सर्वे में खुली पोल: डूब क्षेत्र में सबसे अधिक हुआ गणपति वंडर व मंगलम एस्टेट में निर्माण Agra News
एडीए और सिंचाई विभाग की संयुक्त टीम ने किया था सर्वे। सर्वे के दायरे में छत्ता क्षेत्र के भी प्रोजेक्ट।
आगरा, अमित दीक्षित। यमुना नदी के डूब क्षेत्र को कब्जाने में बिल्डरों ने कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। जिसे जैसे भी मौका मिला। डूब क्षेत्र पर अवैध निर्माण कर लिया। किसी ने बाउंड्रीवाल लगाकर हरियाली विकसित कर ली तो किसी ने फ्लैट बना लिए। डूब क्षेत्र में सबसे अधिक निर्माण गणपति वंडर सिटी और मंगलम एस्टेट एक्सटेंशन का मिला है। यह पर्दाफाश एडीए और सिंचाई विभाग के संयुक्त सर्वे में हुआ है।
एक वार्ड में सर्वे का कार्य पूरा हो गया है, जबकि दो वार्ड में अभी चल रहा है। समाजसेवी डीके जोशी ने मई 2015 में नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) में यमुना नदी के डूब क्षेत्र में निर्माण को लेकर याचिका दायर की थी। 19 प्रोजेक्ट के डूब क्षेत्र में होने का दावा किया गया था। डूब क्षेत्र का छह बार सर्वे हुआ, जिसमें 13 प्रोजेक्ट बाहर निकल गए। डीके जोशी के निधन के बाद आरटीआइ कार्यकर्ता शबी हैदर जाफरी पैरोकार बन गए। सितंबर के पहले सप्ताह में जस्टिस आरएस राठौर की डबल बेंच में केस की सुनवाई हुई। कोर्ट ने एडीए को 31 मार्च तक डूब क्षेत्र में कार्रवाई कर रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिए। सितंबर के दूसरे सप्ताह में तत्कालीन एडीए उपाध्यक्ष शुभ्रा सक्सेना ने एडीए और सिंचाई विभाग के अफसरों की संयुक्त टीम गठित की। फिर टीम ने सर्वे शुरु किया। डूब क्षेत्र के दायरे में हरीपर्वत प्रथम, द्वितीय और छत्ता वार्ड आते हैं। हरीपर्वत द्वितीय की टीम ने सर्वे पूरा कर लिया है। कुल सात प्रोजेक्ट डूब क्षेत्र में मिले हैं, जिसमें छह की जमीन को चिन्हित कर लिया गया है, जबकि राधा वल्लभ स्कूल की स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है। इसे लेकर मार्ग दर्शन मांगा गया है।
छत्ता वार्ड में हुआ सर्वे
एडीए और नगर निगम की संयुक्त टीम ने छत्ता वार्ड में डूब क्षेत्र में आ रहे प्रोजेक्ट को चिन्हित किया। यह सर्वे अगले सप्ताह तक पूरा होगा।
पहले टूटेंगे फिर दाखिल होगी रिपोर्ट
एनजीटी ने डूब क्षेत्र को लेकर दिए गए फैसले में पहली बार सीएम और मुख्य सचिव को भी शामिल किया है। यानी डूब क्षेत्र में जो भी हिस्सा आएगा। पहले उसे तोड़ा जाएगा फिर कोर्ट में फोटोग्राफ और रिपोर्ट दाखिल की जाएगी।