Taxation: शुद्ध देयता पर ही देरी के लिए लगेगा ब्याज, जानिए CBIC की प्रमुख बातें
Taxation एक सितंबर 2020 से कुल देयता पर विलंब से भुगतान पर सिर्फ उन्हें कैश भुगतान पर ही ब्याज देना होगा यानि उनसे शुद्ध टैक्स देनदारी पर ही ब्याज लिया जाएगा।
आगरा, जागरण संवाददाता। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआइसी) ने व्यापारियों-कारोबारियों को बड़ी राहत दी है। जीएसटी के विलंब से भुगतान पर लगने वाले ब्याज का पूरा लाभ करदाताओं को मिलेगा। इसके तहत एक सितंबर 2020 से कुल देयता पर विलंब से भुगतान पर सिर्फ उन्हें कैश भुगतान पर ही ब्याज देना होगा यानि उनसे शुद्ध टैक्स देनदारी पर ही ब्याज लिया जाएगा।
सीए प्रार्थना जालान ने बताया कि साल की शुरुआत में उद्यमियों ने जीएसटी भुगतान में देरी व बकाया ब्याज की वसूली के निर्देश पर चिंता जताई थी क्योंकि ब्याज कुल देनदारी पर देय था। भले विभाग पर व्यापारियों का आईटीसी या एडवांस कर ही क्यों न बकाया हो। इसको लेकर जीएसटी काउंसिल ने बैठक में निर्णय लिया था कि एक जुलाई, 2017 से कुल कर देनदारी पर जीएसटी भुगतान में देरी के लिए ब्याज लिया जाएगा, कानून भी संशोधित किया जाएगा। हालांकि, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने 25 अगस्त को अधिसूचना जारी कर एक सितंबर 2020 से शुद्ध टैक्स देनदारी पर ब्याज लिए जाने की घोषणा की। साथ ही यह भी स्पष्ट किया है कि इससे पहले के मामलों में भी सिर्फ शुद्ध टैक्स देनदारी ही ब्याज देना होगा।
पांच हजार नोटिस हुए थे जारी
मामले में आगरा मंडल में वाणिज्य कर विभाग ने पांच हजार से ज्यादा नोटिस जारी किए थे, जिसका सीधा लाभ अब उन सभी कारोबारियों और व्यापारियों को मिलेगा। इसमें उन्हें सिर्फ उसी राशि के लिए ब्याज का भुगतान करना हो, जिसका उन्हें शुद्ध कैश भुगतान करना है। न कि कुल देयता का, जिसमें आइटीसी और एडवांस टैक्स को शामिल नहीं किया गया था।