खिलखिला रही जिंदगी, एचआइवी दंपती करा रहे टेस्ट ट्यूब बेबी
ताजनगरी आगरा के एक ऐसे ही एचआइवी पॉजिटिव दंपती (युवती निगेटिव) की जिंदगी टेस्ट ट्यूब बेबी की किलकारी से खिलखिलाने लगी है। यह दंपती अपनी बेटी के साथ खुशहाल जिंदगी जी रहा है।
आगरा [अजय दुबे]। एचआइवी पॉजिटिव! जिंदगी का अंत नहीं है। यह हौसले और सुनहरे सपनों से भरी जिंदगी की नई शुरुआत है। ताजनगरी आगरा के एक ऐसे ही एचआइवी पॉजिटिव दंपती (युवती निगेटिव) की जिंदगी टेस्ट ट्यूब बेबी की किलकारी से खिलखिलाने लगी है। यह दंपती अपनी बेटी के साथ खुशहाल जिंदगी जी रहा है।
दंपती को शादी के एक वर्ष बाद यह पता चला कि युवक एचआइवी पॉजिटिव है, पहले वह मानने को तैयार नहीं था। युवती अपने पति को एसएन मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंची। यहां काउंसिलिंग के बाद एंटी रिट्रो वायरल थैरेपी (एआरटी) शुरू कर दी गई। युवक सामान्य जिंदगी जीने लगा, इसके बाद युवती ने बच्चे की प्लानिंग की। उसने एसएन में संपर्क किया, वह खुद एचआइवी निगेटिव थी, इसलिए स्वस्थ बच्चे के लिए टेस्ट ट्यूब बेबी का विकल्प बताया गया।
हालांकि एचआइवी पॉजिटिव पति से गर्भधारण करने पर स्वस्थ बच्चे की संभावना 95 फीसद होती है। साथ ही युवती को भी संक्रमण का खतरा था। ऐसे में युवक टेस्ट ट्यूब बेबी के लिए तैयार हो गया, स्पर्म बैंक से स्पर्म लेने के बाद टेस्ट ट्यूब बेबी प्लानिग की गई। उसने बेटी को जन्म दिया है। यह दंपती अपनी बेटी के साथ सामान्य जिंदगी जी रहे हैं। ऐसे तमाम दंपती हैं, जो एसएन में बच्चे की प्लानिंग के लिए काउंसिलिंग करा रहे हैं।
केस वन - शादी के एक साल बाद पता चला कि युवक एचआइवी पॉजिटिव है। पूरा परिवार सदमे में आ गया, लेकिन पत्नी ने हिम्मत दिखाई। पति की काउंसिलिंग कराई गई, दंपती ने टेस्ट ट्यूब बेबी प्लान किया। उनके बेटी हुई है, वे अपनी बेटी के साथ खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं।
केस टू - एचआइवी पॉजिटिव युवक की इलाहाबाद की पॉजिटिव युवती से तीन साल पहले शादी हुई। उन्होंने एसएन के प्रिवेंशन ऑफ पैरेंट टु चाइल्ड ट्रांसमिशन (पीपीटीसीटी) सेंटर से काउंसिलिंग के बाद गर्भधारण किया। उनके 18 महीने का बेटा है, फाइनल जांच में वह एचआइवी निगेटिव है।
केस थ्री - निजी कंपनी में कार्यरत युवक को एक साल पहले एचआइवी पॉजिटिव का पता चला। उसकी मुलाकात इलाहाबाद की एचआइवी पॉजिटिव अविवाहित युवती से कराई गई। दोनों के परिजन शादी के लिए तैयार हो गए। दोनों खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं।
95 फीसद कोख सुरक्षित
एसएन में 2005 से पीपीटीसीटी सेंटर है। यहां एचआइवी पॉजिटिव गर्भवती महिला से शिशु में संक्रमण न फैले, इसके लिए गर्भवती महिला की एआरटी शुरू की जाती है। प्रसव के तुरंत बाद शिशु को नेविरेपिन सीरप .2 एमएल प्रति किलोग्राम वजन के हिसाब से दिया जाता है। एआरटी ले रही गर्भवती महिलाओं के शिशु को 45 दिन तक सीरप दिया जाता है। जो छह महीने से एआरटी ले रही हैं, उन बच्चों को तीन महीने तक सीरप दिया जाता है। यहां 12 साल में 73 में से तीन बच्चों में ही कोख से एचआइवी संक्रमण फैला है। 70 बच्चे स्वस्थ हैं।
एचआइवी पॉजिटिव का मैरिज ब्यूरो
तीन वर्ष से आगरा पॉजिटिव पीपुल्स वेलफेयर सोसायटी यहां पर एचआइवी पॉजिटिव युवक-युवतियों की शादी करा रही है। संस्था के प्रदेश के सभी जिलों में सेंटर है। देवेंद्र सिंह परियोजना निदेशक, आगरा पॉजिटिव पीपुल्स वेलफेयर सोसायटी ने बताया कि एचआइवी पॉजिटिव युवक शादी करना चाहें, तो उनका बायोडाटा दूसरे सेंटर में भेजा जाता है। युवक-युवती की मुलाकात के बाद उनके परिजनों के बीच बात कराई जाती है। इसके बाद कोर्ट मैरिज और आर्य समाज मंदिर में शादी कराई जा रही है। फिर वे चाहें, तो पारंपरिक तरीके से शादी होती है।
18 महीने तक शिशु की जांच
एचआइवी पॉजिटिव गर्भवती के प्रसव के बाद शिशु की छह महीने पर एचआइवी की जांच कराई जाती है। ब्लड के सैंपल एम्स भेजे जाते हैं, दूसरी जांच 12 महीने और तीसरी 18 महीने पर होती है। इसमें बच्चा निगेटिव होने पर ही एचआइवी संक्रमण की संभावना समाप्त होती है।
एसएन के पीपीटीसीटी सेंटर में हुए प्रसव - 234
एचआइवी निगेटिव शिशु - 70
एचआइवी पॉजिटिव शिशु - 03
एआरटी सेंटर में पंजीकृत एचआइवी पॉजिटिव - 3562 (इस साल अप्रैल से नवंबर तक पंजीकृत पॉजिटिव 540)
तीन साल में एचआइवी पॉजिटिव दंपती की कराई गई शादी - 14
मेडिकल कालेज में सुरक्षित प्रसव
प्राचार्य एसएन मेडिकल कालेज, डॉ. सरोज सिंह ने कहा कि पीपीटीसीटी सेंटर में 234 प्रसव हुए हैं, इसमें से 73 बच्चों की 18 महीने के बाद वाली एचआइवी की फाइनल जांच हो चुकी है। तीन बच्चे पॉजिटिव हैं, 70 बच्चे स्वस्थ हैं, उन्हें एचआइवी पॉजिटिव मां के गर्भ से एचआइवी का संक्रमण नहीं लगा है।
दोनों पॉजीटिव भी करें प्लान
टेस्ट ट्यूब बेबी एक्सपर्ट व प्रेसीडेंट इलेक्ट, फोग्सी डॉ. जयदीप मल्होत्रा ने बताया कि एचआइवी पॉजिटिव, जिसमें महिला निगेटिव है, वे टेस्ट ट्यूब बेबी करा रहे हैं। दोनों पॉजिटिव हैं, वे बच्चा चाहें, तो इसके लिए कई तरह की सावधानियां बरती जाती हैं, इसके बाद वे टेस्ट ट्यूब बेबी प्लान कर सकते हैं।
पहले लें प्रिकॉशन
एसएन मेडिकल कालेज में पीसीपीएनडीटी सेल की परामर्शदात्री रितु भार्गव ने बताया कि एचआइवी पॉजिटिव दंपती बच्चे की प्लानिंग के लिए आते हैं, उन्हें बताया जाता है कि पीरियड्स के 12 से 18 दिन वे प्रिकॉशन ना लें, इसके अलावा अन्य दिन प्रिकॉशन लें।
संक्रमण का खतरा कम
एसएन मेडिकल कॉलेज में एआरटी प्रभारी डॉ. रेखा टंडन ने बताया कि गर्भवती महिला की पहले दिन से एआरटी शुरू होने पर गर्भस्थ शिशु को संक्रमण फैलने का खतरा कम रहता है। कई केस में प्रसव के दौरान एचआइवी पॉजिटिव का पता चलता है। इस दौरान खतरा रहता है।