वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन कोषागार में काम और हुआ भुगतान
-दिन भर आते रहे सरकारी विभागों के बिल आखिरी दिन 51 करोड़ रुपये का भुगतान
By Edited By: Published: Mon, 01 Apr 2019 07:00 AM (IST)Updated: Mon, 01 Apr 2019 07:00 AM (IST)
आगरा, जागरण संवाददाता। वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन शनिवार को कोषागार में दिन भर विभागों के भुगतान हुए, तो कर्मचारी रात में भी काम में डाटा की फीडिंग करते रहे। आखिरी दिन करीब 51 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। आखिरी दिन कई विभागों को बजट मिला। शनिवार को रात में कोषागार में काम हुआ तो रविवार को आखिरी दिन भी खासी मशक्कत होती रही। आखिरी दिन विभिन्न विभागों का करीब 51 करोड़ रुपये का देर शाम तक भुगतान किया गया। डीएम के फरमान के बाद देर रात तक दफ्तर खुले रहे। शनिवार देर रात कोषागार खुला रहा, तो सुबह से फिर कर्मचारी जुट गए। दिन भर विभिन्न विभागों के बिल आते रहे। उनका डाटा फीड किया गया। रविवार को वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन 15 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। स्वास्थ्य, शिक्षा को खूब मिला बजट स्वास्थ्य विभाग, एसएन मेडिकल कॉलेज, माध्यमिक शिक्षा और पुलिस विभाग को आखिरी दिन खूब बजट मिला। सीएमओ को औषधि खरीदने के लिए 35 लाख का बजट मिला, वहीं अन्य मदों में 7.35 लाख का बजट। इसी तरह बिजली के मद में 32 लाख रुपये का बजट मिला। पुलिस को बिजली बिल के मद में 1 करोड़ का बजट मिला। एसएन मेडिकल कॉलेज के डीए के मद में 5.44 लाख, वेतन के मद में 30 लाख रुपये का बजट मिला। वहीं सामग्री के मद में 45 हजार रुपये मिले। माध्यमिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों के जनवरी से वेतन बिल फंसे थे। इस मद में आखिरी दिन 2.90 करोड़ रुपये का बजट मिला। डीएम कार्यालय से मोटर खरीद के मद में 19 लाख रुपये का बजट मिला। किसी ने लक्ष्य पाया, कोई रहा दूर वित्तीय वर्ष खत्म होते-होते कोई विभाग वसूली लक्ष्य पा गया, तो कोई लक्ष्य से दूर रहा। नगर निगम इस वित्तीय वर्ष में नगर निगम का हाउस टैक्स का लक्ष्य 50 करोड़ रुपये था, इसके सापेक्ष निगम ने पूरी वसूली कर ली। जबकि बीते वर्ष 27 करोड़ के सापेक्ष 30 करोड़ की वसूली की थी। जल संस्थान इस वित्तीय वर्ष में 100 करोड़ रुपये की राजस्व वसूली का लक्ष्य था। जल संस्थान लक्ष्य से दूर रहा। अंतिम दिन तक महज 70 करोड़ की वसूली हो पाई। एडीए एडीएम को इस वित्तीय वर्ष में राजस्व वसूली का 282 करोड़ रुपये का लक्ष्य मिला था। लेकिन आखिरी दिन तक केवल 80 करोड़ रुपये की ही वसूली हो पाई। आबकारी विभाग आबकारी को वित्तीय वर्ष में 11 सौ करोड़ का लक्ष्य मिला था। इसके सापेक्ष 11 सौ करोड़ रुपये की राजस्व की प्राप्ति हुई।
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