Move to Jagran APP

World Heritage Week: सहेजते तो बदहाली पर न सिसकता देश का ये लिविंग हेरिटेज Agra News

महाजन कमेटी ने अक्टूबर 2006 में ताज को माना था लिविंग हेरिटेज। संस्कृति से दूर हो गया ताजमहल केंद्र व राज्य ने नहीं दिया जरा भी ध्यान।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Mon, 25 Nov 2019 03:08 PM (IST)Updated: Mon, 25 Nov 2019 09:40 PM (IST)
World Heritage Week: सहेजते तो बदहाली पर न सिसकता देश का ये लिविंग हेरिटेज Agra News
World Heritage Week: सहेजते तो बदहाली पर न सिसकता देश का ये लिविंग हेरिटेज Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा मनाए जा रहे विश्व धरोहर सप्ताह का समापन सोमवार को होगा। 19 नवंबर से शुरू हुए सप्ताह में अलग-अलग स्मारकों में हुए कार्यक्रमों में धरोहर के संरक्षण का संदेश गूंजा। मगर दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताजमहल की लिविंग हेरिटेज को आज तक नहीं सहेजा जा सका है। ताज अगर शरीर था, तो ताजगंज की संस्कृति उसका प्राण थी। नियम, कानून और बंदिशों में शरीर और प्राण अलग हो गए।

loksabha election banner

पर्यावरणविद अधिवक्ता एमसी मेहता की याचिका पर ताज को प्रदूषण से बचाने को 30 दिसंबर, 1996 को सुप्रीम कोर्ट ने ताज ट्रेपेजियम जोन बनाया था। इसके बाद समय-समय पर कोर्ट कमिश्नर यहां आते रहे और अपनी रिपोर्ट देते रहे। अक्टूबर, 2006 में कृष्णा महाजन समिति ने अपनी रिपोर्ट में ताज को लिविंग हेरिटेज माना था। कभी ताज का भाग रहे कटरा उमर खां, कटरा रेशम, कटरा जोगीदास और कटरा फुलेल को उसका भाग मानते हुए जोड़कर देखने को कहा था। इन कटरों से दक्षिणी गेट सीधे जुड़ता है। समिति ने सुझाव दिया था कि एएसआइ ताजमहल के चारों कटरों के संरक्षण को प्लान बनाए। चारों कटरों के गेटों का संरक्षण भी किया जाना था। इस दिशा में कुछ नहीं किया जा सका है। इससे ताज कांप्लेक्स केवल ताजमहल तक सीमित रह गया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, पुलिस, टीटीजेड के चलते क्षेत्रीय लोग पाबंदियों में फंसे हुए हैं।

अधूरा और विकृत स्‍वरूप ही पेश हो रहा

ताज का अधूरा और विकृत स्वरूप दुनिया के सामने पेश किया जा रहा है। कृष्णा महाजन समिति की सिफारिशों पर अमल नहीं होने से स्मारक भारतीय दर्शन व संस्कृति से दूर हो गया है। अब राष्ट्रवादी सरकार है। हमें अपनी जड़ों की ओर लौटना होगा।

- संदीप अरोड़ा, अध्यक्ष आगरा टूरिज्म डवलपमेंट फाउंडेशन

वर्षों बाद भी नहीं मिला वैकल्पिक मार्ग

ताज के आसपास बंदिशों से काम-धंधे चौपट हो रहे हैं। ताज की पाबंदियां नगला पैमा समेत उसके आसपास स्थित गांवों के लोगों के लिए आज भी मुसीबत बनी हुई हैं। वर्षों बाद भी इन गांवों के लिए वैकल्पिक मार्ग प्रशासन नहीं बना सका है।

- वसीम उद्दीन, क्षेत्रीय निवासी 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.