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Purushottam Month 2020: आज से शुरू हुआ अधिक मास, जानिए क्यों आता है हर तीन साल बाद

Purushottam Month 2020 श्राद्धपक्ष के बाद हर बार शुरू होते हैं शारदीय नवरात्र। इस वर्ष पुरुषाेत्तम मास के होने से आगे बढ़े नवरात्र।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Fri, 18 Sep 2020 02:45 PM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 02:45 PM (IST)
Purushottam Month 2020: आज से शुरू हुआ अधिक मास, जानिए क्यों आता है हर तीन साल बाद
Purushottam Month 2020: आज से शुरू हुआ अधिक मास, जानिए क्यों आता है हर तीन साल बाद

आगरा, जागरण संवाददाता। गुरुवार को श्राद्धपक्ष समाप्त होने के बाद शुक्रवार से पुरुषाेत्तम मास आरंभ हो चुका है। इस वजह से शुक्रवार से शुरू होने वाले शारदीय नवरात्र अब आगे बढ़ चुके हैं। एक मास बाद नवरात्र आरंभ होंगे। धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी के अनुसार अधिकमास हर तीन साल में एक बार आता है। इसे मलमास और पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार सूर्य जब बृहस्पति की राशि मीन में प्रवेश करते हैं तब खरमास, मलमास व अधिमास प्रारंभ हो जाता है। यह विशेष मास एक माह तक जारी रहता है। इस एक माह को लेकर ऐसी मान्यता है की अधिकमास में किए गए धार्मिक कार्यों का किसी भी अन्य माह में किए गए पूजा-पाठ से कई गुना अधिक फल मिलता है। यही वजह है कि श्रद्धालु जन अपनी पूरी श्रद्धा और शक्ति के साथ इस मास में भगवान को प्रसन्न करने में जुट जाते हैं। यह विशेष माह में किसी प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।

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जानें पवित्र माह को कहा जाता है मलमास

पुराणों के अनुसार कहा जाता है कि भारतीय मनीषियों ने अपनी गणना पद्धति से हर चंद्र मास के लिए एक देवता निर्धारित किए गए थे। लेकिन अधिकमास के अधिपत्य लिए कोई देवता तैयार नहीं हुआ क्योंकि इस माह में सूर्य और चंद्र मास के बीच संतुलन बनाने के लिए प्रकट हुआ था। जिसके बाद ऋषि-मुनियों के आग्रह के बाद अधिकमास का भार भगवान विष्णु ने अपने उपर ले लिया। इसीलिए मलमास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है।अधिकमास के अधिपति स्वामी भगवान विष्णु माने जाते हैं।

हर तीन साल बाद क्यों आता है अधिकमास

भारतीय ज्योतिष में सूर्य मास और चंद्र मास की गणना के अनुसार चलता है। अधिकमास चंद्र वर्ष का एक अतिरिक्त भाग है, जो हर 32 माह, 16 दिन और 8 घड़ी के अंतर से आता है। इसका प्राकट्य सूर्य वर्ष और चंद्र वर्ष के बीच अंतर का संतुलन बनाने के लिए होता है। भारतीय गणना पद्धति के अनुसार प्रत्येक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है, वहीं चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है। दोनों वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है, जो हर तीन वर्ष में लगभग 1 मास के बराबर हो जाता है। इसी अंतर को पाटने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास अस्तित्व में आता है, जिसे अतिरिक्त होने के कारण अधिकमास का नाम दिया गया है ।

यह है पौराणिक कथा

पुराणों में अधिकमास यानी मलमास के पुरुषोत्तम मास बनने की बड़ी ही रोचक कथा है। उस कथा के अनुसार, स्वामीविहीन होने के कारण अधिकमास को 'मलमास' कहने से उसकी बड़ी निंदा होने लगी। इस बात से दु:खी होकर मलमास श्रीहरि विष्णु के पास गया और उनसे दुखड़ा रोया। भक्तवत्सल श्रीहरि उसे लेकर गोलोक पहुचे। वहां श्रीकृष्ण विराजमान थे। करुणासिंधु भगवान श्रीकृष्ण ने मलमास की व्यथा जानकर उसे वरदान दिया- अब से मैं तुम्हारा स्वामी हूं। इससे मेरे सभी दिव्य गुण तुम में समाविष्ट हो जाएंगे। मैं पुरुषोत्तम के नाम से विख्यात हूं और मैं तुम्हें अपना यही नाम दे रहा हूं। आज से तुम मलमास के बजाय पुरुषोत्तम मास के नाम से जाने जाओगे। 


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