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Chaitra Navratri 2021: जानिए किन औषधियों को कहा गया है नवदुर्गा और किस रोग में करती हैं फायदा

Chaitra Navratri 2021 हरण ब्राह्मी चंदुसुर शतावरी पेठा अलसी तुलसी मोइया नागदौन जैसी नौ औषधियों को नवदुर्गा कहा गया है। ये औषधियां आयुर्वेद में रखती हैं विशेष स्थान। असाध्य रोगों के उपचार में आती हैं प्रयोग। हर औषधि में होता है देवी का वास।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sat, 17 Apr 2021 03:14 PM (IST)Updated: Sat, 17 Apr 2021 03:14 PM (IST)
नौ दिन के विशेष दिनों में औषिधियों का भेद।

आगरा, जागरण संवाददाता। मां भगवती के विशेष दिन नवरात्र चल रहे हैं। आज पांचवा नवरात्र है। सनातन धर्म में हर तथ्य कहीं न कहीं विज्ञान पर आधारित रहा है। या कहें कि विज्ञान पूरी तरह से आध्यात्म पर आधारित है। विशेषकर आयुर्वेद। आज महामारी के दाैर में लोग वापस से अपनी पद्वति अपने सनातन धर्म की ओर लौट रहे हैं। काढ़ा बनाकर पीने के साथ ही उपचार के लिए भी अंग्रेजी दवाओं से पहले अपनी देशी शक्तियों का प्रयोग कर रहे हैं। इन सभी के साथ क्या आप जानते हैं कि हमारी नौ विशेष आयुर्वेदिक औषधियों को नवदुर्गा कहा जाता है। आइये ज्योतिषाचार्य डॉ शाेनू मेहरोत्रा से जानते हैं नौ दिन के विशेष दिनों में औषिधियों का भेद।

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प्रथम शैलपुत्री (हरड़) 

कई प्रकार के रोगों में काम आने वाली औषधि हरड़ हिमावती है जो देवी शैलपुत्री का ही एक रूप है। यह आयुर्वेद की प्रधान औषधि है यह पथया, हरीतिका, अमृता, हेमवती, कायस्थ, चेतकी और श्रेयसी सात प्रकार की होती है।

 ब्रह्मचारिणी (ब्राह्मी)

ब्राह्मी आयु व याददाश्त बढ़ाकर, रक्तविकारों को दूर कर स्वर को मधुर बनाती है। इसलिए इसे सरस्वती भी कहा जाता है। 

चंद्रघंटा (चंदुसूर)

 यह एक ऎसा पौधा है जो धनिए के समान है। यह औषधि मोटापा दूर करने में लाभप्रद है इसलिए इसे चर्महंती भी कहते हैं।

कूष्मांडा (पेठा)

 इस औषधि से पेठा मिठाई बनती है। इसलिए इस रूप को पेठा कहते हैं। इसे कुम्हड़ा भी कहते हैं जो रक्त विकार दूर कर पेट को साफ करने में सहायक है। मानसिक रोगों में यह अमृत समान है।

स्कंदमाता (अलसी)

 देवी स्कंदमाता औषधि के रूप में अलसी में विद्यमान हैं। यह वात, पित्त व कफ रोगों की नाशक औषधि है।

 कात्यायनी (मोइया)

 देवी कात्यायनी को आयुर्वेद में कई नामों से जाना जाता है जैसे अम्बा, अम्बालिका व अम्बिका। इसके अलावा इन्हें मोइया भी कहते हैं। यह औषधि कफ, पित्त व गले के रोगों का नाश करती है।

कालरात्रि (नागदौन)

 यह देवी नागदौन औषधि के रूप में जानी जाती हैं। यह सभी प्रकार के रोगों में लाभकारी और मन एवं मस्तिष्क के विकारों को दूर करने वाली औषधि है। 

महागौरी (तुलसी)

तुलसी सात प्रकार की होती है सफेद तुलसी, काली तुलसी, मरूता, दवना, कुढेरक, अर्जक और षटपत्र। ये रक्त को साफ कर ह्वदय रोगों का नाश करती है।

सिद्धिदात्री (शतावरी) 

दुर्गा का नौवां रूप सिद्धिदात्री है जिसे नारायणी शतावरी कहते हैं। यह बल, बुद्धि एवं विवेक के लिए उपयोगी है।  


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