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पड़ोस में पर्यटन: यहां के चप्‍पे चप्‍पे में छुपा है इतिहास,एक बार यहां आइये तो जनाब Agra News

अरावली पहाड़ी पर है गगनचुंबी बुलंद दरवाजा। चिश्ती की मजार में बांधें मन्नत का धागा। जानिए दीन-ए-इलाही।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sun, 29 Sep 2019 05:47 PM (IST)Updated: Sun, 29 Sep 2019 11:32 PM (IST)
पड़ोस में पर्यटन: यहां के चप्‍पे चप्‍पे में छुपा है इतिहास,एक बार यहां आइये तो जनाब Agra News
पड़ोस में पर्यटन: यहां के चप्‍पे चप्‍पे में छुपा है इतिहास,एक बार यहां आइये तो जनाब Agra News

आगरा, राजेन्द्र शुक्ला। अरावली पहाड़ी पर लाल पत्थरों से निर्मित विश्वदाय स्मारक। यह आइकोनिक साइट भी है। लाल पथर, बलुआ, रेता, चूना, मसाला आदि से निर्मित यह महज इमारत ही नहीं है, देखने, पढऩे व समझने की विशाल संरचना है। इस में महान सूफी हजरत सलीम चिश्ती के दर्शन के साथ ही सर्वधर्म सद्भाव-दीन-ए-इलाही और हिंदू-मुस्लिम साझा शिल्प कला से भी रूबरू होते हैैं।

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फतेहपुरसीकरी की धरती में चप्पे-चप्पे पर इतिहास दबा हुआ है, जो खोदाइयों में उजागर भी होता रहा है। देश- विदेश के किसी भी कोने से बस व निजी वाहनों से फतेहपुर सीकरी पहुंचने पर सर्वप्रथम आप अकबर की राजधानी रही नगरी के प्रवेश द्वार से रूबरू होंगे।

आगरा गेट: फतेहपुर सीकरी स्मारक नगरी में प्रवेश द्वार का नाम आगरा गेट है। यहां से प्रवेश करते ही सैलानियों को वैभवशाली स्मारक के दर्शन होंगे। आगरा गेट के दोनों ओर बहुत ऊंची और चौड़ी शाही दीवार हैं। इन पर मुगलिया दौर में सैनिक गश्त करते होंगे। आगे बढऩे पर करीब डेढ़ किलोमीटर दूर पहुंचेंगे तो मिलेगा बुलंद दरवाजा।

बुलंद दरवाजा: विश्व का सबसे ऊंचा विशालकाय बुलंद दरवाजा देखते ही पुरी थकान मिट जाती है। जिज्ञासा बढऩे लग जाती है। बुलंद दरवाजे की ऊंचाई सड़क से 176 फीट व बुलंद दरवाजा चांदा से 134 फीट है। सड़क से 52 सीढिय़ां चढ़ कर बुलंद दरवाजा निहारने पर आखें फटी रह जाएंगी। ऐसी शिल्पकला है कि नीचे का अक्षर और ऊपर का अक्षर एक समान दिखाई देता है। बुलंद दरवाजा के भीतर घुसते ही एक सुखद अनुभूति होती हैं।

चिश्ती की मजार: दरगाह परिसर में महान सूफी हजरत शेख सलीम चिश्ती की नक्काशीदार जालियों सहित मजार शरीफ के दर्शन से पर्यटक अचंभित हो जाते हैं। चिश्ती बाबा की मजार की जालियों में मन्नत के हजारों धागे बंधे हैं। मुराद पूरी होने के लिए मन्नत के धागे बांधे जाते हैं। दरगाह परिसर में ही विशाल व भव्य शाही जामा मस्जिद के दीदार भी होते हैैं।

दीवान-ए-खास : यह बहुत ही महत्व पूर्ण क्षेत्र है। मुगल शासक जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर का पैलेस विश्राम गृह, पंच महल व संगीत शिरोमणि तानसेन और बैजू बाबरा के राग छेडऩे का चबूतरा समेत कई भवन स्थित हैं। इन्हीं में खास सर्वधर्म सद्भाव की अनुरूप दीन-ए-इलाही स्थंभ कमल के फूल जैसी संररचना है, जिस पर सभी धर्मों की प्रतिकृतियां बनी हैं। जिन्हें देखा और पढ़ा जा सकता है। इसके साथ ही सीकरी क्षेत्र में छोटे-बड़े तमाम खंडहर स्मारक अवशेष भी हैं।

एएसआइ का म्यूजियम : एएसआइ के म्यूजियम में इतिहास का अतीत भरा पड़ा है। वर्ष 2000 में वीर छबीली टीला पर खुदाई के दौरान निकली जैन मूर्तियां, यक्षीणी माता की मूर्ति समेत अनेकों महत्वपूर्ण अवशेष मौजूद हैं। कई बार खुदाई में निकलीं इतिहास से जुड़ी वस्तुएं भी मौजूद हैं। म्यूजियम के प्रभारी उपाधीक्षण पुरातत्वविद सतीशचंद पांडे के अनुसार एएसआइ के म्यूजियम की दुर्लभ वस्तुएं व दस्तावेज देख व पढ़कर समझने की चीजें हैैं।

ऐसे पहुंचे सीकरी : आगरा- जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर आगरा से 35 किलोमीटर दूर फतेहपुर सीकरी पहुंचने के लिए बसों, निजी वाहनों व रेलगाड़ी माध्यम हैं। सीकरी से ग्यारह किलोमीटर दूर इतिहास में अंकित खानवा का मैदान भी देखा जा सकता हैं।

ठहरने का स्थान: उत्तर प्रदेश पर्यटन विकास निगम के राही गुलिस्ता पर्यटक कांप्लेक्स के अलावा कई होटल भी सेलानियों के ठहरने के लिए हैं। यहां खाने-पीने की उचित व्यवस्था है।  


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