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Vinayak Chaturthi 2021: कैसे करें श्रीगणेश का ध्यान, जिससे मिले विद्या और बुद्धि का वरदान

Vinayak Chaturthi 2021 आज है मासिक विनायक चतुर्थी। श्रीगणेश अपनी संक्षिप्त अर्चना से ही संतुष्ट हो भक्त को ऋद्धि-सिद्धि प्रदान कर देते हैं। गणेशजी को प्रसन्न करना बहुत ही सरल है । इसमें ज्यादा खर्च की आवश्यकता नहीं है।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sat, 15 May 2021 02:40 PM (IST)Updated: Sat, 15 May 2021 02:40 PM (IST)
Vinayak Chaturthi 2021: कैसे करें श्रीगणेश का ध्यान, जिससे मिले विद्या और बुद्धि का वरदान
आज है मासिक विनायक चतुर्थी। आज और बुधवार को जरूर करें गणपति की पूजा।

आगरा, जागरण संवाददाता। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी कहते हैं। आज के दिन विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की विधिपूर्वक आराधना की जाती है। इस दिन लोग विनायक चतुर्थी का व्रत रखते हैं और गणपति बप्पा की पूजा करते हैं। धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी के अनुसार श्रीगणेश बुद्धि के देवता हैं । अक्षरों को ‘गण’ कहा जाता है, उनके ईश होने के कारण इन्हें ‘गणेश’ कहा जाता है। इसलिए श्रीगणेश ‘विद्या-बुद्धि के दाता’ कहे गये हैं।

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आदिकवि वाल्मीकि ने श्रीगणेश की वन्दना करते हुए कहा है

‘गणेश्वर ! आप चौंसठ कोटि विद्याओं के दाता तथा देवताओं के आचार्य बृहस्पतिजी को भी विद्या प्रदान करने वाले हैं । कठ को भी अभीष्ट विद्या देने वाले आप है (अर्थात् कठोपनिषद् के दाता है)। आप द्विरद हैं, कवि हैं और कवियों की बुद्धि के स्वामी हैं; मैं आपको प्रणाम करता हूं ।’

श्रीगणेश असाधारण बुद्धि व विवेक से सम्पन्न होने के कारण अपने भक्तों को सद्बुद्धि व विवेक प्रदान करते हैं । इसीलिए हमारे ऋषियों ने मनुष्य के अज्ञान को दूर करने, बुद्धि शुद्ध रखने व काम में एकाग्रता प्राप्त करने के लिए बुद्धिदाता श्रीगणेश की सबसे पहले पूजा करने का विधान किया है।

श्रीगणेश की कृपा से कैसे मिलता है तेज बुद्धि का वरदान ?

श्रीगणेश की कृपा से तीव्र बुद्धि और असाधारण प्रतिभा कैसे प्राप्त होती है, इसको योग की दृष्टि से समझा जा सकता है। योगशास्त्र के अनुसार मनुष्य के शरीर में छ: चक्र होते हैं । इनमें सबसे पहला चक्र है ‘मूलाधार चक्र’ है जिसके देवता हैं श्रीगणेश। प्रत्येक मनुष्य के शरीर में रीढ़ की हड्डी के मूल में, मूलाधार चक्र है। इसमें सम्पूर्ण जीवन की शक्ति अव्यक्त रूप में रहती है। इसी चक्र के मध्य में चार कोणों वाली आधारपीठ है जिस पर श्रीगणेश विराजमान हैं। यह ‘गणेश चक्र’ कहलाता है, इसी के ऊपर कुण्डलिनी शक्ति सोयी रहती है। श्रीगणेश का ध्यान करने मात्र से कुण्डलिनी जग कर (प्रबुद्ध होकर) स्वाधिष्ठान, मणिपूरक, अनाहत, विशुद्ध एवं आज्ञा चक्र में प्रविष्ट होकर सहस्त्रार चक्र में परमशिव के साथ जा मिलती है जिसका अर्थ है सिद्धियों की प्राप्ति । अत: मूलाधार के जाग्रत होने का फल है असाधारण प्रतिभा की प्राप्ति।

इस प्रकार गणेशजी की आकृति का ध्यान करने से मूलाधार की सिद्धि प्राप्त हो जाती है। ध्यान योग के द्वारा योगियों को इसका दर्शन होता है। श्रीगणेश का ध्यान करने से भ्रमित मनुष्य को सुमति और विवेक का वरदान मिलता है और श्रीगणेश का गुणगान करने से सरस्वती प्रसन्न होती हैं।

तीव्र बुद्धि और स्मरण-शक्ति के लिए श्रीगणेश का करें प्रात:काल ध्यान

विद्या प्राप्ति के इच्छुक मनुष्य को प्रात:काल इस श्लोक का पाठ करते हुए श्रीगणेश के स्वरूप का ध्यान करना चाहिए—

प्रात: स्मरामि गणनाथमनाथबन्धुं

सिन्दूरपूरपरिशोभितगण्डयुग्मम्

उद्दण्डविघ्नपरिखण्डनचण्डदण्ड-

माखण्डलादिसुरनायकवृन्दवन्द्यम् ।।

अर्थात्—जो अनाथों के बन्धु हैं, जिनके दोनों कपोल सिन्दूर से शोभायमान हैं, जो प्रबल विघ्नों का नाश करने में समर्थ हैं और इन्द्रादि देव जिनकी वन्दना करते हैं, उन श्रीगणेश का मैं प्रात:काल स्मरण करता हूं।

बुधवार को करें श्रीगणेश के ये उपाय 

− बुध ग्रह भी बुद्धि देने वाले हैं। बुधवार के दिन गणेशजी की पूजा बहुत फलदायी होती है। श्रीगणेश अपनी संक्षिप्त अर्चना से ही संतुष्ट हो भक्त को ऋद्धि-सिद्धि प्रदान कर देते हैं। गणेशजी को प्रसन्न करना बहुत ही सरल है । इसमें ज्यादा खर्च की आवश्यकता नहीं है।

− स्नान आदि करके पूजा शुद्ध पीले वस्त्र पहन कर करें।

− पूजा-स्थान में गणेशजी की तस्वीर या मूर्ति पूर्व दिशा में विराजित करें। श्रीगणेश को रोली, चावल आदि चढ़ाएं । कुछ न मिले तो दो दूब ही चढ़ा दें। घर में लगे लाल (गुड़हल, गुलाब) या सफेद पुष्प (सदाबहार, चांदनी) या गेंदा का फूल चढ़ा दें।

− श्रीगणेश को सिंदूर अवश्य लगाना चाहिए।

− श्रीगणेश को बेसन के लड्डू बहुत प्रिय हैं यदि लड्डू या मोदक न हो तो केवल गुड़ या बताशे का भोग लगा देना चाहिए।

− एक दीपक जला कर धूप दिखाएं और हाथ जोड़ कर छोटा-सा एक श्लोक बोल दें–

तोहि मनाऊं गणपति हे गौरीसुत हे ।

करो विघ्न का नाश, जय विघ्नेश्वर हे ।।

विद्याबुद्धि प्रदायक हे वरदायक हे ।

रिद्धि-सिद्धिदातार जय विघ्नेश्वर हे ।।

− एक पीली मौली गणेशजी को अर्पित करते हुए कहें—‘करो बुद्धि का दान हे विघ्नेश्वर हे’ । पूजा के बाद उस मौली को माता-पिता, गुरु या किसी आदरणीय व्यक्ति के पैर छूकर अपने हाथ में बांध लें।

− श्रीगणेश पर चढ़ी दूर्वा को अपने पास रखें, इससे एकाग्रता बढ़ती है ।

‘ॐ गं गणपतये नम:’

इस गणेश मन्त्र का 108 बार जाप करने से बुद्धि तीव्र होती है।

− गणपति अथर्वशीर्ष में कहा गया है—‘जो लाजों (धान की खील) से श्रीगणेश का पूजन करता है, वह यशस्वी व मेधावी होता है ।’ अत: गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करने से भी विद्या, बुद्धि, विवेक व एकाग्रता बढ़ती है। 


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