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Sharad Purnima: 2019: इस विधान से करेंगे पूजन तो मां लक्ष्‍मी आएंगी घर कोजागरी की रात Agra News

13 अक्‍टूकर को है इस वर्ष शरद पूर्णिमा। खीर का लगता है विशेष भोग। मां लक्ष्‍मी करती हैं रात्रि में विचरण।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Fri, 11 Oct 2019 02:41 PM (IST)Updated: Fri, 11 Oct 2019 02:41 PM (IST)
Sharad Purnima: 2019: इस विधान से करेंगे पूजन तो मां लक्ष्‍मी आएंगी घर कोजागरी की रात Agra News
Sharad Purnima: 2019: इस विधान से करेंगे पूजन तो मां लक्ष्‍मी आएंगी घर कोजागरी की रात Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। शरद के चांद में जब सोलह कलाओं के स्‍वामी श्री कृष्‍ण ने किया था महारास। वो रात जब अपनी पूर्णता बिखेरता है चांद। वाेे रात जब चांदनी अमृत के रूप में आकाश से बरसती है। जिस रात मां लक्ष्‍मी द्वार द्वार जाकर कोजागरी है पूछती हैं। जीं हां शरद पूर्णिमा त्‍योहार अपने आप में कई विशेषताएं समेटे हुए है। ज्‍योतिषाचार्य डॉ शोनू मेहरोत्रा के अनुसार महारास की रात्रि शरद पूर्णिमा की महिमा का वर्णन प्राचीन धर्मग्रंथों में विभिन्न रूपों में किया गया है। आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। इसी दिन से सर्दियों का आरम्भ माना जाता है।

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शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं के साथ उदित होकर अमृत की वर्षा करता है। इस रात को खीर बनाकर शरद पूर्णिमा की चांदनी में रखना चाहिए और सुबह भगवान को भोग लगाकर सभी को प्रसाद ग्रहण करना चाहिए। इसके पीछे मान्यता है कि चांद से बरसा अमृत औषधि का काम करता है। इससे मानसिक और दमा जैसे रोग नष्ट हो जाते हैं।

ज्‍योतिषाचार्य डॉ शोनू मेहरोत्रा

क्‍या है महारास

डॉ शोनू बताती हैं कि जब अमृत बरसाने वाली शरद पूर्णिमा को भगवान श्रीकृष्ण ने वृन्दावन में रासलीला का आयोजन किया, तो उसमें पुरुषों का प्रवेश वर्जित रखा गया था। उस महारास में एकमात्र पुरुष भगवान श्रीकृष्ण थे। महादेव के मन में रासलीला देखने की इच्छा इतनी प्रबल थी कि उसमें शामिल होने के लिए वे गोपिका का रूप धारण कर वृन्दावन पहुंच गए और श्रीकृष्ण की लीला का आनंद लिया। जगत कल्याण के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने महारासलीला शरद पूर्णिमा की रात ही की थी।

व्रत का विशेष महत्‍व

इस दिन संतान की कामना के लिए महिलाएं कोजागरी व्रत रखती हैं। इसके अलावा मां लक्ष्मी, राधाकृष्ण, शिव-पार्वती और कार्तिकेय की पूजा करने का विधान है। देवी भागवत पुराण के अनुसार, मां लक्ष्मी शरद पूर्णिमा की रात्रि यह देखने के लिए पृथ्वी पर विचरण करती हैं कि उस दिन कौन- कौन जागकर उनकी पूजा करता है। उसे मां लक्ष्मी धन-वैभव का आशीर्वाद देती हैं।

ऐसे करें पूजन

शरद पूर्णिमा के दिन श्री सूक्त और लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ कर 108 बार ‘ऊं श्री महालक्ष्म्यै स्वाहा' मंत्र की आहुति खीर से करनी चाहिए। रात में 100 या इससे ज्यादा दीपक जलाकर बाग- बगीचे, तुलसी और घर-आंगन में रखने चाहिए। शरद पूर्णिमा के दिन देश के कई तीर्थ स्थलों पर लाखों की संख्या मे श्रद्धालु खीर का सेवन करते हैं।

कैसे रखें व्रत

शरद पूर्णिमा के व्रत में व्रती को अपने इष्ट देव का पूजन करना चाहिए। व्रत में पूरी सात्विकता बरतनी चाहिए। यानि व्रत में तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए। व्रत-पूजन में इन्द्र देव और माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए।

पूजन सामग्री

पूजन सामग्री में धूप, दीप, नैवेद्य (खीर) इत्यादि को शामिल करना अच्छा माना गया है। पूजन के बाद ब्राह्मण भोजन कराना चाहिए। इसके बाद ब्राह्मण को यथा शक्ति दक्षिणा देनी चाहिए। लक्ष्मी जी का आशीर्वाद पाने के लिए इस पूर्णिमा पर रात्रि जागरण का विशेष महत्व है। इसलिए व्रती को चाहिए कि पूर्णिमा की रात्रि में जागरण करे। व्रती को चन्द्र को अर्घ्य देने के बाद ही अन्न ग्रहण करना चाहिए।

विभिन्‍न रूपों में हैं वर्णन

डॉ शोनू मेहरोत्रा के अनुसार शरद पूर्णिमा की महिमा का वर्णन प्राचीन धर्मग्रंथों में विभिन्न रूपों में किया गया है। दीपावली से पहले शरद पूर्णिमा लक्ष्‍मी माता के जन्‍मदिन के तौर पर मनाई जाती है। आश्विन मास के शुक्‍ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के तौर पर मनाया जाता है। पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार इस दिन धन की देवी मां लक्ष्‍मी समुद्र मंथन से उत्‍पन्‍न हुई थीं। इसलिए यह दिन विशेष रूप से माता लक्ष्‍मी को ही समर्पित होता है।

लगाएं इन पांच वस्‍तुओं का भोग

- शरद पूर्णिमा को मां लक्ष्मीजी की पूजा करने के बाद आप मखाने का भोग लगा सकते हैं। मखाने का संबंध चंद्रमा से है और चंद्रमा को देवी लक्ष्मी का भाई माना जाता है। साथ ही इस दिन श्रीसूक्त का पाठ कर सकते हैं।

- माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए आप भोग में बताशे का भी प्रयोग कर सकते हैं। रात्रि जागरण में आप बताशे का भोग लगाकर हर किसी को दे सकते हैं। बताशे का संबंध भी चंद्रमा से है, इसलिए दिवाली के दिन बताशे और चीनी के खिलौने माता लक्ष्मी को अर्पित किए जाते हैं।

- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए मखाने और चावल की खीर का भोग लगा सकते हैं। बताया जाता है कि इस खीर में चंद्रमा की रोशनी में रखने के बाद इसमें औषधीय गुण आ जाते हैं। इससे कई रोग दूर होते हैं।

- मां लक्ष्‍मी को जो वस्‍तुएं प्रिय हैं, उनमें से एक दही भी है। शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्‍मी को गाय के दूध से बने दही का भी भोग लगाएं। फिर इसे प्रसाद के रूप में सभी लोगों में बांट दें। ऐसा करने से मां लक्ष्‍मी प्रसन्‍न होकर आपकी मनोकामना पूर्ण करेंगी।

शरद पूर्णिम से आरंभ करें पूर्णिमा का व्रत

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो लोग पूर्णिमा व्रत शुरू करना चाहते हैं उन्‍हें इसका संकल्प शरद पूर्णिमा के दिन लेना चाहिए। इसके अलावा शरद पूर्णिमा की रात में चांद की किरणें शरीर पर पड़ने से शारीरिक स्वस्थता बनी रहती है। अगर कोई आंंखों की समस्या से परेशान हैंं तो उसे शरद पूर्णिमा के चांद को खुली आंंखों से देखना चाहिए। क्योंकि आयुर्वेद के जानकार ऐसा मानते हैं कि शरद पूर्णिमा के चांंद का दर्शन करने से आंंखों के रोग खत्म हो जाते हैं साथ ही आँखों की रोशनी भी बढ़ती है।


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