Move to Jagran APP

Lockdown 3.0: पैरों में छाले, भोजन के भी लाले लेकिन उम्‍मीदें हैं जवां, पढ़ें दावों की पोल खोलती खबर

यमुना एक्सप्रेस वे व हाईवे पर पैदल चल रहा प्रवासी मजदूरों का कारवां। 687 किमी के सफर पर पैदल ही निकल पड़े परिवार।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sat, 16 May 2020 04:00 PM (IST)Updated: Sun, 17 May 2020 08:17 AM (IST)
Lockdown 3.0: पैरों में छाले, भोजन के भी लाले लेकिन उम्‍मीदें हैं जवां, पढ़ें दावों की पोल खोलती खबर
Lockdown 3.0: पैरों में छाले, भोजन के भी लाले लेकिन उम्‍मीदें हैं जवां, पढ़ें दावों की पोल खोलती खबर

आगरा, विनीत मिश्र। था तुझे गुरूर खुद के लंबे होने का ऐ सड़क, गरीबों के हौसलों ने तुझे पैदल ही नाप दिया। ये जिंदगी की बेचारगी है, लेकिन उस पर प्रवासी मजदूरों का हौसला भारी। भरी दुपहरी जब 40 डिग्री तापमान पर सड़क तप रही थी, जब प्रवासी मजदूर जिंदगी की गाड़ी खींच रहे थे। नोएडा के धनकौर से 687 किमी पैदल सफर पर निकले, मजदूरों ने न पैरों के छाले देखे, न तपती धूप। आंखों में घर पहुंचने की उम्मीदें कैद हैं, तो कदम घर की राह की ओर बढ़े जा रहे हैं। सड़कों पर मजदूरों का काफिला अपने गांव-अपनी माटी पहुंचने की जिद्दोजेहद में है।

loksabha election banner

यमुना एक्सप्रेस वे पर शुक्रवार दुपहरी जो दिखा, उसने प्रवासी मजदूरों के हौसले और बेचारगी दोनों बयां कर दीं। नोेएडा के धनकौर में मजदूरी करने वाले मध्य प्रदेश के दमोह के प्रेमलाल, पचइयां, राकेश, विनोद बाबू, संतोष और गौतम लाॅकडाउन में फंस गए। मजदूरी बंद हुई, तो खाने का संकट आ गया। जो पैसा बचा था, लाॅकडाउन में जैसे-तैसे काम चलाया। लेकिन अब जेब खाली हो गई। आंखों के सामने अंधेरा छाया और कोई रास्ता नहीं दिखा, तो गांव जाने की ठान ली। जेब में इतने पैसे भी नहीं कि वाहन कर सकें। एेसे में पैदल ही धनकौर से दमोह तक 687 किमी का सफर शुरू कर दिया। अब संकट सामान और कपड़े ले जाने की थी। एेसे में सबने मिलकर लकड़ी के पटरों को एक-दूसरे से जोड़ा और फिर उसमें बेयरिंग के पहिए लगा दिए। उस पर सारा सामान बोरियों में लादा और हाथ से खींचना शुरू कर दिया। आगे-आगे परिवार की महिलाएं और बच्चे चले, तो पीछे बारी-बारी से हाथ गाड़ी खींचते युवा। प्रेमलाल बताते हैं कि इसके अलावा कोई चारा नहीं था। घर में खेती नहीं है, लेकिन मकान का किराया तो नहीं देना पड़ेगा। कुछ न कुछ तो कर लेंगे। सुबह पांच बजे परिवार पैदल चले, तो दोपहर 1 बजे मथुरा के राया इंटरचेंज पर पहुंचा। दमोह कब पहुंचेंगे, विनोद बाबू ने जवाब दिया, एक हफ्ते में पहुंच जाएंगे। जहां तक शरीर साथ देगा चलेंगे और फिर वहीं सो जाएंगे। यमुना एक्सप्रेस व आगरा-दिल्ली हाईवे पर मजदूरोें का कारवां थम नहीं रहा। लाॅकडाउन में काम बंद हो गया, तो सबके हाथ खाली हो गए। छतरपुर के राजेश और उनके आधा दर्जन साथी पत्नी और छोटे-छोटे बच्चों को लेकर दिल्ली से पैदल ही चल दिए। करीब 50 किमी तक एक वाहन पर बैठकर आ गए, लेकिन अब पैसे नहीं हैं। इसलिए पैदल ही जाएंगे। बच्चों के पैर जवाब दे गए। गुरुवार सुबह चले थे, तीन से चार दिन घर पहुंचने में लग जाएंगे। मानेसर से उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद और बिहार जाने के लिए एक सैकड़ा प्रवासी मजदूर पैदल ही चले। शरीर थक गया, मथुरा में एक ट्रक मिला, तो कुछ दूर ट्रक पर सफर की उम्मीद ने चेहरे पर चमक लगा दी। इलाहाबाद के राजेंद्र कहने लगे, जिंदगी में शायद ये संकट लिखा था, उसे भुगत रहा हूं। घर पहुंचने के बाद फिर कभी लौटकर नहीं देखूंगा।

बेबस आंखों में संजोई उम्मीदें

बिहार के गया में रहने वाले दीपक और उनके साथी मंगनू दिल्ली में मजदूरी करते थे। अब काम बंद हो गया। बेबसी ऐसी कि जेब में महज 200 रुपये बचे हैं। गया तक जाना है। ऐसे में पूरा किराया भी नहीं हो पाएगा। ऐसे में गुरुवार शाम पैदल ही चल दिए। बोले, जैसे-तैसे पहुंच जाएंगे। आंखों में उम्मीद है कि कोई न कोई मिल जाएगा तो हो सकता है किराया दे दे। 

दिल्ली हाईवे पर प्रवासी मजदूरों ने लगाया जाम 

आगरा-दिल्ली हाईवे पर शनिवार दोपहर प्रवासी मजदूरों ने जाम लगा। देखते ही देखते वाहनों की लंबी लाइन लग गई। ये प्रवासी ट्रकों से अपने गंतव्य को जा रहे थे, लेकिन आगरा बाॅर्डर पर पुलिस ने इन्हें ट्रकों से उतार लिया। यहां भोजन का प्रबंध करने के साथ बसों से भेजे जाने का आश्वासन दिया, लेकिन मजदूर मानने को तैयार नहीं। उनका कहना है कि हम ट्रकों से किराया खर्च कर आए हैं, हमें आगे जाने दिया जाए। करीब डेढ़ घंटे से जाम है। डीएम सर्वज्ञराम मिश्रा और एसएसपी डाॅ. गौरव ग्रोवर प्रवासी मजदूरों को समझाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन मजदूर नहीं मानें। आगरा-दिल्ली हाईवे पर सुबह से ट्रकों और अन्य वाहनों से बड़ी संख्या में मजदूर गंतव्य के लिए रवाना हुए। औरैया में सड़क हादसे में 24 प्रवासी मजदूरों की मौत के बाद इन मजदूरों में आक्रोश है। वह किसी भी सूरत में रुकने को तैयार नहीं हैं। मजदूरों को रोकने में प्रशासन का पसीना छूट गया है। दरअसल, सुबह से कोटवन बाॅर्डर से किराये के साधनों से मजदूर अपने घर जा रहे थे। औरैया में हादसे के बाद सरकार ने सख्त रुख अख्तियार किया तो प्रशासन भी हरकत में आ गया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.