्य और आपसी समझदारी दिखाने पर ही वह मजबूत होता है।

केस एक :

न्यू आगरा निवासी जूता फैक्ट्री के मैनेजर का पत्नी से इस बात पर विवाद हो गया क्योंकि पत्नी को किसी पराई स्त्री से संबंध का शक हो गया। कारण, पति आफिस आने के बाद भी मोबाइल में उलझा रहता था। मामला आशा ज्योति केंद्र गया। छह महीने तक काउंसिलिंग हुई, पति ने मोबाइल एडिक्शन स्वीकार किया। मामला फिर भी न बना, पत्नी अब नई दिल्ली स्थित अपने मायके चली गई। वहां से तलाक को नोटिस भेज दिया है।

केस दो : एमएम गेट थाना क्षेत्र निवासी दंपती के चार साल का बेटा है। पति व्यापारी और पत्नी घरेलू महिला है। दोनों बच्चे का होमवर्क, रुचि, खानपान चेक करने के बजाय वाट्सएप चेक करने में ज्यादा व्यस्त रहते हैं। एक दिन इसी बात पर झगड़ा हुआ, झगड़ा बढ़ता गया। मामला आशा ज्योति केंद्र पहुंचा। कांउसिलिंग शुरू हुई। शुक्र है कि अब दोनों को अपनी गलती का अहसास है।

बुजुर्गों की व्यथा, मोबाइल ने अकेला कर दिया

दयालबाग के एक बुजुर्ग दंपती आशा ज्योति केंद्र अजीबोगरीब समस्या लेकर पहुंचे। बहू-बेटे इनका पूरा सम्मान करते हैं, समय पर खाना, दवाइयां देते लेकिन उनके पास बात करने का समय न होता था। कारण, मोबाइल पर व्यस्तता। दंपती ने बताया कि मोबाइल उनके अकेलेपन और उपेक्षा का सबब बन गया है। बेटे-बहू पर उनसे बातचीत का वक्त नहीं है। काउंसलर ने बेटे-बहू को बुलाकर बातचीत की। पति एक निजी कंपनी में इंजीनियर और पत्नी गृहिणी है। वह घर के काम निपटाने के बाद मोबाइल में व्यस्त हो जाती थी। काउंसिलिंग के दौरान बेटे-बहू को अपनी गलती का अहसास हुआ।

पति को 70 कॉल और मायके 186

एमएम गेट क्षेत्र निवासी पति और ससुराल वालों ने काउंसलर से शिकायत की। पत्नी दिन भर मोबाइल पर लगी रहती है। जबकि वह गर्भवती है, उसे होने वाले बच्चे की सेहत के लिए मोबाइल से दूर रहना चाहिए। काउंसलर ने पत्नी और उसके परिजनों को बुलाया। पहले तो पत्नी इन आरोपों को मानने के लिए तैयार नहीं थी। काउंसलर ने पत्नी के मोबाइल की कॉल डिटेल चेक की तो पता चला उसने एक सप्ताह में 70 कॉल पति को और 186 कॉल मायके वालों को की थीं। काउंसिलिंग के बाद अब उन्हें अपनी गलती का अहसास है।

बच्चे से भी ज्यादा मोबाइल दुलारा

काउंसलर ने मोबाइल एडिक्शन का पता लगाने के लिए शिकायत करने वाले दंपतियों के मोबाइल कुछ घंटे के लिए जमा करा लिए। कुछ देर बाद ही ये दंपती छटपटाने लगे। अपने बच्चों से भी ज्यादा उन्हें मोबाइल की फिक्र सताने लगी। घंटेभर बाद ही पति यह कहकर मोबाइल वापस पाने को बेचैन दिखा कि उसकी जरूरी कॉल आ रही होंगी। पत्नी इसलिए मोबाइल पाने को बेचैन दिखी कि उसके घर से कोई फोन आ रहा होगा। दंपतियों ने अपने पास मौजूद बच्चे की फिक्र इस दौरान एक बार भी न की।

मोबाइल लॉक भी पैदा कर रहा शक

दंपतियों के बीच विवाद और शक का कारण मोबाइल लॉक भी बन रहा। दंपती नहीं चाहते कि पति या पत्नी एक दूसरे के मोबाइल को चेक करें। पत्नी या पति एक दूसरे का लॉक कोड जान भी गए तो अगले दिन वह बदला हुआ था।

काउंसलर की राय

महिलाओं का पारिवारिक और सामाजिक जीवन में अलग-अलग महत्व है। समय आ गया है कि पति-पत्नी दोनों को मोबाइल कब और कितना प्रयोग करना है, इसे सुनिश्चित करना होगा। मोबाइल को अपने निजी जीवन में हावी नहीं हो दें।

अर्शी नाज, काउंसलर आशा ज्योति केंद्र  

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