मथुरा में बरसी ये घातक बीमारी, दिमाग में संक्रमण फैला रहा वायरस
मथुरा के दर्जनों गांव में फैला है बुखार लेकिन स्वास्थ विभाग बरत रहा लापरवाही। बुखार पीडि़तों की घर घर बिछी है चारपाई। चिकित्सकों की राय सावधानी बरतने से रोका जा सकता है वायरस का कहर।
आगरा: बारिश के बाद धीरे-धीरे मथुरा जिले के जलप्लाविन इलाके में बुखार अपना पैर पसारने लगा है। मंगलवार को कराहरी क्षेत्र मे एक महिला की मौत के बाद लोगो मे हलचल मच गई है मगर, स्वास्थ्य विभाग बुखार के इस प्रकोप से पूरी तरह अनजान है और अपने कागजी आंकड़े ठीक करने में ही जुटा है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन इलाकों में पिछले कुछ साल पहले तक यहां दिमागी बुखार (जापानी इन्सेफेलाइटिस) का जबरदस्त असर रहा है। इससे अलावा कई तरह के बुखार, मलेरिया और डेंगू से पिछले सालों सैकड़ों मौतें हुई थी। मगर प्रशासनिक अफसरों की भूमिका बेहद लापरवाह ही रहती है। बारिश के बाद तहसील मांट क्षेत्र के डडीसरा, डडीसरी,खंजरावास, धोकलावास,वृजीनगरिया,नगला देवकरन,लोहई भालई,राजागड़ी,तुलागढीं सहित आदि गांवो मे बुखार का सबसे ज्यादा असर रहता है। इन गावों के पास से गुजरने वाले नहर नालों के अलावा तालाब- पोखरों की तादात भी अधिक होने के साथ साथ गन्दगी का पूरी तरह साम्रज्य बना रहता है उसी से पनपने वाले मच्छरो से बीमारी फैलती है
बुधवार को जागरण की टीम ने देखा तो बुखार से पीडित मरीजो की घर घर चारपाई विछी हुई है कस्बा कराहरी का प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर डाक्टर न होने से मरीज निजी डाक्टरों के यहां इलाज कराने को मजबूर हैं।जरावास मे मंगलवार को रमादेवी की मौत के बाद गुड्डू की पत्नी प्रीती तथा बच्चे खुश्बू,डोली,अन्नू,शिवम की हालत खराब बताई गई है इसके अलाबा भी और मरीज भी बुखार से पीडित है
मगर, स्वास्थ्य विभाग बुखार के इस प्रकोप से अब तक अनजान है। हैरानी की बात यह है कि पिछले साल भी इसी मौसम में बुखार ने क्षेत्रों में कहर बरपाया था। इसके बाद जिले के अन्य क्षेत्रों में इसका प्रकोप इन्हींं दिनों फैलता है। जिले में हर साल बुखार के कहर को लेकर सर्वे और अध्ययन करने वाली मलेरिया रिसर्च सेंटर के विशेषज्ञों ने दावा किया था कि मलेरिया और डेंगू के रूप में बुखार के साथ ही खादर क्षेत्र में यमुना और आसपास के अन्य दूषित पानी के साथ पहुंचने वाले वायरस के हमलों से इन क्षेत्रों में अधिक मौतें होती हैं। खास बात यह भी है कि रक्त की कम मात्रा और कम प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों के लिए बुखार अधिक खतरनाक साबित होता है।
फैल सकता है जापानी इन्सेफेलाइटिस
पिछले साल इस क्षेत्र में जापानी इन्सेफेलाइटिस बुखार कहर बन कर आया था। बारिश के बाद सबसे ज्यादा संभावना इसी बुखार के फैलने की रहती है। वरिष्ठि फिजिशियन डॉ अतुल कुलश्रेष्ठ के अनुसार बारिश के बाद पनपने वाले मच्छरोंं के कारण इस बुखार का वायरस फैलता है। यह वायरस के कारण होता है।
क्या हैं लक्षण
शुरुआत में तीन से चार दिन हल्का बुखार आता है। इसके बाद तेज बुखार चढ़ता है। बेहोशी आने लगती है। मिर्गी जैसे दौरे पड़ने लगते हैं। एक हाथ और एक पैर में लकवे का असर होता है। गर्दन अकड़ जाती है।
कौन होते हैं शिकार
डॉ अतुल कुलश्रेष्ठ के अनुसार बच्चे और बुजुर्ग इस वायरस के सबसे ज्यादा शिकार होते हैं। इसके अलावा मधुमेह और टीबी के रोगी एवं जिनके शरीर मेंं रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।
क्या है इलाज
विशेषकर बच्चों को जैसे ही बुखार आए तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। तुरंत अस्पताल में भर्ती कराएं। बेहोशी की स्थििति हो तो ऑक्सीजन लगावाएं। रीढ़ की हडडी से पानी िनिकाल पर इस वायरस की जांच होती है। एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं, बोतल चढ़ाई जाती है।
कैसे करें बचाव
पूरी बाहों के कपड़े पहनकर रहें। मच्छरदानी का प्रयोग करें। अधिक से अधिक शरीर को ढंक कर रखें। वायरस का टीका इंस्टीटयूट ऑफ वायरोलोजी, पुणे में तैयार हो रहा है, जोकि आगामी वर्ष में उपलब्ध रहेगा। फिलहाल डब्ल्यूएचओ की ओर से टीका उपलब्ध है।