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Janamshtami 2020: राज- सिंहासन पर विराजेंगे योगीराज, ब्रज में ठाकुर जी को सजाएंगी राजस्थानी पोशाक

Janamshtami 2020 श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर बाजार सजकर तैयार। आकर्षक पोशाक सिंगार और पालने बिखेर रहे अपनी छटा।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 11 Aug 2020 04:57 PM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 04:57 PM (IST)
Janamshtami 2020: राज- सिंहासन पर विराजेंगे योगीराज, ब्रज में ठाकुर जी को सजाएंगी राजस्थानी पोशाक
Janamshtami 2020: राज- सिंहासन पर विराजेंगे योगीराज, ब्रज में ठाकुर जी को सजाएंगी राजस्थानी पोशाक

आगरा, जागरण संवाददाता। जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण राजस्थानी और कोलकाता की सजावट वाली पोशाकें पहनेंगे। उनके लिए खास मोतियों और पत्थर वाले मुकुट, हार, पगड़ी और कंगन भी बाजार में उपलब्ध हैं। कोरोना काल में उनके लिए रत्न जडि़त मास्क भी होगा और झूलने के लिए आकर्षक पालना भी।

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बाजार में आराध्य राधा-कृष्ण के लिए मनमोहक पोशाकें जगमगा रही हैं। इस बार उन्हें विशेष रुप से वृंदावन, जोधपुर, कोलकाता से मंगवाया गया है। स्थानीय कारीगरों ने भी मोतियों और जरी-गोटे से आकर्षक पोशाकें तैयार की हैं, जिनकी आभा भी देखते ही बनती हैं। लड्डू-गोपाल के लिए रेशम, मोती और गोटापत्ती, मोरपंख, जरी, नेट आदि के कपड़े में पोशाकें, मुकुट व पगड़ी उपलब्ध हैं। इनकी कीमत 30 रुपये से लेकर 450 रुपये तक हैं। तो वहीं रत्नजडि़त बांसुरी, कंठहार, कुंडल, कड़े उनकी आभा को और निखारते नजर आएंगे, जो 30 से 200 रुपये में उपलब्ध हैं।

राज सिंहासन वाले पालने पर बिराजेंगे

पोशाक विक्रेता मयंक मिश्रा ने बताया कि जन्माष्टमी पर कान्हा को सिंगार कर बैठाने के लिए राज ङ्क्षसहासन और भव्य पालने भी बाजार में उपलब्ध हैं। पीतल और लकड़ी के झूलों, राज ङ्क्षसहासन के साथ उनके लिए इस बार फूल बंगला भी आकर्षक छटा बिखेरता नजर आ रहा है। इनकी कीमत 120 रुपये से लेकर 600 रुपये के बीच है।

गृहस्थ 11 और संन्यासी 12 को मनाएंगे जन्माष्टमी

कृष्ण जन्माष्टमी मनाने के लिए भक्तों में उत्साह है, लेकिन तिथि दो दिन होने से थोड़ा संशय भी है। ज्योतिषाचार्य पं. चंद्रेश कौशिक के अनुसार 11 को गृहस्थ और 12 अगस्त को संन्यासी कान्हा का जन्मोत्सव मनाएंगे। ग्रह नक्षत्र के अनुसार इस बार जन्माष्टमी पर वृद्धि योग बन रहा है। इसलिए पूजा-अर्चना विशेष रूप से फलदायी होगी। जन्माष्टमी में चंद्रोदय से तिथि देखी जाती है, जबकि अन्य ङ्क्षहदू पर्वो की तिथि सूर्योदय के अनुसार निर्धारित होती है। भगवान श्री कृष्ण का जन्म भादो कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रात्रि 12 बजे हुआ था। लिहाजा अष्टमी 11 अगस्त को सुबह 9 बजकर सात बजे आरंभ होकर 12 अगस्त को दिन में 11 बजकर 17 मिनट तक रहेगी। 12 अगस्त को जन्माष्टमी केवल वैष्णव दीक्षित और संन्यासियों के लिए मान्य होगी। गृहस्थ और सामान्य लोग 11 अगस्त को जन्माष्टमी व्रत रखेंगे।  


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