डा. कुमार विश्वास बोले रचना में 70 फीसद कविता और बाकी हो सजावट, सोम ठाकुर को मिला लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड
आगरा के संगठन कवि सम्मेलन समिति ने इंदौर में आयोजित किया अधिवेशन। देश के जाने माने कवि डा. कुमार विश्वास शैलेश लोढ़ा सुरेंद्र शर्मा सहित देश के सौ से अधिक कवि शामिल हुए। हास्य और काव्य की दिशा और दशा पर चली चर्चा।
आगरा, जागरण संवाददाता। देशभर के मंचीय कवियों के संगठन कवि सम्मेलन समिति ने कवि डा. सोम ठाकुर को लाइफ टाइम अचीववेंट अवार्ड से सम्मानित किया है। कवि डा. सोम ठाकुर उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। इस सम्मेलन में प्रख्यात हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा भी मौजूद रहे, जिनको लेकर अभी चंद दिन पहले एक अफवाह भी उड़ा दी गई थी, इसका खंडन करने के लिए उन्हें अपना वीडियो जारी करना पड़ा था।
संस्था संस्थापक सचिव एवं हास्य कवि रमेश मुस्कान ने बताया कि संस्था आगरा में पंजीकृत है, इसमें सौ से अधिक कवि पंजीकृत हैं। इसके अध्यक्ष अरुण जैमिनी, सह सचिव चिराग जैन और कोषाध्यक्ष गोपाल दास नीरज के पुत्र शशांक प्रभाकर हैं। संस्था का पांचवा वार्षिक अधिवेधन 25व 26 जून को इंदौर स्थित एक रिसोर्ट में हुआ, जिसमें मध्यप्रदेश के डीजीपी होमगार्ड पवन जैन, डा. कुमार विश्वास, शैलेश लोढ़ा, सुरेंद्र शर्मा सहित देश के सौ से अधिक कवि शामिल हुए।
वरिष्ठ कवि सोम ठाकुर को लाइफ टाइम अचीवमेंट नीरज सम्मान से सम्मानित करते समिति पदाधिकारी। साथ हैं सुरेंद्र शर्मा और रमेश मुस्कान।
दो दिवसीय अधिवेधन में कवि सम्मेलन की दशा और दिशा पर विभिन्न सत्र में मंथन हुआ। सात वरिष्ठ कवियों को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया गया। प्रत्येक कवि को 51 हजार की सम्मान राशि का चैक डा. कुमार विश्वास के विश्वास ट्रस्ट की और से प्रदान किया। नीरज सम्मान आगरा के ख्याति प्राप्त गीतकार सोम ठाकुर को दिया गया। सत्यनारायण सत्तन, जगदीश सोलंकी, घनश्याम अग्रवाल, प्रो. सरोज कुमार, प्रमिला भारती और स्व प्रमोद तिवारी अन्य सम्मानित विभूतियों में शामिल थे।
डॉ. कुमार विश्वास ने कहा, कविता के मूल में युगबोध जरूरी
अधिवेशन में कवि सम्मेलन के मानक और सफलता विषय पर बोलते हुए डॉ विश्वास ने कहा कि शाश्वत व तात्कालिक, कविता के दो स्वरूप हैं, इनका समावेश ही कवि को लोकप्रिय बनाता है। किसी भी राज्य का सम्राट वीथियों में सम्मानित हो सकता है लेकिन अगर वह अपने घर में सम्मानित होने की अपेक्षा करता है तो उसका अहंकार परिलक्षित होता है। उन्होंने सम्मेलन को अगली बार तीन दिवसीय करने की बात रखी। उन्होंने यह भी कहा कि अधिवेशन में कवियों को सपरिवार बुलाया जाए, जिससे परिजन एक दूसरे के निकट आ सकें।
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि कवियों के बीच हुए किसी भी विवाद को सोशल मीडिया पटल पर कदापि ना लाएं, इसके लिए बड़ों से मार्गदर्शन लेते हुए घर में ही समस्या का समाधान करें। जनता कवियों को सेलिब्रिटी के रूप में देखती है अतः उन्हें संशय का अवसर न दें। कविता कवि के व्यवसाय का मूल है अतः सौंदर्य सजावट इत्यादि को तीस फीसदी व कविता को सत्तर प्रतिशत स्थान दें।
उन्होंने कहा कि कवि सम्मेलन समिति काव्य जगत में क्रांति की स्थापना करेगी। उन्होंने देशभर के कवियों को उनके प्रांतों में रोडवेज व रेल मार्ग के पास दिलाए जाने की व्यवस्था पर भी चर्चा की। कवि सम्मेलन समिति के सदस्यों के कल्याणार्थ कविकोष की स्थापना, दिल्ली में केंद्रीय कवि भवन व लीगल सेल बनाए जाने का प्रस्ताव रखने के साथ ही अगले वर्ष से अपने गुरु डॉ कुंवर बेचैन के नाम से एक लाख का सम्मान शुरू करने की घोषणा की।
सम्मेलन में भाग लेने देशभर से पहुंचे कवि।
रचनाधर्मिता के प्रति समर्पण अनिवार्य: शैलेश लोढ़ा
टेलीविजन के कविता आधारित शो वाह भाई वाह और वाह वाह क्या बात है के एंकर टीवी स्टार व कवि शैलेश लोढ़ा ने कहा कि कविता के क्षेत्र में लोकप्रियता हासिल करने के लिए रचना धर्मिता के प्रति समर्पण अनिवार्य है। टीवी पर पहुंचना लक्ष्य हो सकता है पर इसके लिए जल्दबाजी उचित नहीं है।
टेलीविजन युग और हिंदी कवि सम्मेलन विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि कवि सम्मेलन मंच और टीवी दो अलग-अलग पटल है और दोनों के प्रस्तुतीकरण में व्यवहारिक अंतर है इन्हें समझा जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि अच्छा लिखने के लिए अच्छा पठन-पाठन भी जरूरी है। कविता व मंच के प्रति ईमानदारी रखते हुए श्रोता के मन में इसके प्रति विश्वास जागृत करना कवि की जिम्मेदारी है।उन्होंने कहा कि कवि स्वाभिमानी होता है। वह निर्धन तो हो सकता है लेकिन निराश नहीं।
अपने 40 वर्ष के मंचीय अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि नवोदित कवि को वरिष्ठ कवियों के प्रति सम्मान, धैर्य और मंचीय मर्यादा का पालन करते हुए जिम्मेदारी के साथ आगे बढ़ना चाहिए। विभिन्न चैनलों पर चल रहे कविता के शो आकर्षित तो करते हैं लेकिन वहां पहुंचने के लिए धैर्य और समझदारी बहुत आवश्यक है। उन्होंने टीवी पर पहुंचने की प्रक्रिया से जुड़े कवियों के सवालों पर भी विस्तार से जवाब दिए।