Move to Jagran APP

Sushant Singh Rajput मामले से सुर्खियों में आईं नारकोटिक्स दवाएं जानिए होती हैं क्या ? युवा कर रहे धड़ल्ले से इस्तेमाल

रिया चक्रवती ने ह्रदय रोग विशेषज्ञ से बाईपोलर डिसऑर्डर की दवाएं लिखवाने पर दर्ज कराई है शिकायत। एनडीपीएस एक्ट में मनोचिकित्सक और प्रशिक्षित डॉक्टर ही लिख सकते हैं मनोरोग को।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Thu, 10 Sep 2020 05:57 PM (IST)Updated: Thu, 10 Sep 2020 05:57 PM (IST)
Sushant Singh Rajput मामले से सुर्खियों में आईं नारकोटिक्स दवाएं जानिए होती हैं क्या ? युवा कर रहे धड़ल्ले से इस्तेमाल
Sushant Singh Rajput मामले से सुर्खियों में आईं नारकोटिक्स दवाएं जानिए होती हैं क्या ? युवा कर रहे धड़ल्ले से इस्तेमाल

आगरा, जागरण संवाददाता। सुशांत सिंह राजपूत मामले से ड्रग्स कनेक्शन के साथ नारकोटिक्स ( नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थ, एनडीपीएस) की दवाओं का दुरुपयोग सुर्खियों में है। प्रतिबंधित नारकोटिक्स की दवाएं डॉक्टर के पर्चे और बिना पर्चे के भी मेडिकल स्टोर से मिल रही हैं। इन दवाओं को युवा नशे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं, इससे उन्हें नारकोटिक्स की दवाओं की लत लग रही है।

loksabha election banner

रिया चक्रवती ने बांद्रा थाना मुंबई में दर्ज कराई शिकायत में सुशांत की बहन प्रियंका सिंह और दिल्ली स्थित राम मनोहर लोहिया अस्पताल में कार्यरत डॉ तरुण कुमार के खिलाफ जालसाजी के लिए भारतीय दंड संहिता के संबंधित प्रावधानों, नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थ (एनडीपीएस) कानून एवं टेलीमे​डिसिन के दिशानिर्देशों के तहत मामला दर्ज कराया है। एनडीपीएस एक्ट, मेंटल हेल्थ केयर एक्ट 2017 के सख्त प्रावधानों में नारकोटिक्स की प्रतिबंधित दवाएं मनोचिकित्सक ही लिख सकते हैं। मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय, आगरा के प्रमुख अधीक्षक डॉ दिनेश राठौर ने बताया कि बाईपोलर डिसऑर्डर सहित मनोरोग का इलाज मनोचिकित्सक और इस विधा में प्रशिक्षित चिकित्सक ही कर सकते हैं। ऐसा इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि बाईपोलर डिसऑर्डर में मरीज कुछ दिनों तक उन्माद में रहता है, इसके बाद डिप्रेशन में चला जाता है। इन दोनों केस में अलग अलग तरह की दवाएं देनी होती हैं। इसके साथ ही मूड स्टेबलाइजर्स दिए जाते हैं। मगर, सामान्य प्रैक्टिस में हर डॉक्टर एनडीपीएस की प्रतिबंधित दवाएं लिख रहे हैं। एक बार डॉक्टर का पर्चा लेने के बाद मरीज उन्हीं दवाओं को लेते रहते हैं। इसमें कम उम्र के मरीजों की संख्या अधिक है। उन्हें इन दवाओं की लत लग रही है। नशे के लिए नारकोटिक्स की दवाओं का दुरुपयोग करने वाले युवा डॉक्टर से पर्चे पर दवा और इंजेक्शन लिखवा रहे हैं। उसी पर्चे पर कई साल तक दवा लेकर खाते रहते हैं।

2014 में विदेशी युवक युवती के होटल में मिले थे शव, मिली थी नींद की दवाएं

अक्टूबर 2014 में ताजगंज के होटल माया में ब्रिटेन के रहने वाले जेम्स ओलिवर गेस्केल 28 और एलेक्जेंडर निकोला ​लोविस गेस्केल 24 के शव मिले थे। इनके कमरे से डाइजापाम और स्पासमो प्रोक्सीमोन की टेबलेट मिली थी, पर्यटकों से मिली डायरी में लिखा था कि उन्होंने दिल्ली के किसी डॉक्टर से नींद के लिए दवा लिखवाईं थी, भारत में इस तरह की दवाएं आसानी से मिल जाती हैं।

सीमित जगह मिलें नारकोटिक्स की दवाएं

मनोचिकित्सक डॉ यूसी गर्ग का कहना है कि नारकोटिक्स की दवाओं का दुरुपयोग रोकने के लिए सीमित जगह पर यह दवाएं मिलनी चाहिए। डॉक्टर ने पर्चे पर एक महीने की दवा लिखी है तो एक महीने की ही दवा दी जाए। इसके बाद दवा नहीं दी जानी चाहिए। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.