यूपी का यह गांव ऐसा जहां अमेरिका की तर्ज पर प्रधान पद के प्रत्याशी के लिए आंतरिक चुनाव, जानिए पूरी प्रक्रिया...
Uttar Pradesh Panchayat Chunav मैनपुरी जिले के औरंध गांव में अमेरिकी प्राइमरी की तर्ज पर प्रधान पद के प्रत्याशी के लिए आंतरिक चुनाव कराया गया है। चुनाव में जीत हासिल करने वाला ही पंचायत चुनाव में प्रत्याशी होगा। यह नायाब पहल गांव के बुजुर्गों की वजह से संभव हुई।
मैनपुरी [दिलीप शर्मा]। उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के गांव औरंध ने एकजुटता की नई मिसाल पेश की है। अमेरिकी प्राइमरी की तर्ज पर गांव में प्रधान पद का आंतरिक चुनाव कराया गया है। चुनाव में जीत हासिल करने वाला ही पंचायत चुनाव में प्रत्याशी होगा। यह नायाब पहल गांव के बुजुर्गों की वजह से संभव हुई। इनका मानना है कि एक गांव से कई प्रत्याशी होने से आपसी रंजिश पनपती है, इसे रोकने के लिए यह चुनाव कराया गया है।
पंचायत चुनाव में रंजिशन खून बहाने की अनगिनत घटनाएं हैैं। कहीं आपस में बैर पनपता है तो कहीं बवाल होता हैं। कई लोग मौत के घाट तक उतार दिए जाते हैैं। इस रंजिश से विकास भी बाधित होता है। फौजियों के गांव के नाम से मशहूर औरंध में इसे रोकने के लिए सोमवार को प्रधान पद के लिए आंतरिक चुनाव किया गया। बैलेट पेपर छपवाए गए, पांच बूथ बनाए गए। वोटर लिस्ट के आधार पर मतदान किया गया। पीठासीन अधिकारी व मतदानकर्मियों की जगह गांव के ही निर्विवादित और सम्मानित लोग बैठे। निर्धारित समय में मतदान होने पर मतगणना भी की गई। इसके बाद तीन प्रत्याशियों में एक विजयी घोषित किया गया।
यूं बनी आंतरिक चुनाव की पृष्ठभूमि : हर परिवार से कोई न कोई सेना में होने की वजह से औरंध को फौजियों का गांव भी कहा जाता है। यह ग्राम पंचायत भी है, जिसमें कुल 10 गांव-मजरे हैं। कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 6300 है। ग्राम पंचायत के सबसे बड़े गांव औरंध में 1936 मतदाता हैैं। पंचायती राज लागू होने के बाद हर चुनाव में गांव औरंध का व्यक्ति ही प्रधान चुना जाता रहा। वर्ष 2010 में भनऊ गांव का प्रधान बना, वर्ष 2015 में भी ऐसा ही हुआ। बीते चुनाव में औरंध से ही छह प्रत्याशी मैदान में थे, वोट बंटने के साथ ही गांव में गुटबंदी पैदा हो गई। लिहाजा, इस बार गांव के बुजुर्गों ने आंतरिक चुनाव कर एक प्रत्याशी उतारने का फैसला किया। चुनाव के लिए सात लोगों की समिति बना दी गई।
ऐसे कराया चुनाव : सात सदस्यीय समिति ने गांव में चुनाव पर आने वाले खर्च का प्रबंध किया। गांव से तीन दावेदार थे। तीनों के नाम और फोटोयुक्त मतपत्र छपवाए गए। मतदान के लिए गांव को पांच वार्डों में बांट कर पांच बूथ बनाए गए। हर मतदान केंद्र पर एक पीठासीन अधिकारी भी नियुक्त किया गया। सोमवार सुबह सात बजे से दोपहर एक बजे तक मतदान हुआ। कुल 1936 में से 1138 मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया। गांव के मंदिर परिसर को मतगणना केंद्र बनाया गया। तीनों प्रत्याशियों के चुनाव एजेंट की मौजूदगी में मतों की गिनती की। मतगणना में 724 मत हासिल कर अखंड प्रताप विजयी रहे जबकि, सत्यपाल सिंह को 384 और सुनील चौहान को 30 मत प्राप्त हुए। चुनाव समिति ने विजेता के नाम की घोषणा की।
फैसले का सभी करेंगे सम्मान : आंतरिक चुनाव में विजेता प्रत्याशी अखंड प्रताप ने कहा कि कई प्रत्याशियों के लड़ने से गांव का वोट न बंटे और आपस में बैर न हो। यही सबकी इच्छा है। सभी इस इच्छा का पूरी तरह पालन करेंगे। प्रत्याशी सुनील चौहान ने कहा कि पूरे गांव में मिलकर आंतरिक चुनाव कराने का निर्णय लिया था। इसमें हुए फैसले का सभी सम्मान करेंगे। प्रत्याशी सत्यपाल सिंह ने कहा कि गांव में कोई नहीं चाहता कि चुनाव को लेकर कोई विवाद हो। इसी कारण हम सबने मिलकर यह आंतरिक चुनाव कराया है।
फैसले का पालन नहीं करने पर होगा बहिष्कार : चुनाव समिति के वरिष्ठ सदस्य अमर सिंह ने बताया कि पूरे गांव और प्रत्याशियों की सहमति से ही आंतरिक चुनाव की प्रक्रिया पूरी की गई है। सभी इसका पालन करेंगे। यदि कोई नतीजे के खिलाफ जाता है तो पूरा गांव उसका बहिष्कार करेगा।