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World Wetlands Day: प्रवासी पक्षियों को यूं ही नहीं भाते आगरा के वेटलैंड्स, खासियत ही ऐसी हैै कुछ यहां

दो फरवरी को है वर्ल्ड वेटलैंड्स डे। हजारों किमी का फासला तय कर प्रतिवर्ष आते हैं परिंदे। संकट में है वेटलैंड्स का अस्तित्व तालाबों पर हैं कब्जे।आगरा के प्रमुख वेटलैंड्स में सूर सरोवर पक्षी विहार (कीठम) और चंबल सेंक्चुरी का नाम शुमार है।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Tue, 02 Feb 2021 01:37 PM (IST)Updated: Tue, 02 Feb 2021 01:37 PM (IST)
World Wetlands Day: प्रवासी पक्षियों को यूं ही नहीं भाते आगरा के वेटलैंड्स, खासियत ही ऐसी हैै कुछ यहां
प्रवासी पक्षी अब बड़ी संख्‍या में आगरा में डेरा डालने लगे हैं। जोधपुर झाल का एक दृश्‍य।

आगरा, निर्लोष कुमार। ताजनगरी के वेटलैंड्स प्रवासी पक्षियों को भाते हैं। हर वर्ष बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी यहां आकर डेरा डालते हैं। इस वर्ष भी हजारों किमी का फासला तय कर आए प्रवासी पक्षियों ने यहां डेरा ढाला हुआ है। इनमें पेलिकन, ग्रेटर फ्लेमिंगो, इंडियन स्कीमर, यूरेशियन कूट जैसे पक्षी शामिल हैं। हालांकि ताजनगरी में वेटलैंड्स का अस्तित्व संकट में है। कब्जों के चलते कई तालाबों का अस्तित्व मिट चुका है।

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आगरा के प्रमुख वेटलैंड्स में सूर सरोवर पक्षी विहार (कीठम) और चंबल सेंक्चुरी का नाम शुमार है। इसके अलावा दशहरा घाट, सेवला ग्वालियर रोड, खारी नदी, उटंगन नदी, करबन नदी, झरना नाला, किवाड़ नदी के क्षेत्र में प्रवासी पक्षी प्रतिवर्ष आते हैं। इस वर्ष भी उन्होंने यहां डेरा डाला हुआ है। चंबल नदी और कीठम में हमेशा पानी रहता है, लेकिन अन्य नदियों व वेटलैंड्स की दशा बहुत खराब है। तालाबों पर कब्जे होते जा रहे हैं। जैव विविधता के संरक्षण को वेटलैंड्स को बचाना आवश्यक है। बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसायटी के अध्यक्ष डा. केपी सिंह ने बताया कि पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप से कई प्रकार के पारिस्थितिकीय तंत्र विकसित हैं। इनके माध्यम से पृथ्वी स्वयं अपना उपचार करती रहती है। वेटलैंड भी एक ईको सिस्टम है। वेटलैंड जलीय जीवों, उभयचरों व पक्षियों के प्राकृतिक आवास हैं। वेटलैंड जल को प्रदूषण से मुक्त बनाकर, कार्बन अवशोषित कर और भूजल स्तर को सुधारने का महत्वपूर्ण कार्य करते हैं।

यह पक्षी आए इस बार

सूर सरोवर पक्षी विहार: डालमिशन पेलिकन, रोजी पेलिकन, ग्रेटर फ्लेमिंगाे, रूडी शेल्डक, कामन शेल्डक, ग्रेटर कारमोरेंट, बार हेडेड गूज, लिटिल स्टिंट, नोर्दर्न शावलर, नोर्दन पिनटेल, टेंटेड स्टार्क, पायड एबोसेट, काम्ब डक, स्पाट बिल डक, ग्रेटर स्पाटेड ईगल।

चंबल सेंक्चुरी: इंडियन स्कीमर, टर्न, डोमिसाइल क्रेन।

दशहरा घाट: सिट्रिन बैकटेल, पेलिकन, रूडी शेल्डक, डेमिकन स्टिंट, मार्स सैंड पाइपर, कामन सैंड पाइपर।

सेवला ग्वालियर रोड: लेसर रिसलिंग डक, नोर्दर्न शावलर, यूरेशियन कूट।

संकट में तालाबों का अस्तित्व

जिले की सात नदियों में से केवल चंबल नदी में हमेशा पानी रहता है। यमुना व करबन प्रदूषण व सूखे की भेंट चढ़ती जा रही हैं। अन्य नदियों का अस्तित्व लगभग समाप्त है। आगरा में 990.70 वर्ग हेक्टेअर क्षेत्रफल में 3687 तालाब हैं, जिलनमें से 2825 तालाबों के अस्तित्व पर गंभीर संकट है। 59 तालाबों का अस्तित्व मिट चुका है, जिनमें शहर के महत्वपूर्ण स्थानों के तालाब शामिल हैं। इसके चलते भूगर्भीय जल स्तर में प्रतिवर्ष 30 सेंटीमीटर से एकमीटर तक की गिरावट आ रही है। आगरा में भूजल तीसरे स्ट्रेटा (90-150 मीटर तक) में पहुंच गया है।

रामसर साइट है कीठम

दुनिया के वेटलैंड को संरक्षित करने के लिए दो फरवरी, 1971 को ईरान में रामसर कन्वेंशन संधि हुई थी, जो 21 दिसंबर, 1975 में लागू हुई। देश में 42 वेटलैंड रामसर साइट में चयनित हैं। उप्र में आठ रामसर साइट हैं, जिनमें सूर सरोवर पक्षी विहार (कीठम) भी शामिल है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने आर्द्रभूमि संरक्षण एवं प्रबंधन नियमावली, 2017 में वेटलैंड के संरक्षण से संबंधित नियमों को अधिसूचित किया है।


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