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आगरा में कोरोना की दूसरी लहर, अभिभावकों और बच्चों के रिश्तों को संक्रमित कर रहा वायरस

कोरोना कर्फ्यू के चलते कामकाज बंद होने से पति-पत्नी में बढ़ रही हैं रार। दंपती आपसी झगड़ा का गुस्सा और खीझ उतार रहे हैं बच्चों पर। मां-बाप की डांट से नाराज होकर घर से भाग रहे हैं बच्चे। चाइल्ड लाइन की काउंसिलिंग में सामने आए बच्चों के भागने के कारण।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Thu, 27 May 2021 08:36 AM (IST)Updated: Thu, 27 May 2021 08:36 AM (IST)
आगरा में कोरोना की दूसरी लहर, अभिभावकों और बच्चों के रिश्तों को संक्रमित कर रहा वायरस
कोरोना कर्फ्यू के चलते कामकाज बंद होने से पति-पत्नी में बढ़ रही हैं रार। प्रतीकात्मक फोटो

आगरा, अली अब्बास। केस एक: खंदौली इलाके में एक 11 साल की बालिका लोगों को लावारिस हालत में भटकती मिली। उसे सड़क किनारे रोता देखकर राहगीर थाने पर लाकर छोड़ गए। पुलिस के काफी प्रयास के बाद भी बालिका ने अपना और अभिभावकों का नाम-पता नहीं बताया। पुलिस ने चाइल्ड लाइन को इसकी जानकारी दी। उसने बालिका की काउंसिलिंग की। बालिका ने बताया कि अभिभावकों के व्यवहार में करीब एक महीने से बदलाव आ गया है। वह बात-बात पर उसे डांटते हैं, उसे पीट दिया था। इसके चलते वह घर छोड़कर चली आई। बालिका द्वारा अपना नाम व पता बताया गया। उससे पिता का मोबाइल नंबर लेकर उनसे बात की।पिता के पहुंचने पर उन्हें बेटी से प्यार से बात करने की कहा गया। काफी समझाने के बाद वह स्वजन के साथ घर लौटने को राजी हुई।

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केस दो: कैंट रेलवे स्टेशन पर 24 मई को 12 साल का बालक लावारिस हालत में घूमता मिला। शक होने पर जीआरपी ने उससे पूछताछ की तो पता चला कि वह नाराज होकर घर छोड़ आया है। यहां से दिल्ली जाने के लिए ट्रेन का इंतजार कर रहा था। चाइल्ड लाइन ने बालक से बातचीत के बाद उसकी काउंसिलिंग की। बालक ने बताया कि पिता उसे जरा-जरा सी बात पर डांटते हैं। इसके चलते वह गुस्से में घर छोड़कर जा रहा है। काफी समझाने के बाद बालक ने अपने पिता का मोबाइल नंबर दिया। चाइल्ड लाइन को बालक के साथ ही उसके पिता की भी काउंसिलिंग करनी पड़ी। उन्हें समझाया कि बालक को इस तरह से बात-बात पर डांटने से उसके व्यक्तित्व के विकास पर भी प्रभाव पड़ेगा।पिता को अपनी गलती का अहसास होने के बाद बेटा उनके साथ घर लौटने को राजी हुआ।

यह सिर्फ दो मामले नहीं हैं, इनके जैसे दर्जनों केस हैं। कोरोना की दूसरी लहर जिस तरह से लोगों को अपनी चपेट में लेकर कहर ढा रही है। उसी तरह वह परिवारिक रिश्तों पर भी कहर ढा रही है। दंपतियों के बीच छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा हो रहा है। वह अपना गुस्सा या खीझ बच्चों पर निकाल रहे हैं। यह गुस्सा या खीझ अभिभावकों और बच्चों के रिश्तों को भी संक्रमित कर रहा है। इससे तनाव में आकर बच्चे घर छोड़ रहे हैं। आगरा में जिले की चाइल्ड हेल्पलाइन और रेलवे चाइल्ड हेल्पलाइन में अब तक दो दर्जन से ज्यादा इस तरह के केस आ चुके हैं। इनमें बच्चों की कांउसिलिंग करने पर सामने आ रहा है कि वह माता-पिता की डांट से नाराज होकर घर से निकल आए थे।

रेलवे चाइल्ड लाइन के धीरज अभिभावकों द्वारा जरा-जरा सी बात पर डांटने के चलते बच्चों में विद्रोह की भावना पनपती है। उन्हें लगता है कि माता-पिता अकारण डांट रहे हैं। उनकी बात सुनने को तैयार नहीं हैं। इसके चलते वह घर छोड़कर भागने का प्रयास करते हैं। रेलवे स्टेशनों पर इस तरह के बच्चे आए दिन रेस्क्यू होते हैं। इन बच्चों के गलत हाथों में पड़ने का डर भी रहता है।

चाइल्ड लाइन की काउंसिलिंग में सामने आए बच्चों के भागने के प्रमुख कारण

-माता-पिता आपस में झगड़ा होने पर उसका गुस्सा बच्चों पर उतारते हैं। इससे बच्चों में रोष पनपता है।

-डांट से नाराज होकर घर छोड़ने वाले अधिकांश बच्चों की उम्र नौ से 16 साल के बीच की है।

-बच्चों की मुख्य शिकायत यही होती है कि माता-पिता उनकी बात सुनने को तैयार नहीं होते।

-उन पर अक्सर पढ़ाई को लेकर दबाव बनाते हैं, जबकि वह अपना होमवर्क पूरा कर चुके होते हैं।

किताबों से ज्यादा मोबाइल गेम में समय

चाइल्ड लाइन से बातचीत के दौरान कई अभिभावकों का कहना था कि बच्चे मोबाइल पर ज्यादा गेम खेलते रहते हैं। इससे उनकी पढाई प्रभावित होती है।वह समय पर होमवर्क नहीं करते हैं। इसे लेकर बच्चों को डांटते हैं तो उन्हें लगता है कि माता-पिता प्यार नहीं करते। जबकि वह उनके भविष्य की चिंता को लेकर डांटते हैं। 


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