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Mass Murder Agra: रात में घर के दरवाजे खुले देख लोगों को हो गई थी अनहोनी की आशंका

अजनबी के लिए दरवाजे नहीं खोलते थे रेखा और बच्चे। घर से बच्चों की आवाज न आने और रात तक पसरे सन्नाटा देख हुआ था शक। जन्म देने के बाद ही मर गई थी रेखा की मां बाबा और दादी ने था पाला।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Fri, 23 Jul 2021 09:26 AM (IST)Updated: Fri, 23 Jul 2021 09:26 AM (IST)
Mass Murder Agra: रात में घर के दरवाजे खुले देख लोगों को हो गई थी अनहोनी की आशंका
कूंचा साधुराम में महिला और बच्‍चों की हत्‍या के बाद मौके पर पहुंची पुलिस।

आगरा, जागरण संवाददाता। कूचा साधूराम की चाैबेजी वाली गली में रहने वाली रेखा और तीनों बच्चे किसी अजनबी के लिए दरवाजे नहीं खोलते थे। ऐसे में बुधवार की दोपहर 12 बजे से रात 11 बजे तक रेखा के घर का दरवाजा खुला देख गली के लोगों को शक हुआ था। बच्चों की आवाज सुनाई न देने पर लोगों को रात में ही अनहोनी की आशंका हो गई थी। मगर, रेखा किसी को अपने घर पर नहीं बुलाती थीं। इसलिए लोगों का साहस घर पर जाने का नहीं हुआ। गुरुवार की सुबह नौ बजे भी जब दरवाजे खुले दिखे तो लोग एकत्रित होकर फुलट्टी चौकी पर पहुंचे। उन्होंने पुलिस को जानकारी दी।

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चौबेजी की गली के जिस मकान में रेखा राठौर अपने तीन बच्चों वंश (12 साल), माही (10 साल) और पारस (8 साल) के साथ रहती थीं।सुनील ने सात साल पहले यह मकान एक सर्राफ से खरीदा था। मकान रेखा के नाम था। दो साल पहले पति से तलाक लेने के बाद रेखा और तीनों बच्चे यहां रह रहे थे। गली के लोगों ने बताया कि रेखा और उनके बच्चे अपनी सुरक्षा का विशेष ध्यान रखते थे।रेखा बाजार जाते समय भी घर पर बाहर से ताला लगाकर जाती थीं। यदि कोई घर पर मिलने आता तो रेखा और बच्चे पहली मंजिल पर स्थित कमरे की खिड़की से देखने के बाद ही आने वाले के लिए दरवाजा खोलते थे।

बुधवार की दोपहर 12 बजे लोगों ने रेखा के घर का दरवाजा खुला देखा तो ध्यान नहीं दिया। मगर, रात 11 बजे तक दरवाजा खुला रहा तो लोगों काे मामला गड़बड़ लगा। लोगों का कहना था कि तीनों बच्चो को भी रोज की तरह खिड़की पर नहीं देखा गया। वह शाम को भी गली में नहीं आए तो लोगों को अनहोनी की आशंका सताने लगी। मगर, उनकी हिम्मत घर के अंदर जाकर देखने की नहीं हुई थी।गुरुवार की दोपहर गली में रहने वाली महिलाओं ने परिवार के लोगों से पुलिस के पास जाकर इसकी जानकारी देने की कहा। इसके बाद लाेग एकत्रित होकर चौकी पर पहुंचे।

गली में रहने वालों का रेखा के घर नहीं था आना-जाना

गली में रहने वालों ने पुलिस को बताया कि उनका रेखा के घर पर आना-जाना नहीं था। रेखा भी गली में रहने वालों के घर पर नहीं आती-जाती थी। इसलिए लोग भी उसके घर नहीं जाते थे। उसकी गली में रहने वालों से दरवाजे पर ही अक्सर बातचीत हो जाती थी। बचे जरूर शाम को अक्सर घर से बाहर गली में अन्य बच्चों के साथ खेलते निकल आते थे।

गली में आज तक नहीं हुई चोरी की घटना

चौबेजी की गली में तीन दर्जन से ज्यादा मकान हैं। रेखा को छोड़कर बाकी परिवार दशकों से यहां रह रहे हैं। गली में रहने वाले अंशू का कहना था कि चौहरे हत्याकांड से पहले चोरी तक की घटना नहीं हुई थी।

मां से रंजिश थी तो उसे मार देता, लेकिन बच्चों को तो बख्श देता दरिंदा

हत्‍या के बाद सभी की जुबान पर एक ही बात थी कि उसकी रेखा से रंजिश थी तो उसे मार देता। मगर, दरिंदा मासूम तीनों बच्चों को बख्श देता। अस्सी साल की परदादी गंगा देवी बच्चों की लाश पर बिलख रही थी। रेखा और तीनों बच्चों की हत्या का दर्द उसकी आंखों से बह रहा था। यह देख वहां मौजूद लोगों की आंखें भी नम हाे गईं।

रेखा का मायका सीता नगर, एत्माद्दौला में था। मां भगवान देवी की रेखा को जन्म देने के बाद मौत हो गई थी। रेखा को उसकी दादी भगवान देवी ने पाला था। उन्होंने ही रेखा की शादी की थी। गुरुवार की सुबह दादी गंगा देवी को रेखा और तीनों बच्चों की हत्या का पता चला तो वह भी पहुंच गईं। गंगा देवी रेखा के बचपन से बड़े होने तक की एक-एक बात याद करके बिलख रही थीं।

गंगा देवी ने बताया जन्म देते ही उसकी मां दुनिया से चली गई। जब उसके बचने की उम्मीद नहीं थी। उसे बचाने में दिन-रात एक कर दिया। अब उसका बुरा समय बीतने वाला था। बच्चे बड़े हो जाते तो सहारा बनते, दरिंदे ने उसकी जान ले ली। वह धेवती और उसके तीनों बच्चों की जिस निर्मत तरीके से हत्या की गई, उसे देखकर बिलख रही थीं। गंगा देवी की जुबां पर एक ही शब्द था, दरिंदा मासूमों पर तरस खाकर ही उनकी जान बख्श देता।

छत्तीसगढ में रहते हैं पिता और भाई-बहन

दादी गंगा देवी ने बताया कि रेखा के पिता विनोद ने दूसरी शादी नीलम से की थी। नीलम से एक बेटी और दो बेटे हैं। बेटी की शादी हो चुकी है। एक बेटा सचिन मूक-बधिर है। दोनों बेटे पिता के साथ छत्तीसगढ़ में रहकर काम करते हैं। पिता वहां चूड़ी बेचने का काम करता है।बेटी और धेवते-धेवती की हत्या की जानकारी होने पर पिता और दाेनों भाई आगरा के लिए चल दिए थे।

कातिल की दरिंदगी से दहशत में तीन दर्जन से ज्यादा परिवार

चौबेजी वाली गली में चौहरे हत्याकांड के बाद से वहां रहने वाले परिवार बुरी तरह से दहशतजदा हैं। अभिभावकों ने गुरुवार को अपने बच्चाें को घर से बाहर नहीं निकलने दिया। बच्चे जैसे ही दरवाजे से बाहर कदम रखते, अभिभावक उन्हें डांट कर अंदर बुला लेते थे। वहीं, बच्चे माही दीदी, वंश भइया और पारस के साथ हुई घटना के बारे में अपने अभिभावकों से पूछते रहे।

गली में तीन दर्जन से ज्यादा घर हैं। जिसमें 50 से ज्यादा परिवार रहते हैं। गुरुवार की सुबह करीब नौ बजे गली में रहने वालों को रेखा और तीन बच्चों की सामूहिक हत्या की जानकारी होने पर इन परिवारों में दहशत फैल गई। जिसने भी सुना वह मौके पर पहुंच गया। शाम को अक्सर अपने साथ खेलने वाली माही, वंश और पारस के बारे में जानने के लिए उनके नन्हें-मुन्ने साथी भी परेशान रहे। वह बार-बार रेखा के दरवाजे पर जा रहे थे। जिससे कि अपने दोस्तों के बारे में जान सकें। दहशत के चलते स्वजन बच्चों को वहां से हटाकर अपने घर ले गए। उन्हें अंदर रहने की हिदायत दी।


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