बाल आयोग का चला डंडा, तो शुरू हुई जांच की कार्रवाई, अब खुलेगा तीन बच्चों की मौत का राज
डीपीओ ने बच्चो के स्वजनों और सामाजिक कार्यकर्ता से ली जानकारी।
आगरा, जागरण संवाददाता। समय पर इलाज नहीं मिलने से तीन बच्चों की मौत के मामले में राष्ट्रीय बाल आयोग के सख्त रवैये के बाद इसकी जांच शुरू कर दी गई है। रविवार को जिला प्रोबेशन अधिकारी ने सामाजिक कार्यकर्ता और बच्चों के स्वजनों से घटना की जानकारी ली।
रकाबगंज के छीपीटोला स्थित तेलीपाड़ा निवासी मोहम्मद बिलाल गौरी के आठ महीने के बेटे हमजा की 29 अप्रैल को तबीयत खराब हो गई थी। उसे लेकर वह कई अस्पतालों में गए, वहां डॉक्टर नहीं मिले। हमजा के ताऊ शान का आरोप था कि वे हमजा को एसएन इमरजेंसी लेकर गए। वहां फाइल आदि बनाने की प्रक्रिया में समय लगने के चलते बच्चे की मौत हो गई। समय पर यदि बच्चे को देख लिया जाता तो उसकी जान बच जाती।
दूसरा मामला भी छीपीटोला का है। लाखन सिंह के पुत्र निहाल सिंह 12 वर्ष के पेट में दर्द होने पर वह उसे लेकर अस्पतालों के चक्कर काटते रहे। अस्पतालों द्वारा कहीं पर भर्ती नहीं होने पर उसने 26 अप्रैल को दम तोड़ दिया था। एक और मामला प्रसूता का है। समय पर इलाज नहींं मिलने से महिला की कोख में पल रहे शिशु की मौत हो गई थी। सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस ने बच्चों की मौत के मामलों की शिकायत राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग में की थी। आयोग ने सख्ती दिखाते हुए डीएम से तीन दिन में रिपोर्ट मांगी है। डीएम द्वारा जिला प्रोबेशन अधिकारी लवकुश भार्गव को जांच करने के निर्देश दिए हैं। जिला प्रोबेशन अधिकारी ने रविवार को सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस और बच्चों के स्वजनों से घटना की जानकारी ली।
आज होगा जवाब तलब
लॉकडाउन के दौरान इलाज न मिल पाने से हुई 12 वर्षीय बच्चे की मौत के मामले में जांच शुरू हो गई है। उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के निर्देश के बाद प्रशासन ने एसएन मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य के माध्यम से बाल रोग विभाग से जवाब तलब किया है। विभाग के अध्यक्ष को साेमवार दोपहर तक रिपोर्ट देनी होगी।