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Deaths by Fever: ये डेंगू है या कुछ और, आगरा में आठ से 10 बच्‍चों की रोजाना हो रही मौत

आगरा में हर दिन रिपोर्ट हो रही हैं आठ से 10 मौतें। स्‍वास्‍थ्‍य विभाग पर लीपापोती के आरोप। सरकारी आंकड़ों में सिर्फ एक मौत डेंगू से होना बताया जा रहा है। मंगलवार को समाजवादी पार्टी के नेता के मासूम बेटे की हुई मृत्‍यु। इलाज के लिए ले गए थे नोएडा।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Tue, 19 Oct 2021 05:39 PM (IST)Updated: Tue, 19 Oct 2021 05:39 PM (IST)
आगरा के अस्‍पतालों में बुखार पीडि़तों से बैड फुल हो चुके हैं।

आगरा, जागरण संवाददाता। हर दूसरे घर में जानलेवा बुखार से पीडि़त बच्‍चे और युवा बिस्‍तर पकड़े नजर आ रहेे हैं। अस्‍पतालों में भर्ती होने के लिए जगह नहीं बची है। एक बैड पाने के लिए तमाम सिफारिशें करनी पड़ रही हैं। हद तो ये है कि हर दिन आगरा में बुखार से आठ से 10 मौतें हो रही हैं। माता पिता के कलेजे का टुकड़ा असमय दुनिया से विदा से ले रहा है और सरकारी मशीनरी उसकी मौत डेंगू से न होना बता रही है। सरकारी आंकड़ों में अब तक आगरा में सिर्फ एक मौत डेंगू से हुई है, जबकि जानकारों का कहना है कि बीते दो महीनों में आगरा में 450 से ज्‍यादा मृत्‍यु हो चुकी हैं, इनमें से अधिकांश बच्‍चे हैं। स्‍वास्‍थ्‍य विभाग इन सभी को संदिग्‍ध बुखार बता रहा है। आखिर ये संदिग्‍ध बुखार है क्‍या, चिकित्‍सा क्षेत्र में अत्‍याधुनिक तकनीकों के बीच संदिग्‍ध या रहस्‍यमयी बुखार को कोई नाम क्‍यों नहीं दिया जा रहा है, अब ये सवाल भी खड़े होने लगे हैं।

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मंगलवार को सुबह समाजवादी पार्टी आगरा के नेता वीनू महाजन के 10 वर्षीय पुत्र की मृत्‍यु हुई है। वे यहां उपचार होता न देखकर उसे नोएडा ले गए थे। इसी तरह वरिष्‍ठ कांग्रेस नेता गोविंद अग्रवाल के दो पौत्र डेंगू से जूझ रहे हैं। इनमें से एक आगरा में भर्ती है, जबकि दूसरे का इलाज दिल्‍ली में इंद्रप्रस्‍थ अपोलो हॉस्पिटल में चल रहा है। अपोलो में भर्ती बच्‍चे की हालत नाजुक है, उसे वेंटीलेटर पर रखा हुआ है।

ये है सरकारी खेल

केस वन- थाना एत्माउददौला में तैनात सिपाही सोनू 28 साल को बुखार आने पर निजी अस्पताल में भर्ती कराया। डेंगू की रिपोर्ट पाजिटिव आने पर इलाज चल रहा था, मौत हो गई। स्वास्थ्य विभाग के रिकार्ड में यह डेंगू से मौत नहीं है।

केस टू- कालिंदी विहार निवासी 10 साल के प्रियांशु को बुखार आ रहा था, डाक्टर से दवा ली तो वह ठीक हो गया। इसके बाद अचानक तबीयत बिगड़ गई, उल्टी होने लगी। निजी अस्पताल में जांच में डेंगू की पुष्टि हुई, इलाज के दौरान मौत हो गई। यह मौत रिकार्ड में दर्ज नहीं है।

बुखार और डेंगू आगरा में बच्‍चों और युवाओं की जान ले रहा है। मगर, कोरोना की तरह से सरकारी आंकड़ों में डेंगू से मौत दर्ज नहीं हो रही है। स्वास्थ्य विभाग के रिकार्ड के अनुसार अभी तक 70 साल की बुजुर्ग महिला की ही डेंगू से मौत हुई है। कोरोना की दूसरी लहर में मरीजों की बड़ी संख्या में मौत हुई। मगर, कुछ मरीजों की जांच नहीं हो सकी, कई मरीजों की मौत के बाद रिपोर्ट पाजिटिव आई। इसके चलते रिकार्ड में पहली और दूसरी लहर में 458 कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत ही दर्ज है। अब डेंगू के डेन टू स्ट्रेन से संक्रमण फैल रहा है। डेेन टू स्ट्रेन में तीन दिन तक बुखार आने के बाद चौथे से छठवें दिन के बीच अचानक से तबीयत बिगड़ रही है। बेहोशी, उल्टी, पेट में दर्द की शिकायत के साथ मरीज अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं। यहां रैपिड टेस्ट से जांच में डेंगू की पुष्टि और प्लेटलेटस काउंट कम मिल रहे हैं। 12 से 24 घंटे के बीच में मौत हो रही है। वहीं, देहात में बुखार आने पर मरीजों की जांच नहीं कराई जा रही है। तीन से चार दिन बाद बच्चों की मौत हो रही है। इनकी जांच नहीं हो रही है, इसलिए मौत कैसे हुई यह पता नहीं चल रहा है। उधर, बुखार और डेंगू से मौत होने के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम डेथ आडिट कर रही है। बुखार से मरने वाले 42 मरीजों का आडिट हो चुका है। टीम को डेंगू की रैपिड किट की रिपोर्ट पाजिटिव और प्लेटलेटस काउंट कम मिल रहे हैं। इन्हें डेंगू संभावित माना जा रहा है। देहात में जिन बच्चों की मौत हुई है, टीम को उनकी कोई जांच और डाक्टर का पर्चा नहीं मिला है। देहात में झोलाछाप से इलाज कराया जा रहा है।

तीसरी लहर को लेकर चलने लगीं चर्चाएं

डेंगू में जिस तरह से मौतें हो रही हैं और वो भी बच्‍चों की। ऐसे में कोरोना वायरस की तीसरी लहर होने को लेकर भी लोगों में चर्चाएं चलने लगी हैं। अक्‍टूबर और नवंबर के महीने में तीसरी लहर आने की बात पहले कही जा रही थी। इसी अवधि में आगरा में डेंगू ने पांव पसारे हैं। नगर निगम रोजाना फॉगिंग और एंटी लार्वा स्‍प्रे करा रहा है। स्‍वास्‍थ्‍य विभाग गांवों में कैंप कर रहा है। उसके बावजूद डेंगू थम नहीं रहा, बल्कि बढ़ रहा है। वहीं चिकित्‍सकों का कहना है कि डेंगू में इस बार जो लक्षण आ रहे हैं, वो कोरोना वायरस संक्रमण की तरह ही मिलते-जुलते हैं।

बुखार से मौत की सूचना मिलने पर डेथ आडिट कराया जा रहा है। 42 डेथ आडिट हो चुके हैं, निजी लैब की रेपिड टेस्ट की रिपोर्ट को डेंगू संभावित माना जाता है। एलाइजा टेस्ट की रिपोर्ट पाजिटिव आने पर ही डेंगू की पुष्टि होती है। जिनकी मौत हुई है, उनमें से किसी की भी डेंगू एलाइजा की रिपोर्ट पाजिटिव नहीं मिली है।

डा. अरुण श्रीवास्तव, सीएमओ

गाइड लाइन के अनुसार, डेंगू की जांच बुाखर आने के 24 घंटे के बाद से पांच दिन तक एलाइजा टेस्ट से एनएस 1 की जांच की जाती है, पांच दिन से ज्यादा का बुखार है तो एलाइजा टेस्ट से आईजीएम की जांच की जाती है। इसकी रिपोर्ट पाजिटिव आने पर ही डेंगू की पुष्टि होती है।

डा. अंकुर गोयल, माइक्रोबायोलाजिस्ट 


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