Loss in Industry: बिजली विभाग की लापरवाही से फैक्ट्रियों में लाखों का नुकसान
सिकंदरा औद्योगिक क्षेत्र में डीवीवीएनएल की आपूर्ति लचर। फैक्ट्री स्वामियों में रोष ऊर्जा मंत्री से शिकायत करने पर हुए अमादा।
आगरा, जागरण संवाददाता। भरत शर्मा ने अरतौनी में मोनोफ्लामेंट्स नाम से फैक्ट्री संचालित की है। उसमें ब्रुश बनने के लिए प्लास्टिक का तार तैयार किया जाता है। फैक्ट्री में लगी एक्सटूशन लाइन को एक बार चालू करने के लिए तीन घंटा पहले बिजली से हीट देनी पड़ती है। 275 डिग्री ताप पहुंचने पर प्लास्टिक का तार तैयार होता है। अगर, इस बीच बिजली चली गई , तो तीन घंटा की हीट और लाइन में डाला गया माल खराब हो जाता है। फिर 130 रुपये प्रति किलो के माल दो रुपये प्रति किलो के रेट में बेचना पड़ता है। इस हिसाब से महीने में करीब पौने दो लाख रुपये नुकसान होता है। यह पीडा अकेले भरत शर्मा की नहीं, बल्कि सिकंदरा क्षेत्र में ही शक्ति रबर कार्पोरेशन के स्वामी अजय गुप्ता, कैप्टन रबर फैक्ट्री के स्वामी अमन गुप्ता सहित सैकड़ों उपभोक्ताओं की है।
सिकंदरा औद्योगिक क्षेत्र में लगभग सौ से ज्यादा फैक्ट्री हैं। इनमें सिकंदरा प्रथम और साइट सी सहित रुनकता के फीडर से बिजली आपूर्ति होती है। सभी बिजली विभाग की उदासीनता से परेशान हैं। औद्योगिक क्षेत्र में 24 घंटा बिजली आपूर्ति के आदेश हैं, लेकिन इन फीडरों से केवल 16 घंटा बिजली मिलती है। अमन गुप्ता ने बताया कि हर माह 3.50 लाख रुपये का नुकसान झेलना पड़ता है।
तीन घंटा में होती है मशीन चालू
कैप्टन रबर के स्वामी अमन गुप्ता ने बताया कि इवा की मशीन चालू करने के लिए तीन घंटा पहले हीट देनी होती है। उसके बाद कच्चा माल डाला जाता है। रबर सीट्स की मशीन में 30 मिनट पहले हीट देनी होती है। बार-बार बिजली जाने पर हीट और माल दोनों बेकार जाते हैं। छापा नहीं बनने पर 150 रुपये प्रति का माल दस रुपया प्रति किलो के रेट में बेचना पड़ता है।
- दिन में नौ बार बिजली जाती हैै।
- फैक्ट्री स्वामियों को हर माह तीन से चार लाख रुपये का नुकसान झेलना पड़ता है।
- 312 फैक्ट्रियों के सौ वाट भार से ऊपर के कनेक्शन हैं।