सोने की पूर्णकोठी में निकले भगवान रंगनाथ, लगे प्रभु के जयकारे
दक्षिण भारतीय परंपरा के रंगजी मंदिर में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ ब्रह्मोत्सव आरंभ।
आगरा, जेएनएन। दक्षिण भारतीय परंपरा के रंगजी मंदिर में शनिवार की सुबह वेदमंत्रों की अनुगूंज के मध्य ब्रह्मोत्सव आरंभ हुआ। मंदिर में सुबह 8.30 बजे वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य भगवान रंगनाथ की आरती उतारी गई और इसके बाद उन्हें सोने की पूर्णकोठी में विराजमान कराया गया।
वैदिक मंत्रोच्चारण की गूंज के साथ जैसे ही भगवान की सवारी मंदिर से शुरू हुई भक्तों ने भगवान रंगनाथ के जयकारे लगाने शुरू कर दिए। बैंडबाजों की धुन पर नाचते हुए श्रद्धालु प्रफुल्लित हो रहे थे। जैसे जैसे भगवान की सवारी आगे बढ़ती पूजन और आरती उतारने वाले श्रद्धालुओं की कतार लगने लगी। मंदिर के मुख्य द्वार से बाहर सवारी निकली तो नगरवासियों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। जगह-जगह पूजन के साथ बढ़ती सवारी में श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ती गई। मंदिर से शुरू हुई सवारी नगर पालिका चौराहा होते हुए बड़ा बगीचा पहुंची। जहां कुछ देर विश्राम और आरती के बाद पुन: सवारी मंदिर के लिए रवाना हो गई और ठीक 10.30 बजे मंदिर में ठाकुरजी को विराजमान कराकर उनकी आरती उतारी गई।
ब्रह्मोत्सव पर शाम को 7.30 बजे सोने के ङ्क्षसह पर विराजमान होकर भगवान रंगनाथ एकबार फिर नगर भ्रमण को निकले तो दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का हुजूम सड़कों पर उमड़ पड़ा। बड़े बगीचा होकर भगवान रंगनाथ की सवारी रात 10.30 बजे मंदिर पहुंची। रात में ठाकुरजी की आरती करने के बाद उन्हें विश्राम दिया गया। पूरे दिन मंदिर में वेदमंत्र गूंजते रहे।