Lockdown में इतने हिंसक क्यों हो रहे लोग ? अपनों के खून से रंग रहे हाथ, जानिए इसके पीछे की वजह
लॉकडाउन के दौरान बढ़ गई परिवारों में हिंसक घटनाएं। मनोचिकित्सक डॉ केसी गुरनानी के अनुसार तनाव के कारण हिंसक हो रहे लोग।
आगरा, तनु गुप्ता। दिल्ली में आज उस बहू ने खुदकशी कर ली जिस पर दो दिन पहले अपने सास ससुर की हत्या का आरोप लगा था। वहीं एटा में एक बहू ने अपने ससुर, बहन और दो बच्चों सहित खुदकशी कर ली थी। ये केस तो बानगी भर हैं। लॉकडाउन के दौरान अखबारों की सुर्खियों में दो ही बातें चल रही हैं। एक कोरोना वायरस और दूसरी ऐसी हिंसक वारदातें। आखिर दिल्ली- एटा जैसी वारदातें लगातार बढ़ने की वजह क्या है? लगातार बढ़ रही हिंसक प्रवृति के पीछे कहीं लॉकडाउन का तनाव और कोरोना वायरस का भय तो नहीं?
केस-1 एटा में एक ही परिवार के पांच लोगों की मौत। हत्या की गुत्थी सुलझाने में जुटी पुलिस की अंतरिम जांच में बहू ही हत्यारिन निकली। पुलिस की जांच के अनुसार बहू दिव्या ने पहले परिवार के चार सदस्यों को जहर देकर मारा और फिर खुदकशी कर ली। वारदात के पीछे पति और पत्नी दोनों का एक दूसरे पर शक करना कारण बना। ये शक इतना ज्यादा दिव्या पर हावि हो गया कि उसने अपने आठ माह के मासूम बच्चे को भी गला घोंटकर मार दिया।
केस-2 मैनपुरी में एक महिला ने अपने दो बच्चों सहित खुद को आग के हवाले कर दिया। पति मजदूरी के लिए गया हुआ था और पीछे से महिला ने घातक कदम उठा लिया।
केस-3 आगरा में पति ने अपनी पत्नी के साथ घनिष्ठता के शक में अपने ही भतीजे को मौत के घाट उतार दिया।
केस-4 दिल्ली में अपने ही सास ससुर की हत्या करने वाली बहू ने जेल में खुदकशी कर ली।
केस- 5 मथुरा में तैनात हैड कॉस्टेबल ने मोबाइल पर परिवार से बात करने के बाद खुद की पिस्टल से खुदकशी कर ली।
लॉकडाउन और कोरोना का डर
इन सभी मामलों पर एसएन मेडिकल कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ केसी गुरनानी से बात की। डॉ गुरनानी के अनुसार मौजूद दौर सुसाइड और होमीसाइड का कारण बना रहा है। यानि लाॅकडाउन और कोरोना वायरस के तनाव ने लोगों के दिमाग पर विपरीत असर डाला है। ये असर उन लोगों पर अधिक पड़ा है जो लोग पहले से ही किसी न किसी तरह से अवसाद से ग्रसित थे। कोरोना संक्रमण काल ने उस अवसाद को अपने अंतिम पायदान पर ला दिया। सहनशीलता, सोचने समझने की क्षमता पर दुष्प्रभाव बढ़ा और लोग अपने और अपनों के साथ हिंसक हो गए।
पोस्ट पार्टम डिप्रेशन भी है एक कारण
डॉ गुरनानी के अनुसार एटा वाली वारदात में महिला ने अपने आठ माह के बच्चे को भी बेरहमी से मार डाला। मैनपुरी में महिला ने बच्चों सहित खुद को आग के हवाले कर दिया। ऐसी घटनाओं के पीछे कहीं न कहीं पोस्ट पार्टम डिप्रेशन बड़ा कारण होता है। प्रसव के बाद महिला अपने पति से अतिरिक्त देखरेख की उम्मीद करती है और उसके साथ ज्यादा समय बिताना चाहती है लेकिन नई जिम्मेदारियों के कारण न पति और न वो महिला खुद ऐसा कर पाते हैं। जब इसकी अधिकता हो जाती है तो महिला पर अवसाद हावी होने लगता है। ये ही पोस्ट पार्टम डिप्रेशन होता है। ये अवसाद इस हद तक खतरनाक हो जाता है कि इसमें महिला अपने ही बच्चे ही खुद जान लेना चाहती है। इस डिप्रेशन में महिलाओं में सामूहिक हत्या करने जैसी प्रवृति भी सबसे ज्यादा हो जाती है।
बढ़ गई रार, तकरार और हिंसा
वर्तमान दौर में हम ऐसे संकट से घिरे हैं कि एक तरफ कुआंं है और एक तरफ खाई। जो लोग अपनेे जीवन में सफल नहीं रहे हैं उनके लिए ये विषम परिस्थितयां हैं। ऐसे वो लोग घर में झगड़ा, बच्चों को डांटना, हिंसा करना जैसी प्रवृतियों से जूझ रहे हैं। ये लोग पूर्वाभास बनाकर ऐसी कहानियां अपने दिमाग में बना लेते हैं कि उनकी नजर वो जो कर रहे हैं वो ही एकदम सही होता है। भविष्य की चिंता में वर्तमान को ही खत्म कर देते हैं।