Mugal Museum: जाट महासभा ने मुगल म्यूजियम के नाम पर मांग की तेज, जानिए कौन थे महाराजा सूरजमल
Mugal Museum अखिल भारतीय जाट महासभा ने मुख्यमंत्री को नामित ज्ञापन एडीएम सिटी को सौंपा। किला और ताज प्केर पास महाराजा सूरजमल व वीर गोकुला की प्रतिमा लगाने की मांग।
आगरा, जागरण संवाददाता। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा मुगल म्यूजियम का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर करने के बाद सियासत शुरू हो गई है। अखिल भारतीय जाट महासभा ने शुक्रवार को म्यूजियम का नामकरण महाराजा सूरजमल के नाम पर करने की मांग करते हुए मुख्यमंत्री को नामित ज्ञापन एडीएम सिटी डॉ. प्रभाकांत अवस्थी को सौंपा।
महासभा ने कलक्ट्रेट में प्रदर्शन करते हुए जमकर नारेबाजी की। महासभा के जिलाध्यक्ष कप्तान सिंह चाहर ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज का हम सम्मान करते हैं, लेेकिन उन्होंने कभी भी आगरा और ब्रज की जनता के लिए मुगलों से कोई लड़ाई नहीं लड़ी और न उनका यहां शासन रहा। महाराजा सूरजमल का भरतपुर (लोहागढ़) किला अजेय दुर्ग है। इसे मुगल, अंग्रेज और कोई अन्य राजा कभी नहीं जीत पाए। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कुं. शैलराज सिंह ने कहा कि आगरा व ब्रज की जनता को मुगलों से मुक्ति दिलाने का काम महाराजा सूरजमल, उनके पूर्वजों व पुत्रों ने किया। हम आगरा व ब्रज क्षेत्र की जनता की ओर से आगरा किला व ताजमहल के समीप महाराजा सूरजमल व वीर गोकुला की प्रतिमाएं लगवाने और उनका इतिहास पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग करते हैं। लखपति सिंह चाहर, चौधरी गोपीचंद, ओपी वर्मा, वीरेंद्र सिंह छौंकर, जयप्रकाश चाहर, डॉ. कुमरेंद्र सिंह, मुकेश पहलवान, जितेंद्र सिंह चाहर, भूपेंद्र सिंह राणा, प्रेमसिंह सोलंकी, गुलवीर सिंह, मेघराज सोलंकी, सुरेंद्र चौधरी, यशपाल राणा, नरेश इंदौलिया आदि मौजूद रहे।
आगरा किला पर किया शासन
महाराजा सूरजमल, उनके पुत्र महाराजा जवाहर सिंह व महाराजा रतन सिंह ने आगरा किला पर वर्ष 1761 से 1774 तक शासन किया। उनका राज्य आगरा, अलीगढ़, मथुरा, इटावा, हाथरस, कन्नौज, एटा, मैनपुरी, मेरठ, सहारनपुर, बुलंदशहर, गाजियाबाद, भरतपुर, अलवर, रेवाड़ी, भिवाड़ी, धौलपुर, गुरुग्राम, रोहतक, कुरुक्षेत्र, पलवल, बल्लभगढ़, दिली के फिरोजशाह कोटला तक था। सूरजमल ने अपने जीवन में 80 युद्ध लड़े और सभी में विजय प्राप्त की।