Lockdown 3.0: इंसान हुआ घरों में कैद तो आबाद हो गया इनका रंग बिरंगा संसार
लाॅकडाउन से पर्यावरण में सुधार हो रहा है। वायु प्रदूषण व ध्वनि प्रदूषण मे सुधार से रंग बिरंगी तितलियों का संसार फिर से आबाद हो रहा है।
आगरा, तनु गुप्ता। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने पूरेे विश्व को घरों में कैद करके रख दिया है। सबकुछ बंद है। सड़कों पर सन्नाटा है। औद्योगिक इकाइयों पर ताला है लेकिन इन सबके बीच घर की बगिया में रंग बिरंगा संसार आबाद हो रहा है। जी हां, फूलों की खूबसूरती में चार चांद लगाती तितलियां फिर से मुस्कुराने लगी हैं। आपमें से बहुत से ऐसे होंगे जिन्होंने तितलियों के अनूठे रूप अपने बचपन में ही देखे होंगे। इसके बाद कंकरीट के जंगलों की आपाधापी में ये रूप गुम से हो गए थे लेकिन अब लॉकडाउन की खामोशी ने तितलियों के रूप में निखार ला दिया है। बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसायटी के अध्यक्ष डाॅॅ केपी सिंह के अनुसार विश्व भर की लगभग 2400 प्रजातियों में से 1600 प्रजातियों को भारत मे देखा गया है। जिनमें से लगभग 150 प्रजातियाँ विलुप्त हो चुकी हैं या होने के कगार पर हैं। लेकिन लॉकडाउन के दौरान हुए पर्यावरण में सुधार की वजह से कई प्रजातियों के माइग्रेट करके आने की संभावनाए बन रही हैं।
आगरा व नजदीकी जिलों में देखी जा रही तितलियों की प्रजातियांं
डा केपी सिंह के साथ धीरेन्द्र व अन्य सदस्यों द्वारा गत एक वर्ष से आगरा, मथुरा, भरतपुर, धौलपुर के क्षेत्रों मेंं तितलियों पर अध्ययन किया जा रहा है। आगरा व इसके आसपास के क्षेत्रों में तितलियों की काॅमन जे, कामन गुल, जेबरा ब्लू, साइकी, पीकौक पेन्सी, मोटेल्ड इमाईग्रेन्ट, लेमन इमीग्रेन्ट, ग्रास ब्लू, काॅमन इमाईग्रेन्ट, पेन्टिड लेडी, डेनेड एगफ्लाई, ब्लू पेन्सी, येलो पेन्सी, काॅमन इडियन क्रो, स्माल ग्रास येलो, काॅमन ग्रास येलो, चौकलेट पेन्सी, प्लेन टाइगर, ब्लू टाइगर, काॅमन टाइगर, लाइम, काॅमन मोरमोन, काॅमन रोज, काॅमन लियोपार्ड, काॅमन केस्टर, इंंडियन पायोनियर, येलो ओरेन्ज टिप, व्हाइट ओरेन्ज टिप आदि प्रजातियों को देखा गया है।
विलुप्त होने के ये हैं कारण
डॉ केपी सिंह के अनुसार तितलियों के विलुप्त होने के कारणों मे अनियंत्रित विकास, अंधाधुंंध शहरीकरण, आवश्यक नेटिव पौधों का उजाड़, अनुपयोगी पौधों का रोपण, मोबाइल टावरों की तरंगे, इन्टरनेट वाले स्मार्ट फोन का तितलियों के हेवीटाट तक पहुंंचना, फसलों मेंं प्रयोग होती कीटनाशक दवाइयांं, गहने व सजावट के लिए तस्करी आदि प्रमुख कारण हैं।
तितलियों के संरक्षण हेतु कानून
भारत सरकार द्वारा तितलियो के संरक्षण हेतु वाइल्ड लाइफ एक्ट 1972 बनाकर इनके पकड़ने को अपराध घोषित किया जा चुका है। तितलियों का लार्वा अन्य कीटों का भोजन भी है व इनका जीवन चक्र कुछ दिनों का ही होता है। इस कारण इनके संरक्षण की बहुत आवश्यकता है। कई प्रजाती के पक्षियों का भोजन भी तितलियांं होती हैं। जहांं तितलियों की संख्या अधिक होगी वहांं कीटभक्षी पक्षियों की उपस्थिति अवश्य होती है।
इन पेड़ पौधों पर निर्भर है तितलियों का जीवन
डॉ केपी सिंह ने बताया कि तितलियांं जैव विविधता का महत्वपूर्ण अंग है एवं परागण कि प्रक्रिया मेंं इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इनकी कमी फसल के उत्पादन को भी प्रभावित करती है। तितलियों का जीवन चक्र होस्ट प्लान्ट व नेक्टर प्लान्ट पर निर्भर रहता है। होस्ट प्लान्ट पर तितलियांं अंडे देती हैं व नेक्टर प्लान्ट से भोजन व ऊर्जा ग्रहण करती हैं। होस्ट प्लान्ट में पत्थरचटा, मीठा नीम, केसिया, लैमन, मैंगा, पीलू, पीकौक फ्लावर आदि आते हैं। नेक्टर प्लान्ट में गुलाब, चित्रक, पलाश, सैभल, शिरिश, जैट्रोफा, गेंदा, अनार, गुडहल, खैर, कैथ, महुआ, पलाश, सहज, सूरजमुखी आदि पौधे आते है।