पर्यावरणविद् मेहता ने दी एएसआइ को विरासतों संग पर्यावरण संजोने की भी सलाह Agra News
पर्यावरणविद अधिवक्ता एमसी मेहता ने शुक्रवार को ताजमहल के आसपास का जायजा लिया था।
आगरा, जागरण संवाददाता। मुगल काल में ताज के दोनों तरफ बाग और हवेलियां हुआ करती थीं, इनके अवशेष आज भी नजर आते हैं। पर्यावरणविद् अधिवक्ता एमसी मेहता ने इन मुगलकालीन अवशेषों को संरक्षित करने के साथ ही पर्यावरण को भी संजोने की बात कही। हालांकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) इस दिशा में काम कर रहा है, लेकिन पर्यावरण सुधार चुनौती साबित होगा।
पर्यावरणविद अधिवक्ता एमसी मेहता ने शुक्रवार को ताजमहल के आसपास का जायजा लिया था। वो ताज पूर्वी गेट से होते हुए हाथीखाना और हवेली आगा खां तक गए थे। हवेली आगा खां के बुर्ज से उन्होंने वहां के हालात देखे। मुगलकालीन हवेलियों व बागों के पुरावशेष देखकर उन्होंने संरक्षण पर जोर दिया था। ताज के पास प्रदूषणकारी गतिविधियों को गलत बताते हुए उन्होंने पर्यावरण सुधार पर जोर दिया था।
हालांकि, आगरा के लिए राहत की बात यह है कि मुगलकालीन पुरावशेषों को सहेजने का काम एएसआइ द्वारा किया जा रहा है। ताज की पूर्वी दिशा में हवेली आगा खां और हाथीखाना को संरक्षित स्मारक घोषित किया जा चुका है। एएसआइ द्वारा यहां संरक्षण की शीघ्र शुरुआत की जाएगी।
वहीं, ताज की पश्चिमी दिशा में ताज और आगरा किला के बीच यमुना किनारा पर हेरिटेज कॉरीडोर विकसित किया जा रहा है। यहां मुगल काल में हवेली इस्लाम खान, हवेली मुगल खान, हवेली आजम खान और हवेली होशदार खान थीं। इनकी जगह पर उद्यान बनाया जा रहा है। फिलहाल, मेहता के रुख को देखते हुए एएसआइ कांप्रिहेंसिव साइट प्लान तैयार करा रहा है, जिससे जरूरत पड़ने पर उसे सुप्रीम कोर्ट को उपलब्ध कराया जा सके।
हवेली आगा खां
आगा खां मुमताज महल की सेवा में तैनात किन्नर थे। वर्ष 1652 तक वो आगरा में फौजदार और ताजमहल के मुतवल्ली रहे। सामूगढ़ में उन्होंने शाहजहां के लिए शिकारगाह भी बनवाई थी। आगा खां की मौत 1657 में हुई थी। जयपुर म्यूजियम में रखे आगरा के पुराने नक्शे के अनुसार हवेली आगा खां ताजमहल और हवेली खान-ए-दुर्रा के बीच थी।
अवैध निर्माण की जुटाई जानकारी
एएसआइ के अधिकारियों से अधिवक्ता एमसी मेहता ने ताज के 500 मीटर की परिधि में हुए अवैध निर्माणों के बारे में जानकारी जुटाई है।
2018 में हुआ नोटिफिकेशन
एएसआइ ने वर्ष 2014 में हवेली आगा खां, हाथीखाना और हवेली खान-ए-दुर्रा को संरक्षित क्षेत्र घोषित करने को प्रीलिमिनरी नोटिफिकेशन किया था। वर्ष 2018 में हवेली आगा खां और हाथीखाना के लिए फाइनल नोटिफिकेशन किया गया। हवेली खान-ए-दुर्रा का अभी फाइनल नोटिफिकेशन नहीं हुआ है।
हाथीखाना
हवेली आगा खां के नजदीक ही यह विशाल दरवाजा स्थित है। स्थापत्य कला से यह मुगल शासक जहांगीर के समय का प्रतीत होता है। यहां हाथियों को रखा जाता था। ताजमहल के निर्माण के समय हाथी पत्थर ढोते थे। अब्दुल हमीद लाहौरी द्वारा 17वीं सदी में लिखित ‘बादशाहनामा’ में हाथीखाना का उल्लेख है।
जल्द होगा हाथीखाना का संरक्षण
हवेली आगा खां और हाथीखाना का संरक्षण शीघ्र शुरू किया जाएगा। दोनों के एस्टीमेट व ड्राइंग बनकर तैयार हो चुके हैं। हवेली खान-ए-दुर्रा (ताज टेनरी) का अभी फाइनल नोटिफिकेशन किया जाना है।
वसंत कुमार स्वर्णकार, अधीक्षण पुरातत्वविद एएसआइ आगरा सर्किल