Migrant in Agra: ताजनगरी में कोरोना का असर कम होते ही काम पर लौटने लगे मजदूर
Migrant in Agra मजदूरों के काम पर लौटने के कारण विकास कार्यों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। मानसून आने से पहले तालाबों की खोदाई का काम प्रमुखता से कराया जा रहा है। जिससे कि मानसून के दौरान जल का संचय किया जा सके।
आगरा, जागरण संवाददाता। जैसे-जैसे कोरोना संक्रमण सिमटा जा रहा है, वैसे-वैसे जिंदगी पटरी पर आती जा रही है। मजदूर भी काम पर लौटने लगे हैं। महात्मा गांधी नरेगा योजना के अंतर्गत 8 मई को जहां जिले में सिर्फ 2197 मजदूर काम कर रहे थे वहीं, 29 मई को इनकी संख्या बढ़कर 14,372 हो गई है।यानि 21 दिन बाद मजदूरों की संख्या छह गुने से अधिक बढ़ गई है।
कोरोना की दूसरी लहर ने लोगों के दिलों में खौफ पैदा कर दिया था। कोरोना कर्फ्यू के चलते अधिकांश लोग घरों में बैठ गए थे। मगर, इस बीच महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्य जारी थे। जिससे कि मजदूरों को काम मिल सके और उनकी आजीविका चल सके लेकिन कोरोनो के बढ़ते संक्रमण से मजदूर वर्ग भी इतना डर गया था कि वह काम करने के लिए घर से बाहर निकलने को तैयार नहीं था। इसके चलते ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्य भी सिमटने लगे थे। मजदूरों के अभाव में नाली, खरंजा, चक रोड निर्माण के काम बंद करने पड़े थे।तालाबों की खोदाई के काम भी कम हो गए थे। आठ मई को जिले में सिर्फ 536 विकास कार्य ही चल रहे थे। जबकि 29 मई को इनकी संख्या बढ़कर 2771 हो गई है। मजदूरों के काम पर लौटने के कारण विकास कार्यों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। मानसून आने से पहले तालाबों की खोदाई का काम प्रमुखता से कराया जा रहा है। जिससे कि मानसून के दौरान जल का संचय किया जा सके।