Wetland International: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनेगी जोधपुर झाल की पहचान, Bird Counting होने जा रही है शुरू
वेटलैंड इंटरनेशनल की दिल्ली टीम करेगी सर्वे शोधार्थी भी होंगे शामिल व छात्र-छात्राओं को दिया जाएगा प्रशिक्षण। सूर सरोवर पक्षी विहार जोधपुर झाल और मैनपुरी के समान पक्षी विहार में पक्षियों की होगी गणना। आठ जनवरी को टीम जगदंबा डिग्री कालेज में वन्यजीव व जलीय जीवों से संबंधित प्रशिक्षण देगी।
आगरा, सुबान खान। सूर सरोवर पक्षी विहार भले ही दुनिया के नक्शे में शुमार हो गया है पर अब पक्षियों का नया ठिकाना बना जोधपुर झाल की पहचान भी अंतरराष्ट्रीय पटल पर बनेगी। पक्षियों की गणना करने वाली संस्था वेटलैंड इंटरनेशनल जोधपुर झाल में गिनती करेंगी और इंटरनेशनल यूनियन फार कंजरवेशन आफ नेचर (आइयूसीएन) संस्था इस डाटा को दुनिया भर में जारी करेंगी।
आगरा-मथुरा की सीमा स्थित जोधपुर झाल में प्रवासी, आवासीय पक्षियों का कलरव दो वर्ष के अंदर बड़ी तादाद में सुनाई देने लगा है। यहां पर विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों ने डेरा डाला है। शायद यही वजह है कि वेटलैंड इंटरनेशनल ने जोधपुर झाल को अपनी सूची में शामिल किया है। इस संस्था के दिल्ली स्टेट कार्डिनेटर टीके राय ने जोधपुर झाल का संरक्षण कर रही बायोडाइवर्सिटी रिसर्च एवं डवलपमेंट सोसायटी को पत्र भेजकर पक्षियों की गणना करने की बात कही है। पत्र के अनुसार आठ जनवरी को वेटलैंट इंटनेशनल की टीम जगदंबा डिग्री कालेज में छात्र-छात्राओं को वन्यजीव व जलीय जीवों से संबंधित प्रशिक्षण देगी। नौ जनवरी को कीठम झील में गणना का क्रम शुरू होगा। इसके बाद दस जनवरी को जोधपुर झाल में पक्षियों की गिनती होगी। अगले दिन 11 जनवरी को मैनपुरी के समान पक्षी विहरा में गणना की जाएगी।
क्या करती वेटलैंड इंटरनेशनल संस्था
यह संस्था आइयूसीएन संस्था की सहयोगी है। जो एशिया और आस्ट्रेलिया सहित 27 देशों में काम करती है। इस संस्था के प्रतिनिधि सभी देशों के मुख्य वेटलैंडों का भ्रमण करके स्थिति देखते हैं। जो वहां का हेवीटाट, जलीय पक्षियों की विविधता, पक्षियों की संख्या, वेटलैंड पर पक्षियों के लिए नियमानुसार प्रोटोकाल आदि को दर्ज करते हैं। जो एक एशियन वाटरबर्ड सेंसेक्स (एडब्ल्यूसी) तैयार होता है। यह संस्था वेटलैंडों का सारा डाटा आइयूसीएन को उपलब्ध कराती है। जिसे आइयूसीएन अपनी वेबसाइट पर जारी करती है। इस डाटा की संबंधित वेटलैंड को रामसर साइट घोषित होने में महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
सरकार भी लेती है मदद
केंद्र में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वर्ष 2018-23 के नेशनल एक्शन प्लान में इस डाटा की अहम भूमिता होगी। इस प्लान में प्रवासी पक्षी व उनके आवास का संरक्षण और मध्य एशियाई फ्लाइवे से संबंधित कार्य योजना है।
ये जोधपुर झाल में पक्षी
प्रवासी पक्षी- ग्रेटर फ्लेमिंगो, ग्रे लैग गूज, बार हेडेड गूज, टफ्टिड डक, ब्लैक टेल्ड गोडविट, नोर्दन शोवलर, कामन टील, यूरेशियन कूट, पाइड एवोसेट, रिवर टर्न, नोर्दन पिनटेल, कामन पोचार्ड, गेडवाल, ब्लैकविंग स्टिल्ट, स्पाट विल्ड डक, लेशर विशलिंग डक , स्पूनविल डक, बुड सेंडपाइपर, कामन सेंडपाइपर, मार्श सेंडपाइपर, ग्रीन शेंक, लिटिल रिंग्ड प्लोवर , केंटिश प्लोवर , पेंटेड स्टार्क।
स्थलीय प्रवासी पक्षी- ब्लूथ्रोट, टैनी पिपिट, ट्री पिपिट, ब्लिथ रीड बैबलर, ट्राई कलर मुनिया, चेस्टनट मुनिया ।
आवासीय जलीय पक्षी- ग्रेट कोर्मोरेंट, ग्रे हैरोन, बूली नेक्ड स्टार्क, ब्लैक नेक्ड स्टार्क, ग्रेट इग्री आदि।
सिंचाई विभाग को बार-बार प्रार्थना पत्र देने के बावजूद भी जोधपुर झाल मे पानी की कमी है। परिणाम स्वरूप यहां पहुंचे प्रवासी पक्षी सुरक्षा एवं भोजन के कारण पलायन करने के लिए मजबूर हैं। यहीं पर वेटलैंड इंटरनेशनल की टीम पक्षियों की गणना करेगी।
केपी सिंह, अध्यक्ष, बायोडाइवर्सिटी रिसर्च एवं डवलपमेंट सोसायटी