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मुश्किल समय में मिली सकारात्मकता की समझ

कोविड-19 की शुरुआत जब से हुई तब से जीवन शैली में तमाम परिवर्तन आए और उनके बारे में सोचने के लिए पर्याप्त समय भी मिला। चूंकि घर से बाहर निकलना बंद था इसलिए खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वास्थ्य रखने का पर्याप्त मौका था।

By JagranEdited By: Published: Fri, 06 Nov 2020 05:20 AM (IST)Updated: Fri, 06 Nov 2020 05:20 AM (IST)
मुश्किल समय में मिली सकारात्मकता की समझ

आगरा । कोविड-19 की शुरुआत जब से हुई, तब से जीवन शैली में तमाम परिवर्तन आए और उनके बारे में सोचने के लिए पर्याप्त समय भी मिला। चूंकि घर से बाहर निकलना बंद था, इसलिए खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वास्थ्य रखने का पर्याप्त मौका था।

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सही मायनों में कोरोना संक्रमण के दौरान कई परिवर्तन देखने को मिले। यह परिवर्तन कहीं सकारात्मक, तो कहीं नकारात्मक रहे। इस काल में हमारी आदतें और दिनचर्या काफी हद तक बदल गई। ऐसे परिवर्तन को हम अपनी जीवनशैली में सरलता से अनुभव कर सकते हैं। हमने जीवन शैली के साथ सामाजिक व आर्थिक क्षेत्रों में आए बदलावों को भी देखा। हमारे तौर-तरीके, रहन-सहन से लेकर कार्यशैली तक, हर क्षेत्र में कई बदलाव हुए।

भारतीय संस्कृति में हाथ जोड़ कर नमस्ते से अभिवादन करने की परंपरा रही हैं। कोरोना काल में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने हाथ मिलाने से परहेज करने की सलाह दी, जो भारतीय हाथ मिलाकर अभिवादन करते थे, वह इस काल में अपनी पुरानी संस्कृति में लौटते दिखे। पूरे विश्व ने इस दौरान भारतीय संस्कृति को अपनाकर हाथ जोड़कर अभिवादन करना सीखा।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना से बचने के लिए दिनभर समय-समय पर हाथ धोते रहने की सलाह दी। कोरोना काल से स्थगित चल रहे सफाई अभियानों को जोर- शोर से लागू किया गया। साफ-सफाई से संबंधित विशेष कार्यों को ध्यान में रखकर जीवनशैली में लोगों ने कई तरह नुस्खे अपनाए।

लोगों ने खुद को सुरक्षित रखने के लिए घरों से काम करना उचित समझा। बच्चों को इस महामारी से बचाने के लिए आनलाइन शिक्षण पर जोर दिया गया। कोरोना काल के दौरान डिजिटलाइजेशन को प्रोत्साहन मिला और हम काफी अपडेट हुए। लोगों ने आनलाइन लेन-देन पर जोर दिया और डिजिटल माध्यमों से धनराशि का आदान-प्रदान हुआ।

कला और संस्कृति पर भी लोगों ने जोर डालकर नए तौर-तरीके सीखे। समय का अभाव न होने के कारण घरों में समय बिताकर पारिवारिक संबंधों को और मजबूत बनाया गया।

इसके अतिरिक्त आर्थिक बदलाव जैसे महंगाई बढ़ना, आमदनी घटना, उत्पादन में भारी गिरावट, ऐसी विपदा का लोगों ने इस दौर सामना किया।

घर में कैद रहे लोगों को इस दौरान काफी शारीरिक और मानसिक तनाव से गुजरना पड़ा। शारीरिक तकलीफों से गुजरते लोगों ने व्यायाम के रास्ते को चुनकर आयुर्वेदिक उपायों पर बल दिया। ध्यान से हमारे मन-मस्तिष्क को शांत रखने में मदद मिली। इस दौर में पर्याप्त समय होने के कारण हमें रचनात्मकता से सीधे तौर पर जुड़ने का भरपूर मौका मिला। हमने समय का सदुपयोग कर नृत्य, कला, संगीत का अभ्यास कर अपने कौशल को बढ़ाया।

सबसे महत्वपूर्ण रहा सकारात्मक सोचना। सकारात्मक सोच से हम बड़ी से बड़ी मुश्किलों का सामना कर सकते हैं। इससे हमारा जीवन तनाव मुक्त होता है और हमें मानसिक तकलीफों से मुक्ति मिलती है। सकारात्मक सोच हमें प्रगति के मार्ग पर ले जाती है और सफलता दिलाती है।

अंशिका गुप्ता, कक्षा-10, आल सेंट्स स्कूल, कहरई।


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