जीवन से दूर करने हैं कष्ट तो इस विधान से करें संकष्टी चतुर्थी का व्रत Agra News
तिल चौथ के नाम से भी इस दिन को मनाया जाता है। सोमवार को है गजानन की आराधना का पर्व।
आगरा, जागरण संवाददाता। जीवन में मंगल की कामना यदि करते हैं तो प्रथम पूज्य मंगलमूर्ति गजनान की आराधना करनी चाहिए। गजानन की अराधना के लिए साेमवार को विशेष दिन है। सोमवार को हर संकट को हरने वाली संकष्टी चतुर्थी व्रत है। धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी के अनुसार भविष्य पुराण में वर्णित है कि जब- जब मनुष्य भारी कष्ट में हो, संकट और मुसीबतों से घिरा हुआ हो अथवा निकट भविष्य में ऐसी आशंका हो तो उसे गणेश चतुर्थी व्रत करना चाहिए। इस व्रत के करने से इस लोक और परलोक दोनों ही सुधर जाते हैं।
हर माह में दो चतुर्थी व्रत पड़ते हैं लेकिन माघ माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी का खास महत्व माना गया है। इस तिथि को सकट चौथ, माघी चतुर्थी, संकष्टी चतुर्थी, तिल चौथ नाम से जाना जाता है। इस बार संकष्टी चौथ व्रत 13 जनवरी दिन सोमवार को रखा जायेगा।
संतान की मंगल कामना का व्रत
पंडित वैभव जोशी कहते हैं कि सकट चौथ का व्रत महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र और सुखी जीवन के लिए रखती हैं। ये व्रत निर्जला रखा जाता है और इस दिन भगवान गणेश की विधि विधान पूजा होती है। हर माह में दो चतुर्थी व्रत पड़ते हैं लेकिन माघ माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी का खास महत्व माना गया है।
व्रत की महिमा
एक बार देवता कई विपदाओं में घिरे थे। तब वह मदद मांगने भगवान शिव के पास आए। उस समय शिव के साथ कार्तिकेय तथा गणेशजी भी बैठे थे। देवताओं की बात सुनकर शिवजी ने कार्तिकेय व गणेशजी से पूछा कि तुम में से कौन देवताओं के कष्टों का निवारण कर सकता है। तब कार्तिकेय व गणेशजी दोनों ने ही स्वयं को इस कार्य के लिए सक्षम बताया। इस पर भगवान शिव ने दोनों की परीक्षा लेते हुए कहा कि तुम दोनों में से जो सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा करके आएगा वही देवताओं की मदद करने जाएगा। भगवान शिव के मुख से यह वचन सुनते ही कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल गए, परंतु गणेशजी सोच में पड़ गए कि वह चूहे के ऊपर चढ़कर सारी पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे तो इस कार्य में उन्हें बहुत समय लग जाएगा। तभी उन्हें एक उपाय सूझा। गणेश अपने स्थान से उठें और अपने माता-पिता की सात बार परिक्रमा करके वापस बैठ गए। परिक्रमा करके लौटने पर कार्तिकेय स्वयं को विजेता बताने लगे। तब शिवजी ने श्रीगणेश से पृथ्वी की परिक्रमा ना करने का कारण पूछा। श्रीगणेश ने कहा- ‘माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक हैं।’ यह सुनकर भगवान शिव ने गणेशजी को देवताओं के संकट दूर करने की आज्ञा दी। इस प्रकार भगवान शिव ने गणेशजी को आशीर्वाद दिया कि चतुर्थी के दिन जो तुम्हारा पूजन करेगा और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देगा उसके तीनों ताप यानी दैहिक ताप, दैविक ताप तथा भौतिक ताप दूर होंगे। इस व्रत को करने से व्रतधारी के सभी तरह के दुख दूर होंगे और उसे जीवन के भौतिक सुखों की प्राप्ति होगी। चारों तरफ से मनुष्य की सुख-समृद्धि बढ़ेगी। पुत्र-पौत्रादि, धन-ऐश्वर्य की कमी नहीं रहेगी।
सकट चौथ व्रत मुहूर्त
सकट चौथ सोमवार, जनवरी 13, 2020 को
सकट चौथ के दिन चन्द्रोदय समय – रात 08:33 बजे
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ– 13 जनवरी शाम 5:32 बजे से 14 जनवरी दोपहर 02:49 बजे तक
पूजन विधि
व्रती इस दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर दाहिने हाथ में पुष्प, अक्षत, गंध और जल लेकर संकल्प लेकर विद्या, धन, पुत्र, पौत्र प्राप्ति, समस्त रोगों से मुक्ति और समस्त संकटों से छुटकारे के लिए एवं श्री गणेश जी की प्रसन्नता के लिए संकष्ट चतुर्थी व्रत करता हूंं। इस संकल्प के बाद दिन भर मौन अथवा उपवास रखकर सामर्थ्यानुसार गणेश जी की मूर्ति को कोरे कलश में जलभरकर, मुंह बांध कर स्थापित करें। गजानन महाराज का चिंतन करते हुए उनका आह्वान करें फिर गणेश जी का धूप-दीप, गंध, पुष्प, अक्षत, रोली आदि से षोडशोपचार पूजन सांयकाल में करें। पूजन के अंत में 21 लड्डुओं का भोग लगाएं। इसमें 5 गणपति के सम्मुख भेंट कर शेष ब्राह्मणों और भक्तों में बांट दें। साथ में दक्षिणा भी दें और कहें रात में चंद्रोदय होने पर यथाविधि चन्द्रमा का पूजन कर छीरसागर आदि मंत्रों से अर्ध्यदान दें।