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Akshay Navami 2020: 23 को है अक्षय नवमी, जानिए पूजा से जुड़ीं 10 जरूरी बातें

Akshay Navami 2020 अक्षय नवमी या आंवला नवमी 23 नवंबर को है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु कार्तिक शुक्ल नवमी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा की तिथि तक आंवले के पेड़ पर निवास करते हैं। आंवले के पेड़ भगवान विष्णु की भी विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sun, 22 Nov 2020 09:22 AM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 09:22 AM (IST)
अक्षय नवमी या आंवला नवमी 23 नवंबर को है।

आगरा, जागरण संवाददाता। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी या आंवला नवमी कहा जाता है। इस वर्ष अक्षय नवमी या आंवला नवमी 23 नवंबर को है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु कार्तिक शुक्ल नवमी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा की तिथि तक आंवले के पेड़ पर निवास करते हैं। ज्योतिषाचार्य डॉ शाेनू मेहरोत्रा के अनुसार अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ के अतिरिक्त भगवान विष्णु की भी विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है। शास्त्रों के अनुसार, अक्षय नवमी के दिन स्नान, पूजा, तर्पण तथा अन्नादि के दान से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। अक्षय नवमी को धात्री नवमी और कूष्माण्ड नवमी के नाम से भी जाना जाता है।

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आंवला की परिक्रमा

आंवला नवमी के दिन परिवार के बड़े- बुजुर्ग सदस्य विधि-विधान से आंवला वृक्ष की पूजा- अर्चना करके भक्तिभाव से इस पर्व को मनाते हैं। ऐसी मान्यता है कि आंवला पेड़ की पूजा कर 108 बार परिक्रमा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पूजा- अर्चना के बाद खीर, पूड़ी, सब्जी, मिष्ठान्न आदि का भोग लगाया जाता है। कई धर्मप्रेमी तो आंवला पूजन के बाद पेड़ की छांव में ब्राह्मण भोज भी कराते हैं। इस दिन महिलाएं भी अक्षत, पुष्प, चंदन आदि से पूजा-अर्चना कर पीला धागा लपेट कर वृक्ष की परिक्रमा करती हैं। धर्मशास्त्र के अनुसार इस दिन स्नान, दान, यात्रा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

पूजन की दस प्रमुख बातेंं

- आंवला नवमी पर प्रात:काल स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प करें।

- धात्री वृक्ष (आंवला) के नीचे पूर्वाभिमुख बैठकर 'ॐ धात्र्ये नम:' मंत्र से आंवले के वृक्ष की जड़ में दूध की धार गिराते हुए पितरों का तर्पण करें।

- कपूर व घी के दीपक से आरती कर प्रदक्षिणा करें।

- पूजा- अर्चना के बाद खीर, पूड़ी, सब्जी और मिष्ठान्न आदि का भोग लगाएं।

- आंवला वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करें।

- आंवले के वृक्ष के नीचे विद्वान ब्राह्मणों को भोजन कराएं तथा दक्षिणा भेंट करें। खुद भी उसी वृक्ष के निकट बैठकर भोजन करें।

- इस दिन आंवले का वृक्ष घर में लगाना वास्तु की दृष्टि से शुभ माना जाता है। वैसे तो पूर्व की दिशा में बड़े वृक्षों को नहीं लगाना चाहिए किंतु आंवले के वृक्ष को इस दिशा में लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। इसे घर की उत्तर दिशा में भी लगाया जा सकता है।

- इस दिन पितरों के शीत (ठंड) निवारण के लिए ऊनी वस्त्र व कंबल दान करना चाहिए।

- अक्षय नवमी धात्री तथा कूष्मांडा नवमी के नाम से भी जानी जाती है।

- जिन बच्चों की स्मरण शक्ति कमजोर हो तथा पढ़ाई में मन न लगता हो, उनकी पुस्तकों में आंवले व इमली की हरी पत्तियों को रखना चाहिए।


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