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ये डॉक्टर तो हैं रिकॉर्ड बनाने की मशीन

कुलदीप सिंह, आगरा: मेरे जुनून का नतीजा जरूर निकलेगा। इसी स्याह समंदर से नूर निकलेगा।। इन पक्तियों पर

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Jun 2018 05:30 PM (IST)Updated: Sat, 09 Jun 2018 05:30 PM (IST)
ये डॉक्टर तो हैं रिकॉर्ड बनाने की मशीन
ये डॉक्टर तो हैं रिकॉर्ड बनाने की मशीन

कुलदीप सिंह, आगरा: मेरे जुनून का नतीजा जरूर निकलेगा। इसी स्याह समंदर से नूर निकलेगा।। इन पक्तियों पर अपने जीवन को केंद्रित करने वाले डॉ. प्रमोद कटारा ने नए रिकॉर्ड बनाने और उन्हें तोड़ने को अपना जुनून बना लिया है। लिम्का बुक में एक रिकॉर्ड दर्ज कराने के लिए लोगों की जिंदगी बीत जाती है लेकिन डॉ. प्रमोद एक दर्जन रिकॉर्ड लिम्का बुक में दर्ज करा चुके हैं।

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शहर के अर्जुन नगर निवासी डॉ. प्रमोद कटारा अब तक 23 रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके हैं। 2013 में 120 सेमी की स्विस बॉल पर सात घटे 40 मिनट तक अपना संतुलन बनाए रखने के लिए उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड ने नेशनल रिकॉर्ड दर्ज किया। यहां से शुरू हुआ रिकॉर्ड बनाने का सफर अनवरत जारी है। 25 जून, 2014 को उन्होंने एक ही दिन में पांच रिकॉर्ड बनाकर विश्व कीर्तिमान स्थापित किया, जिसे लिम्का बुक और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया। डॉ. प्रमोद कटारा को स्टेमिना एवं एन्ड्योरेन्स कैटेगरी में अधिकतम 21 रिकॉर्ड बनाने के लिए व‌र्ल्ड रिकॉडर््स यूनिवर्सिटी द्वारा डॉक्टरेट डिग्री प्रदान की जा चुकी है। 21 जून, 2016 को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर जयपुर के व‌र्ल्ड ट्रेड पार्क में 120 सेंटीमीटर की स्विस बॉल पर वज्रासन का रिकॉर्ड बनाया। 2017 में उन्हें एशिया के टॉप-100 रिकॉर्ड होल्डर्स की सूची में शामिल किया गया।

किराए की साइकिल से किया अभ्यास

53 वर्षीय डॉ. प्रमोद कटारा को एक दिन अचानक साइकिल चलाने का जुनून सवार हुआ। 25 साल से साइकिल न चलाने के बाद भी पांच दिन के अभ्यास में उन्होंने 100 किमी की दूरी किराए की साइकिल से तय की। इसके बाद साइकिल खरीद रिकॉर्ड बनाने की तैयारी शुरू की।

14 जून को बनाएंगे नया रिकॉर्ड

पेशे से पैथोलॉजिस्ट डॉ. प्रमोद कटारा के मुताबिक 14 जून साल का सबसे गर्म दिन होता है। 14 जून को वह पूरी आस्तीन के ऊनी कपड़े पहन कर 100 किलोमीटर साइकिल चलाने का रिकॉर्ड बनाने का प्रयास करेंगे। इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड ने इसके लिए अपनी सहमति दे दी है। रिकॉर्ड बनने के बाद इसे इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में शामिल किया जाएगा।

गंभीर बीमारी को योग और ध्यान से दी मात

2005 में डॉ. प्रमोद कटारा ऑस्टियोआर्थराइटिस की बीमारी से ग्रस्त हो गए। महीनों दर्द की दवाओं से आराम न मिलने पर उन्हें दवाइयों से नफरत हो गई। उन्होंने ध्यान और योग की मदद से ऑर्थराइटिस के दर्द पर काबू पाने की तकनीक हासिल की। अब वह ऑर्थराइटिस के मरीजों को प्राकृतिक तरीके से इस बीमारी को दूर करने का परामर्श एवं प्रशिक्षण देते हैं।


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