Migratory Birds in Agra: आगरा के जोधपुर झाल में इन विदेशी मेहमानों ने डाला डेरा, बढ़ रही सुंदरता
Migratory Birds in Agra भरतपुर के केवलादेव नेशनल पार्क में इस बार पांच जोड़े मॉलार्ड बतख के देखे गए थे। आगरा में बाह के चंबल मे भी मॉलार्ड इस साल भी रिकार्ड की गई थी। मथुरा के जोधपुर झाल पर में एक जोड़ा देखा गया है।
आगरा, जागरण संवाददाता। गर्मियों के शुरू होते ही प्रवासी पक्षी वापस अपने निवास स्थलों की ओर लौटना शुरू कर देते हैं। मार्च के अंत तक सुदूर देशों के अधिकांश पक्षी वापस लौट चुके होते हैं। इसी क्रम में सुंदरता का धनी मॉलार्ड बतख का एक जोड़ा चार दिन से आगरा और मथुरा की सीमा पर स्थित जोधपुर झाल के एक तालाब पर रूका हुआ है।
मॉलार्ड आर्कटिक टुंड्रा और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों का निवासी है। यह पृथ्वी की विभिन्न जलवायु श्रृंखला मे निवास करता है। मॉलार्ड केवल दक्षिण अमेरिका को छोड़कर सभी उप महाद्वीपों में इसकी उपस्थिति दर्ज की गई है। भारत में मॉलार्ड सर्दियों के प्रवास पर दिसंबर - जनवरी में पहुंचता है और मार्च के अंत तक ठहरकर वापस चला जाता है। मॉलार्ड मध्य एशियाई देश उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान, पश्चिमी चीन से आकर भारत के उत्तर पश्चिम के विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक रूप से प्रवास करता है। भारत के अतिरिक्त यह उत्तरी बंग्लादेश, नेपाल, म्यांमार, पाकिस्तान, पूर्वी अफगानिस्तान और तुर्कमेनिस्तान में सर्दियों के प्रवास पर पहुंचता है। इसके प्रजनन स्थल एशिया के क्षेत्र रूस , मंगोलिया, चीन और साइबेरिया हैं। इसका वितरण विस्तृत है। यह एशियाई देश तुर्की व ईराक के अतिरिक्त यूरोप के स्पेन, फ्रांस, जर्मन, पोलैंड, रोमानिया, इटली, अमेरिका, मैक्सिको और ग्रीस देशों का निवासी यहां से इजिप्ट, सूडान और मध्य अरब तक प्रवास पर पहुंचता है। इन क्षेत्रों से यह कनाडा और ग्रीनलैंड के तटीय क्षेत्रों में प्रजनन करने पहुंचता है।
आगरा, भरतपुर व जोधपुर झाल पर देखा गया इस वर्ष मॉलार्ड
जैव विविधता के अध्ययन और संरक्षण से जुड़ी संस्था बीआरडीएस के अध्यक्ष पक्षी विशेषज्ञ डॉ केपी सिंह ने बताया कि भरतपुर के केवलादेव नेशनल पार्क में इस बार पांच जोड़े मॉलार्ड बतख के देखे गए थे। आगरा में बाह के चंबल मे भी मॉलार्ड इस साल भी रिकार्ड की गई थी। मथुरा के जोधपुर झाल पर जनवरी में एक जोड़ा और मार्च में 28 से 31 मार्च तक एक जोड़ा देखा गया है। संभावना है कि भरतपुर जाते और लौटते समय यह जोड़ा जोधपुर झाल पर रूक गया है। अधिकांश पक्षी माइग्रेशन रूट में भी विभिन्न स्थानों पर ठहरकर आगे बढ़ते हैं। जोधपुर झाल पर प्रवासी पक्षी बहुत संख्या में ठहरते हैं।
नर मॉलार्ड होता है आकर्षक और जोड़े बनाकर निकलते हैं प्रवास पर
डाॅ केपी सिंह के अनुसार मॉलार्ड बतख को जीनस अनास और परिवार अनाटिडे में वर्गीकृत किया गया है । इसका वैज्ञानिक नाम अनास प्लैटिरहिनचोस है। मॉलार्ड को हिन्दी मे नीलसर कहते हैं इसका कारण है इसके गहरे नीले रंग का सिर होना। पीली चोंच इसकी सुंदरता को और बढाती है। नर की तुलना में मादा मॉलार्ड कम आकर्षक होती है। उत्तरी गोलार्ध में अक्टूबर- नवंबर में मलार्ड बतख अपने आवासीय क्षेत्रों से नर व मादा अपने जोड़े बनाकर प्रवास पर निकलते हैं। मॉलार्ड का प्रजनन काल मार्च से मई तक चलता है। मादा मॉलार्ड एक दो दिन के अंतराल में आठ से बारह तक अंडे देती है। अंडो का रंग सफेद व हल्के भूरा होता हैं । इंक्यूबेटिंग का समय लगभग एक माह का होता हैं। 50 से 60 दिनों में चूजे उड़ने में सक्षम हो जाते हैं।
खाने के मामले मे बहुत शौकीन होता है माॅलार्ड
मॉलार्ड सर्वभक्षी होता है। इसके भोजन में छोटी मछली, मेढक, शैवाल कीट, भृंग, मक्खियाँ, लेपिडोप्टेरान, ड्रैगनफलीज़, कैडफिस्ले, क्रस्टेशियन, कृमि, कई प्रकार के बीज और पौधे के भाग और जड़ें और कंद मुख्य रूप से शामिल हैं।