ShriKrishna JanamBhoomi: श्रीराम मंदिर की नींव रखे जाने का ही था इंतजार, श्रीकृष्ण जन्मभूमि केस के पीछे ये है वादी टीम
श्रीकृष्ण जन्मस्थान प्रकरण मेंं पिछले डेढ़ वर्ष से की जा रही थी तैयारी। जैन पिता-पुत्र रंजना व करुणेश राममंदिर मुकदमे में रहे हैैं अधिवक्ता। आठ वादी हैैं इनमें श्रीकृष्ण विराजमान व अस्थान श्रीकृष्ण भूमि भी शामिल। दो वरिष्ठ अधिवक्ता कर रहे हैैं मुकदमे की पैरवी।
आगरा, संजय रुस्तगी। श्रीकृष्ण जन्मस्थान मुकदमे का ताना-बाना श्रीराम मंदिर मुकदमे से जुड़ी चौकड़ी ने ही बुना है। मुकदमे की तैयारी डेढ़ वर्ष पहले से चल रही थी। वादी टीम कई बार जन्मस्थान का दौरा भी कर चुकी है। दावा दायर करने वालों में हरिशंकर जैन व विष्णुशंकर जैन पिता-पुत्र, मुख्य वादी रंजना अग्निहोत्री व करुणेश शुक्ला पेशे से अधिवक्ता हैैं। चारों श्रीराम मंदिर के मुकदमे से भी जुड़े रहे हैं।
श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर से शाही मस्जिद ईदगाह को हटाने और 1968 में हुए समझौते को रद करने का दावा सिविल जज सीनियर डिवीजन, मथुरा छाया शर्मा के कोर्ट में दायर किया गया है। दावे में श्रीकृष्ण विराजमान, अस्थान श्रीकृष्ण जन्मभूमि के अलावा छह वादी हैैं। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन व उनके पुत्र विष्णु शंकर जैन दावे की पैरवी कर रहे हैैं।
ऐसे बनी रणनीति
मामले में कुछ वादी चारों अधिवक्ताओं से पहले से जुड़े थे, कुछ डेढ़ वर्ष पहले ही जुड़े। अयोध्या में श्रीराम मंदिर की नींव रखे जाने के बाद श्रीकृष्ण जन्मस्थान के लिए मुकदमा दायर करना तय हो गया। सभी को अलग-अलग साक्ष्य एकत्र करने का जिम्मा दिया गया। मौका मुआयना करने के लिए टीम श्रीकृष्ण जन्मस्थान आई। पूरी तैयारी के साथ 25 सितंबर को दावा दायर किया गया है।
ये है टीम
हरिशंकर जैन व विष्णुशंकर जैन
दोनों पिता-पुत्र सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हैैं। श्रीराम मंदिर के पक्ष में दोनों ने मुकदमा लड़ा है। हरिशंकर जैन 40 वर्ष तक मुकदमा लड़े और विष्णुशंकर जैन 10 वर्ष। श्रीकृष्ण जन्मस्थान के मुकदमे में दोनों अधिवक्ता हैैं।
रंजना अग्निहोत्री: लखनऊ की रंजना अग्निहोत्री पेशे से अधिवक्ता हैैं। यह भी श्रीराम मंदिर के मुकदमे में 1995 से पैरोकार रही हैैं। ङ्क्षहदू साम्राज्य परिषद की साम्राज्य अध्यक्ष हैं।
करुणेश शुक्ला: बस्ती के मूल निवासी करुणेश शुक्ला हनुमान गढ़ी, अयोध्या में नगा साधु रहे हैं। वहीं इन्होंने पढ़ाई की। वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में वकालत करते हैं। साढ़े तीन वर्ष पहले इन्होंने श्रीराम मंदिर मुकदमे में महंत धर्मदास की ओर से पैरवी की थी।
प्रवेश कुमार: बागपत के मूल निवासी प्रवेश कुमार दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करते हैैं। विभिन्न ङ्क्षहदुत्ववादी संगठनों से जुड़े रहे हैैं। मस्जिदों से बजने वाले लाउडस्पीकर के खिलाफ राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) भी गए थे।
राजेश मणि त्रिपाठी: सिद्धार्थनगर के मूल निवासी राजेश मणि वर्तमान में लखनऊ में रहते हैैं। ङ्क्षहदू समाज पार्टी व इस्लाम मुक्त भारत अभियान से जुड़े हैैं। अधिवक्ता हरिशंकर जैन के करीबी भी हैैं।
शिवाजी सिंह: सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त शिवाजी सिंह लखनऊ में रहते हैं। इनका कहना है कि भगवान श्रीकृष्ण की भूमि पर कब्जा देखकर उनकी भावनाएं आहत हुईं। लिहाजा वह मुकदमे से जुड़ गए।
त्रिपुरारी तिवारी: सासाराम (बिहार) के मूल निवासी त्रिपुरारी तिवारी लखनऊ में देव देवालय संस्थान का संचालन करते हैैं।