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Nirjala Ekadashi 2021: निर्जला एकादशी कल, शिव योग के साथ है सिद्धि योग

Nirjala Ekadashi 2021 हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी का है बहुत अधिक महत्व। व्रत धारण कर दान-पुण्य करते हैं श्रद्धालु लगाते हैं प्याऊ। इस दिन शिव योग सोमवार शाम 534 बजे तक रहेगा। इसके बाद सिद्धि याेग लग जाएगा।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sun, 20 Jun 2021 11:51 AM (IST)Updated: Sun, 20 Jun 2021 11:51 AM (IST)
Nirjala Ekadashi 2021: निर्जला एकादशी कल, शिव योग के साथ है सिद्धि योग
हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी का है बहुत अधिक महत्व।

आगरा, जागरण संवाददाता। सोमवार को निर्जला एकादशी मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में एकादशी का काफी महत्व है। भगवान विष्णु और लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। निर्जला एकादशी को व्रत धारण करने वाले श्रद्धालु पानी भी नहीं पीते हैं। इस बार निर्जला एकादशी पर शिव योग के साथ सिद्धि योग भी है।

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हिंदू पंचांग के अनुसार माह में दो बार एकादशी होती है। एकादशी के व्रत में भगवान विष्णु के साथ लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी मनाई जाती है। इसे भीमसेन, पांडव और भीम एकादशी के नाम से भी जानते हैं। निर्जला एकादशी के दिन व्रत धारण करने वाले व्यक्ति को बिना पानी पिए रहना होता है। एकादशी के अगले दिन व्रत का पारण होता है। निर्जला एकादशी पर दान-पुण्य का बहुत महत्व है। लोग अपनी शक्ति के अनुसार फल, वस्त्र दान करते हैं। शीतल जल से भरे मिट्टी के पात्र भी दान किए जाते हैं। इसके साथ ही जगह-जगह शर्बत की प्याऊ भी लगाई जाती हैं।

पं. चंद्रेश कौशिक ने बताया कि निर्जला एकादशी उदया तिथि के अनुसार सोमवार को मनाई जाएगी। इस दिन शिव योग के साथ सिद्धि योग भी बन रहा है। शिव योग सोमवार शाम 5:34 बजे तक रहेगा। इसके बाद सिद्धि याेग लग जाएगा।

शुभ मुहूर्त

एकादशी आरंभ: रविवार शाम 4:21 बजे।

एकादशी समाप्त: मंगलवार दोपहर 1:31 बजे।

एकादशी व्रत का पारण: बुधवार सुबह 5:24 से सुबह 8:12 बजे।

ऐसे करें पूजा

-सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।

-घर के मंदिर में दीपक जलाएं।

-भगवान विष्णु का गंगाजल से अभिषेक करें।

-भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।

-संभव हो तो व्रत धारण करें।

-भगवान विष्णु की आरती कर भोग लगाएं।

-भगवान को सात्विक चीजों का ही भोग लगाएं।

-भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें।

-भगवान विष्णु के साथ लक्ष्मी जी की भी पूजा करें।

-भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें। 


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