Land Scam: लीज और सेल डीड की जांच से खुलेगा जोंस मिल की जमीन का फर्जीवाड़ा
Land Scam तहसील प्रशासन ने उप निबंधक पंचम अशोक कुमार से मांगे सभी प्रमाणित दस्तावेज। 23 खसरों में मिली 34.74 हेक्टेअर के आसपास जमीन टीम तैयार कर रही नक्शा।
आगरा, अमित दीक्षित। जीवनी मंडी स्थित जोंस मिल की जमीन में फर्जीवाड़ा का पता लगाने के लिए लीज डीड (पट्टा विलेख) और सेल डीड (विक्रय पत्र) की जांच की जाएगी। यह ऐसे दस्तावेज हैं जो इस बात का सुबूत देंगे कि मैसर्स ए. जोंस एंड कंपनी ने कितने साल और कब तक के लिए जमीन ली थी। फिर जमीन किसे और कब दी गई। इसका पूरा उल्लेख सामने आ जाएगा। इससे सरकारी जमीन पर कब्जा करने वाले लोग आसानी से बेनकाब हो सकेंगे। खासकर जो जमीन खाली पड़ी है। जिला प्रशासन सबसे पहले उसे बचाया जाएगा। फिर बाकी की जमीन किस तरीके से प्रशासन के नाम होगी। इस पर विविध राय लेने के बाद आगे कदम बढ़ाया जाएगा। तहसील सदर प्रशासन ने उप निबंधक पंचम अशोक कुमार से जल्द से जल्द दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए कहा है। वहीं जोंस मिल की जमीन की पैमाइश पूरी हो गई है। 23 खसरों में 34.74 हेक्टेअर जमीन मिली है। दर्जनभर मल्टी स्टोरी बिल्डिंग, तीन पेट्रोल पंप, एक हजार के करीब भवन व दुकानें, दर्जनभर से अधिक धार्मिक स्थल प्रमुख रूप से शामिल है। पैमाइश खत्म होने के बाद अब नक्शा तैयार किया जा रहा है।
उप निबंधक पंचम से यह मांगे गए दस्तावेज
- लीज डीड, 15 जून 1900, कुंवर कन्हाई सिंह, मैसर्स ए. जोंस एंड कंपनी
- लीज डीड, 19 अक्टूबर 1900, कलेक्टर आगरा, मैसर्स ए. जोंस एंड कंपनी
- लीज डीड, 31 अक्टूबर 1904, महंत रामनाथ और कृपंथ-जानकीनाथ, मैसर्स ए. जोंस एंड कंपनी
- लीज डीड, 27 अप्रैल 1906, कुंवर कन्हाई सिंह, मैसर्स ए. जोंस एंड कंपनी
- लीज डीड, सात अगस्त 1907, राजेश बलवंत सिंह, मैसर्स ए. जोंस एंड कंपनी
- लीज डीड, 27 नवंबर 1910, कुंवर कन्हाई सिंह, मैसर्स ए. जोंस एंड कंपनी
- सेल प्रमाण पत्र, 9 सितंबर 1912, कलेक्टर आगरा, मैसर्स ए. जोंस एंड कंपनी
- सेल डीड, 20 मार्च 1915, कलेक्टर ऑफ आगरा (भारत सरकार के सचिव के बदले), मैसर्स ए. जोंस एंड कंपनी
- सेल डीड, 29 मार्च 1915, कलेक्टर ऑफ आगरा (भारत सरकार के सचिव के बदले), मैसर्स ए. जोंस एंड कंपनी
- सेल प्रमाण पत्र, 22 फरवरी 1917, भारत सरकार द्वारा (कलेक्टर आगरा द्वारा), मैसर्स ए. जोंस एंड कंपनी
- सेल प्रमाण पत्र, 22 फरवरी 1917, भारत सरकार द्वारा (कलेक्टर आगरा द्वारा), मैसर्स ए. जोंस एंड कंपनी
- लीज डीड, 20 फरवरी 1920, गोपाल प्रसाद, मैसर्स ए. जोंस एंड कंपनी
वर्ष 1890 के रिकॉर्ड में पुलिस चौकी के नाम दर्ज है जमीन
भू माफिया और बिल्डरों के हौसले यूं ही बुलंद नहीं हैं। जब जीवनी मंडी पुलिस ही अपनी जमीन को कब्जे से नहीं बचा सकी तो आम आदमी का क्या होगा। इसका अनुमान खुद लगाया जा सकता है। राजस्व अभिलेखों में अंग्रेजों के शासन (वर्ष 1890) से खसरा नंबर 2072 की 1840 वर्ग मीटर जमीन जीवनी मंडी पुलिस चौकी के नाम दर्ज है। चौकी और आवासीय भवन भी थे। पहली बार वर्ष 1964 में जमीन की पैमाइश हुई थी। तब भी यह जमीन पुलिस के नाम थी। फिर जमीन पर कब्जे होते रहे। यहां तक पुलिस ने कोई ध्यान नहीं दिया। पुलिस चौकी की जमीन पर कब्जा होने के बाद पुलिस-प्रशासन ने इसकी जांच शुरू कर दी है। एसडीएम सदर गरिमा सिंह की निगरानी में एक राजस्व निरीक्षक सहित पांच सदस्यीय कमेटी गठित की गई है। बुधवार को अवकाश के बाद भी टीम ने जांच की। तहसील सदर में पुराने नक्शों को तलाशा गया। दो नक्शे नहीं मिले हैं। एसडीएम सदर ने बताया कि जल्द ही मामले की जांच कर रिपोर्ट डीएम को भेज दी जाएगी।
डूब क्षेत्र के आधा दर्जन से अधिक पिलरों से छेड़छाड़
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश पर यमुना नदी के डूब क्षेत्र की जांच हुई थी। जोंस मिल व उसके आसपास के क्षेत्र में डूब क्षेत्र आता है। खसरा नंबर 2070 में एक हजार वर्ग मीटर के आसपास जमीन है। जिस पर कब्जा हो गया है। वहीं डूब क्षेत्र में दर्जनभर पिलर लगाए गए थे। इसमें आधा दर्जन पिलर नहीं मिले हैं। वैसे डूब क्षेत्र में आस्था सिटी सहित कई अन्य बिल्डिंग का कुछ हिस्सा आ रहा है। दो से तीन पिलर ऐसे हैं। जिसे एक जगह से उखाड़कर सौ मीटर यमुना की तरह लगा दिया गया है।
तीन पेट्रोल पंपों के दस्तावेजों की चल रही जांच
जोंस मिल में तीन पेट्रोल पंप खुले हुए हैं। तहसील सदर टीम सभी दस्तावेजों को एकत्रित कर उनकी बारीकी से जांच कर रही है। जांच में यह पंप सरकारी जमीन पर मिले हैं। सरकारी जमीन पर पंप होने पर इन्हें आॅयल कंपनी ने कैसे अनुमति दे दी। तहसील प्रशासन इसकी भी जांच कर रहा है।
'उप निबंधक पंचम से कुछ दस्तावेजों की जानकारी मांगी गई है। यह दस्तावेजों लीज और सेल डीड के हैं। वहीं जाेंस मिल की जमीन की पैमाइश पूरी हो चुकी है। नक्शा बनाने का काम चल रहा है।'
निधि श्रीवास्तव, अध्यक्ष जांच समिति और एडीएम प्रशासन