आज भी याद करता है आगरा कथक सम्राट बिरजू महाराज को, बहुत खास था वो शरद उत्सव
Pandit Birju Maharaj आगरा में शरद उत्सव में जमाया था कथक सम्राट पं. बिरजू महाराज ने रंग। ताज महोत्सव के शुरुआती वर्षों में दी थी मंच पर प्रस्तुति। पद्मविभूषण कथक सम्राट के निधन से शोक में डूबे शहर के संस्कृतिकर्मी।
आगरा, निर्लाेष कुमार। पद्मविभूषण कथक सम्राट पं. बिरजू महाराज के सोमवार को निधन से एक युग का अवसान हो गया। कथक सम्राट ने ताजनगरी में शरद उत्सव में अपनी प्रस्तुति से रंग जमाया था। ताज महोत्सव के मंच को भी उन्होंने अपनी प्रस्तुति से झंकृत किया था। उनके निधन से शहर के संस्कृतिकर्मियों में शोक की लहर दौड़ गई है। उन्होंने इसे कला जगत की अपूर्णीय क्षति करार दिया है, जिसकी कभी भरपाई नहीं की जा सकेगी।
टूरिज्म गिल्ड आफ आगरा के पूर्व अध्यक्ष अरुण डंग ने बताया कि वर्ष 1974-75 में आगरा के डीएम विनोद दीक्षित (दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के पति) रहे थे। उनके समय में आगरा में शरद उत्सव की शुरुआत हुई थी। विदेशी पर्यटकों के रात्रि प्रवास को शहर में बढ़ाने को सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन को उप्र पर्यटन को पहली बार नोडल एजेंसी बनाया गया था।
वर्ष 1975 में सर्किट हाउस के मैदान में हुए शरद उत्सव में कथक सम्राट पं. बिरजू महाराज प्रस्तुति देने आए थे। बहुत समय बाद शहरवासियों को इस तरह का कार्यक्रम देखने का अवसर मिला था। उनकी प्रस्तुति ने शरद उत्सव में रंग जमा दिया था। गजल गायक सुधीर नारायन बताते हैं कि कथक सम्राट पं. बिरजू महाराज ताज महोत्सव के शुरुआती वर्षों में आगरा आए थे। वर्ष 1993 से 1995 के बीच मंच पर उनका कार्यक्रम हुआ था। उन्होंने सोलो के साथ ही ग्रुप प्रस्तुति दी थी। वर्ष 2005 में भी ताज महोत्सव में प्रस्तुति देने वो आगरा आए थे। उस दिन बिरजू महाराज के अलावा पियानोवादक ब्रायन साइलस का कार्यक्रम भी था। दोनों कार्यक्रमों का संचालन उन्हें करना था। शाम को कार्यक्रम शुरू होने से पूर्व स्टाल में आग लग गई, जिससे उस दिन की सभी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां स्थगित कर दी गईं। बाद में महोत्सव भी स्थगित कर दिया गया था। इससे ताज महोत्सव में आने के बावजूद कथक सम्राट पं. बिरजू महाराज की प्रस्तुति से शिल्पग्राम का मुक्ताकाशीय मंच झंकृत नहीं हो सका था।
दीपक महाराज ने दी प्रस्तुति
पं. बिरजू महाराज के पुत्र दीपक महाराज ने ताज महोत्सव में दो बार प्रस्तुतियां दीं। उनकी पौत्री शिंजनी ने करीब 15 दिन पूर्व ताजनगरी के जोनल पार्क स्थित एंफीथिएटर में कथक की प्रस्तुति दी थी।
अनाथ हो गया कथक: काजल शर्मा
पं. बिरजू महाराज की शिष्य कथक गुरु और नृत्यांगना काजल शर्मा ने उनके निधन पर श्रद्धांजलि व्यक्त की है। उन्होंने कथक के अनाथ होने की बात कही है। आगरा की मूल निवासी काजल वर्तमान में इंग्लैंड में रहती हैं।
काजल शर्मा ने कहा कि पं. बिरजू महाराज से उनका रिश्ता एक गुरु-शिष्य के साथ-साथ भगवान-भक्त, पिता-पुत्री और पिछले कुछ वर्षों से एक मित्र का रहा। वह एक आदर्श गुरु, महान कलाकार और अद्भुत व्यक्तित्व के इंसान थे। यह मेरा परम सौभाग्य रहा कि उनसे 53 वर्ष पूर्व संपर्क हुआ। मेरे कथक जीवन में समय-समय पर उन्होंने मेरा मार्गदर्शन किया। पिछले 20-22 वर्षों में इंग्लैंड में जब भी मैं सोच-विचार में पड़ती थी, तो मेरे सपने में आकर वह उसे सुलझा देते थे। कई रचनाओं के दौरान मुझे ऐसा अद्भुत अनुभव रहा। कल रात को भी महाराज सपने में आए। वह रियाज कर रहे थे और उन्होंने मेरे सर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया और एक परछाईं की तरह गायब हो गए। वह हमेशा कहते थे कि काजल तेरे साथ मेरा रिश्ते पिछले जन्म का है। पिछली बार जब उनसे मेरी मुलाकात लंदन में हुई तो उन्होंने कहा कि मैं तेरी मिसाल हर वर्कशाप में देकर कहता हूं कि काजल जैसी मेहनत करो और कुछ बनो। उनके दु:खद निधन से कथक अनाथ हो गया है।