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Guru Nanak Dev Jayanti 2020: आगरा में गुर पुरब पर अलीगढ़ से आते थे आतिशबाजी के लिए कारीगर, मत्था टेकने आती थी डेढ़ लाख संगत

Guru Nanak Dev Jayanti 2020 गुरु नानक देव जयंती पर गुरुद्वारों में होती थी रौनक। कोरोना काल में नहीं होगा लंगर और आतिशबाजी। संगत को कीर्तन दरबार भी आनलाइन ही देखना होगा। आगरा जिले में 34 गुरुद्वारे हैं जिनमें से चार गुरुद्वारों में सिख धर्म के गुरु आए हैं।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 02:54 PM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 02:54 PM (IST)
Guru Nanak Dev Jayanti 2020: आगरा में गुर पुरब पर अलीगढ़ से आते थे आतिशबाजी के लिए कारीगर, मत्था टेकने आती थी डेढ़ लाख संगत
कोरोना काल में नहीं होगा लंगर और आतिशबाजी।

आगरा, जागरण संवाददाता। इस साल गुरुनानक देव जयंती पर कोरोना का प्रभाव पड़ चुका है। इस साल गुरुद्वारों में न तो लंगर होगा और न ही आतिशबाजी। संगत को कीर्तन दरबार भी आनलाइन ही देखना होगा।पिछले सालों की तरह इस साल गुरुद्वारों में रौनक नहीं होगी। इस साल सिख समाज की बैठक में फैसला लिया गया था कि कोरोना के कारण शासन की गाइडलाइंस का पालन किया जाएगा और गुरुद्वारों में लंगर और आतिशबाजी नहीं होगी।

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गुरुद्वारों में पड़े हैं गुरुओं के चरण

आगरा जिले में 34 गुरुद्वारे हैं, जिनमें से चार गुरुद्वारों में सिख धर्म के गुरु आए हैं। गुरुद्वारा लोहामंडी में पहले गुरु गुरु नानक देव आए थे। गुरुद्वारा दमदमा साहिब में छठें गुरु हरगोविंद साहिब, गुरुद्वारा माईथान में माता जस्सी ने नवें गुरु तेगबहादुर को कपड़े का थान दिया था,गुरुद्वारा गुरु का ताल में मंजी साहिब से गुरु तेग बहादुर साहिब ने गिरफ्तारी दी थी। हाथीघाट गुरुद्वारा में दसवें गुरु गोविंद सिंह आए थे।

गुरुद्वारा गुरु का ताल में पिछले साल आई थी डेढ़ लाख संगत

वैसे तो शहर के हर गुरुद्वारे में गुरु नानक देव जयंती पर सजावट होती है, लंगर होता है और कीर्तन दरबार सजता है, लेकिन गुरुद्वारा गुरु का ताल में हर साल सबसे बड़ा कार्यक्रम होता है।दूसरे शहरों से भी रागी जत्थे आते हैं। सुबह से लेकर रात तक कीर्तन और लंगर चलता है। रात में भव्य आतिशबाजी होती है।पिछले साल गुरुद्वारे में मत्था टेकने के लिए डेढ़ लाख संगत पहुंची थी।

आतिशबाजी के लिए अलीगढ़ से आते हैं कारीगर

गुरुद्वारा गुरु का ताल में हर साल भव्य आतिशबाजी होती है।आतिशबाजी के लिए अलीगढ़ से कारीगर बुलाए जाते थे। यह कारीगर नाव, राकेट, फव्वारा आदि आतिशबाजी से ही बनाते थे। आतिशबाजी देखने के लिए शहर भर से लोग पहुंचते थे।

इस साल नहीं होगा लंगर और आतिशबाजी

गुरुद्वारा गुरु का ताल के मौजूदा मुखी संत बाबा प्रीतम सिंह ने बताया कि कोरोना गाइडलाइंस का पालन करने के लिए सिख समाज ने यह फैसला लिया है कि गुरुद्वारों में सजावट भी होगी, कीर्तन दरबार भी सजेगा, लेकिन लंगर नहीं होगा। संगत से अपील की गई है कि इस साल अपने घरों में ही नितनेम का पाठ करें। श्री गुरु सिंह सभा माईथान के प्रधान कंवलदीप सिंह ने बताया कि गुरुद्वारे में नितनेम का पाठ होगा और कीर्तन दरबार सजेगा। कीर्तन दरबार का लाइव प्रसारण आनलाइन किया जाएगा। 


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