Move to Jagran APP

Luck Unlocked: किस्‍मत का खुला ताला, अमेरिका जाएंगी अनाथालय की बच्चियां

Luck Unlocked कोरोना के चलते लाक हो गयी थी बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया। अमेरिकी दंपतियों से होनी है डेढ़ और दो साल की मासूम बच्चियों की मैचिंग। अंतरराष्‍ट्रीय उड़ानें सामान्‍य होने का हो रहा है इंतजार।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Mon, 05 Oct 2020 04:23 PM (IST)Updated: Tue, 06 Oct 2020 12:59 PM (IST)
Luck Unlocked: किस्‍मत का खुला ताला, अमेरिका जाएंगी अनाथालय की बच्चियां
अमेरिका के दो दंपती ने आगरा के अनाथालय से दो बच्चियों को गोद लेने की इच्‍छा जताई है। प्रतीकात्‍मक फोटो

आगरा, अली अब्‍बास। राजकीय शिशु एवं बाल गृह की अनाथ बेटियों का भाग्योदय भी अनलाक में होने की उम्मीदें बंध गयी हैं। इन बेटियों को अमेरिकी दंपतियों ने गोद लेने की इच्छा जताई है। मगर, काेरोना के चलते हुए लॉकडाउन और फिर अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर रोक के चलते उनकी मैचिंग का पेंच फंसा हुआ है। वहीं, तीन अन्य बच्चों के विदेशी अभिभावकों का इंंतजार बढ़ा दिया है।

loksabha election banner

राजकीय शिशु एवं बाल गृह में वर्तमान में 45 बच्चे हैं। यह बच्चे विभिन्न शहरों के हैं, कई के माता-पिता उन्हें पैदा होते ही हालात के हाथों मजबूर होकर छोड़ गए थे। कुछ के माता-पिता जीवित न होने पर सामाजिक संगठनों के माध्यम से वह यहां पर आए थे। इन्ही बच्चों में दो सगे भाइयों को इटली के दंपती ने गोल लिया है। जबकि एक बच्ची को जर्मनी के दंपती ने गोद लिया है। तीनों बच्चों के गोद लेने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। उनके पासपोर्ट आदि भी बनकर तैयार हो गए। इसी दौरान कोरोना के चलते मार्च से मई तक लॉकडाउन हो गया। अतंरराष्ट्रीय उड़ानों के बंद होने से तीनों बच्चे अपने अभिभावकों के साथ नहीं जा सके।

एक जून से अनलाक की प्रक्रिया शुरू हुई। अमेरिकी व्यापारी दंपती ने शिशु गृह में रहने वाली दो बच्चियों को गोद लेने के लिए केंद्रीय दत्तक ग्रहण इकाई (कारा) के माध्यम से अमेरिकी दंपतियों ने आगरा के शिशु गृह में रहने वाली दो बच्चियों को गोद लेने के लिए इच्छा जताई। इनमें एक बच्ची दो साल और दूसरी डेढ़ साल की है। मगर, अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर रोक के चलते वह यहां नहीं आ सके हैं। इससे इन बेटियों की मैचिंग होना बाकी है।

ये होती है मैचिंग

गोद लेने वाले दंपती से बच्चे को मिलवाया जाता है। वह उसके साथ कुछ दिन या समय गुजारते हैं। इस दौरान बच्चे की आदत से रूबरू होते हैं।उसकी रुचियों के बारे में जानकारी लेते हैं। बच्चे के साथ वक्त बिताते हैं, इससे वह गोद लेने वाले दंपती के साथ आत्मीय हो जाता है। अपने अभिभावक के प्रति उसका प्रेम बढ़ जाता है। दंपती जब उसे अपने साथ ले जाते हैं तो वह परिवार में उनके साथ जल्दी घुलमिल जाता है।

पांच साल में गोद दिए 50 बच्चे

राजकीय शिशु एवं बाल गृह आगरा द्वारा पांच साल के दौरान 50 बच्चों को गोद दिया जा चुका है। वर्ष 2019 में एक दर्जन बच्चों केा गोद दिया गया। अनलाक के बाद बाद शिशु गृह से 30 सितंबर को एक बच्चे को गोद दिया गया। उसे बिहार के एक अधिवक्ता ने गोद लिया है।

ये है गोद लेने के नियम

- बच्चे को गोद लेने वाले पति-पत्नी दोनों की संयुक्त आयु मिलाकर 90 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

- उनके पहले से कोई बच्चा न हो।

- दंपती की मेडिकल रिपोर्ट में भविष्य में भी उनके बच्चे होने की संभावना लगभग नगण्य हो।

- बच्चे का पालन-पोषण करने के लिए आर्थिक स्थिति अच्छी होनी चाहिए, इसका आंकलन होता है। कुछ रकम का ड्राफ्ट भी लगता है।

शिशु गृह के तीन बच्चाें को विदेशी दंपती द्वारा गोद लेने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। वहीं दो बच्चियों को अमेरिकी दंपती ने गोद लेने की इच्छा जताई है। अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के शुरू होते ही दंपती से बच्चियों की मैचिंग कराई जाएगी।

विकास कुमार, प्रभारी अधीक्षक राजकीय शिशु एवं बाल गृह 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.