Progressive Farmer: सुहागनगरी में सुनहरी बाली से निकला काला गेहूं, जानिए क्या है विशेषता
Progressive Farmer जिले में प्रायोगिक तौर पर चालीस बीघा से ज्यादा में हुआ गेहूं का उत्पादन। सामान्य गेहूं की तुलना में पोषक तत्व होते हैं ज्यादाकीमत भी ज्यादा। काले गेहूं में माइक्रो न्यूट्रीएंट्स और फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है।
आगरा, डॉ राहुल सिंघई। खेती में होने वाले नए प्रयोगों में अबकी बार सुहागनगरी फीरोजाबाद में काले गेहूं का उत्पादन हुआ है। सामान्य गेहूं की सुनहरी बालियों में गेहूं के काले दाने आसपास के किसानों के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है। जिले में प्रगतिशील किसानों के अलावा कृषि विभाग ने भी प्रायोगिक तौर पर इसका उत्पादन किया है। चालीस बीघा से ज्यादा में काले गेहूं की फसल हुई है। अगले साल इसका रकबा बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है। जिले में रबी की फसल में होने वाले गेहूं का रकबा एक लाख हैक्टेयर के आसपास है। यहां अब तक गेहूं की पांच प्रजातियां (एचडी 3086, 343, डीबीडब्लू 590, डीबीडब्लू 107, एचडी 2967) बोई जाती है। पंजाब के मोहाली स्थित नेशनल एग्री फूड बायो टैक्नालाजी इंस्टीट्यूट में काले गेहूं का बीज विकसित किया गया था। इसके बाद उत्तर प्रदेश के कई जिलों में इसका उत्पादन शुरू हुआ। जिले के सिरसागंज में प्रगतिशील किसान देवीदयाल ने पिछले वर्ष पांच बीघा में काले गेहूं की फसल की थी। प्रति बीघा तीन कुंतल गेहूं की उपज हुई थी। इस वर्ष उन्होंने 25 बीघा में खेती की थी। देवी दयाल बताते हैं कि इस बार मौसम के कारण थोड़ी फसल प्रभावित हुई है। साठ कुंतल गेहूं निकला है।
उत्पादन थोड़ा कम है, लेकिन कीमत तीन गुनी
देवीदयाल बताते हैं कि उन्होंने पंजाब के लुधियाना में पहली बार काला गेहूं देखा था। इसके बाद उन्होंने इसकी खेती शुरू की। लोग अब गेहूं खरीद रहे हैं। सामान्य गेहूं का उत्पादन एक बीघा में चार कुंतल होता है, जबकि इसकी उपज थोड़ी कम है। तीन कुंतल तक उपज आती है, लेकिन इसकी कीमत सात हजार कुंतल तक है।
ये है खासियत
कृषि विज्ञान केंद्र हजरतपुर के अध्यक्ष व वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा.तेज प्रकाश यादव बताते हैं कि काले गेहूं में माइक्रो न्यूट्रीएंट्स और फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है। इसके अलावा एंथोसाइनिन की मात्रा ज्यादा होती है। जो कि एंटी आक्सीटेंड है। शुगर, एनीमिया, मानसिक तनाव व कई रोगों में लाभकारी है। काला रंग होने के कारण चार्म भी अधिक है। हालांकि इसका उत्पादन कम होता है। कृषि विज्ञान केंद्र में इसका प्रायोगिक उत्पादन किया जा चुका है।
‘कृषि विभाग से काले गेहूं के बारे में जानकारी मिली थी। इस बार मैंने प्रयोग के तौर पर चार बीघा में फसल की है। गेहूं कटा हुआ पड़ा है। उम्मीद है अच्छी फसल होगी।’
प्रेमपाल सिंह, किसान नगला गिरधारी
‘पंजाब के लुधियाना से गेहूं मंगवाकर सरकारी भूमि पर पांच बीघा में काले गेहूं की खेती करवाई गई। काला गेहूं का वजन थोड़ा हल्का है। जिले में अभी इसका उत्पादन बहुत कम है, लेकिन आने वाले दिनों में इसका रकबा बढ़ेगा।’
हंसराज, उपनिदेशक कृषि