आगरा के डाक्टर से चौथ मांगने वाले बंदियों को अलीगढ़ और एटा जेल में स्थानांतरित किया गया
आगरा के सिकंदरा क्षेत्र में स्थित आयुष्मान अस्पताल के संचालक डाक्टर संजीव यादव मूलरूप से एटा के थाना जैथरा के गांव कठगरा के रहने वाले हैं। डाक्टर ने एटा जेल में निरुद्ध बंदी अनिल पांडे निवासी निजामाबाद थाना जैथरा के खिलाफ पुलिस में शिकायत की थी।
आगरा, जेएनएन। जेल में निरुद्ध सजायाफ्ता बंदी द्वारा आगरा के चिकित्सक को फोन पर धमकी देकर रंगदारी मांगने के मामले की जांच के लिए सोमवार को डीआइजी जेल अखिलेश कुमार जिला कारागार पहुंचे। इस दौरान काल भी ट्रेस कर ली गई, जिससे पता चला कि डाक्टर को फोन 17 दिसंबर 2020 को नहीं बल्कि 4 दिसंबर को किया गया था। डाक्टर की तहरीर पर सिटी कोतवाली में दो बंदियों के खिलाफ रंगदारी मांगने की एफआइआर दर्ज कराई गई है। जेल प्रशासन ने बंदियों अनिल पांडे को अलीगढ़ और अनिल दुबे को कासगंज की जेल में स्थानांतरित कर दिया है।
आगरा के सिकंदरा क्षेत्र में स्थित आयुष्मान अस्पताल के संचालक डाक्टर संजीव यादव मूलरूप से एटा के थाना जैथरा के गांव कठगरा के रहने वाले हैं। डाक्टर ने एटा जेल में निरुद्ध बंदी अनिल पांडे निवासी निजामाबाद थाना जैथरा के खिलाफ पुलिस में शिकायत की थी। डाक्टर का आरोप है कि बंदी अनिल पांडे ने चार दिसंबर 2020 को उन्हें फोन करके 10 लाख रुपये चौथ मांगी। इस मामले में जेल-प्रशासन ने जांच शुरू की तो पता चला कि बंदी अनिल पांडे ने यह फोन खुद नहीं किया था।उसने अपने ही गांव के अनिल दुबे से चौथ मांगने का फोन करवाया था।
काल डिटेल मिलने के बाद यह स्थिति स्पष्ट हो गई। इस मामले की जांच के लिए सोमवार को स्वयं डीआइजी जेल अखिलेश कुमार जिला कारागार पहुंच गए। इसके अलावा जिलाधिकारी सुखलाल भारती, एसएसपी सुनील कुमार सिंह भी पहुंचे। अनिल पांडेय से जब पूछताछ हुई तो उसने सब कुछ बता दिया। तब दूसरे अनिल का नाम सामने आया। काल करते वक्त दोनों साथ थे, लेकिन डाक्टर से बात अनिल पांडेय ने नहीं बल्कि दूसरे ने की थी। इससे पहले डाक्टर के गांव के ही चार और बंदियों से भी पूछताछ की गई थी। इसके बाद एसएसपी के निर्देश पर डाक्टर के शिकायती पत्र के आधार पर शहर कोतवाली में दोनों अनिल के खिलाफ एफआइआर दर्ज करा दी गई।
अधिकारियों को बंदियों ने बताई दूसरी कहानी
जेल में बंदियों से की गई पूछताछ के दौरान उन्होंने कुछ और कहानी बताई। बंदियों ने अधिकारियों को बताया कि अनिल पांडेय और दूसरे अनिल की कुछ वर्षों पूर्व डाक्टर से दोस्ती थी। इस दौरान डाक्टर ने अपने हास्पीटल में मेडिकल स्टोर खोलने के लिए अनिल पांडेय से 77 हजार रुपया लिया था। पांडेय का आरोप है कि डाक्टर ने एक फर्जी सर्टिफिकेट दे दिया, जिसका पता चलते ही वह डाक्टर से अलग हो गया। अब वह पैसा मांग रहा है तो डाक्टर उसे फंसाने के लिए रंगदारी और धमकी का बहाना कर रहा है।
अब हर काल होगी रिकार्ड
कारागार में फोन करने की बंदियों को सुविधा इसलिए दी गई है ताकि वे कोरोना संकट के कारण मिलाई के लिए न आ पाने वाले परिवार वालों से बातचीत कर सकें। अब फोन के दुरुपयोग का मामला सामने आ चुका है। डीआइजी जेल ने कारागार अधीक्षक पीपी सिंह को निर्देश दिए कि अब हर काल रिकार्ड की जाए और सीसीटीवी कैमरे भी फोन वाली जगह पर लगवाए जाएं, ताकि विजुअल भी मिल सके।
चौथ मांगने में अस्पताल के पूर्व कर्मचारी पर शक
जेल से दस लाख रुपये रंगदारी मांगने के मामले में शक की सुई डाक्टर संजीव यादव के अस्पताल के एक पूर्व कर्मचारी पर है। पुलिस ने डाक्टर से जानकारी की, इसके बाद यह नाम शक के दायरे में आया है। एटा का रहने वाला यह कर्मचारी कोरोना काल में अस्पताल से नौकरी छोड़कर चला गया था। जेल में निरुद्ध एक बंदी से इस कर्मचारी के संबंध बताए गए हैं।पुलिस अब इस पूर्व कर्मचारी के मोबाइल की काल डिटेल भी खंगाल रही है।
सिकंदरा थाने में दी तहरीर
डाक्टर ने संजीव यादव ने बताया कि चौथ मांगने वाले बंदियों के खिलाफ सिकंदरा थाने में भी सोमवार को तहरीर दी गई है। इंस्पेक्टर अरविंद कुमार ने बताया डाक्टर ने तहरीर दी है, कार्रवाई की जा रही है।
बंदियों से सोमवार को पूछताछ की गई, जिसमें रंगदारी मांगने के मामले में कई बातें खुलकर सामने आईं हैं। डाक्टर ने जिस पर फोन करने का आरोप लगाया है उसने नहीं बल्कि दूसरे ने काल की थी, हालांकि आरोपित साथ था। यह भी देखा जा रहा है कि इस मामले में कहीं कोई जेल कर्मी तो लिप्त नहीं।
-पीपी सिंह, जेल अधीक्षक एटा
डाक्टर से चौथ मांगने में बंदियों का नाम सामने आया है। इस पर बंदी अनिल पांडेय को अलीगढ़ जेल और अनिल दुबे को कासगंज जेल में स्थानांतरित किया गया है।
अखिलेश कुमार डीअाइजी जेल