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आबोहवा माकूल न होने पर विदेशी परिंदोंं ने रद किया पिकनिक वीजा Agra News

सूर सरोवर पक्षी विहार स्थित कीठम झील में कम आए प्रवासी पक्षी। वेटलैंड इंटरनेशनल की रिपोर्ट में सामने आई हकीकत। झील में पहुंची 47 प्रजाति।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Mon, 20 Jan 2020 07:53 AM (IST)Updated: Mon, 20 Jan 2020 09:24 AM (IST)
आबोहवा माकूल न होने पर विदेशी परिंदोंं ने रद किया पिकनिक वीजा Agra News
आबोहवा माकूल न होने पर विदेशी परिंदोंं ने रद किया पिकनिक वीजा Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। प्रकृति का चक्र बदल रहा है। आबोहवा में परिवर्तन आ रहा है। आगरा की हवा भी इससे अछूती नहीं रही। प्रदूषण और प्रकृति के इस बदले रवैए से इंसान ही नहीं परिंदे भी प्रभावित हुए हैं। हर साल यहां आने वाले प्रवासी पक्षी इस बार कम आए हैं।

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वेटलैंड इंटरनेशनल की वार्षिक रिपोर्ट एशियन वॉटरबर्ड सेंसस से यह हकीकत साफ हुई है। आगरा में 14 जनवरी को हवा सबसे अधिक खराब रही। एक्यूआइ 326 पहुंच गया। पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार वर्ष 2019 में बारिश भी ज्यादा हुई और सर्दी की शुरुआत भी देरी से हुई।

नतीजा हर साल अक्टूबर से फरवरी तक पक्षियों से गुलजार रहने वाली कीठम झील के किनारे कम पक्षी पहुंचे हैं। जलेसर के पटना पक्षी विहार और मैनपुरी स्थित समान पक्षी विहार का भी यही हाल है। भरतपुर के घना पक्षी विहार भी पक्षियों के लिए तरस रही है।

रिपोर्ट के अनुसार कीठम झील में महज 47 प्रजातियां पहुंची हैैं। वर्ष 2018 में यहां 55 और वर्ष 2019 मेंं 65 प्रजातियां आईं थीं।

इन जगहों से आते हैैं पक्षी

कीठम झील में साइबेरिया, मंगोलिया, नाइजीरिया, अफ्रीका, यूरोप, अफगानिस्तान, वर्मा, चीन, श्रीलंका और हिमालय क्षेत्रों से पक्षी आते हैैं। ये फरवरी के अंत तक ठहरते हैं।

येे आए पक्षी

नाम पक्षी की संख्या देश

ग्र्रेट कार्मोरेंंट, 485, ईस्ट साउथ एशिया

कॉमन टील, 253, नॉर्थ एशिया,

नॉर्दन शॉवलर, 1264, नॉर्थ एशिया

पेनटेल, 206, नॉर्थ एशिया

बार हैडेड गूज, 590, सेंट्रल एशिया

ग्र्रेट व्हाइट पेलिकन, 52, सेंट्रल और साउथ एशिया

(रिपोर्ट के अनुसार पक्षियों का आंकड़ा)

हर साल होती है गणना

वेटलैंड इंटरनेशनल हर वर्ष वाटरबर्ड की गणना (एशियन वॉटरबर्ड सेंसस) करता है। जनवरी में एशिया और ऑस्ट्रेलिया के 27 देशों में यह गणना की जाती है। आगरा और मैनपुरी में चार जनवरी से नौ जनवरी तक की गई। यह रिपोर्ट इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर में सम्मलित होती है। 

भोजन का अभाव भी है कारण 

इस बार पक्षियों की तादाद बहुत कम है। जलवायु में बदलाव से उन्हें खाने की पूर्ण सामग्र्री नहीं मिल रही है। कीठम में जलीय शाकाहारी खाद्य पदार्थों का अभाव है।

- टीके रॉय, पर्यावरणविद, वेटलैंड इंटरनेशनल

पूर्व की अपेक्षा घटी संख्‍या

'कीठम झील में दो दिन से कुछ तादात बढ़ी है। पेलिकन काफी संख्या में आए हैं। हालांकि पूर्व की अपेक्षा इस बार संख्या कम है।

- आनंद कुमार, उपवन संरक्षक, राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी प्रोजेक्ट


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