Independence Day 2022: स्वतंत्रता सेनानी प्रेमवती, गोली खाई पर राष्ट्र की राह में नहीं डगमगाईं
Independence Day 2022 स्तंत्रता सेनानी स्व. प्रेमवती की बहादुरी के आज भी होते हैं चर्चे। महात्मा गांधी के आह्वान पर कूदीं थीं स्वतंत्रता आंदोलन में। सोरों में एकत्रित हुए आजादी के मतवालों ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था।
आगरा, जागरण टीम। स्वतंत्रता आंदोलन की चर्चा हो और यहां स्वतंत्रता सेनानी स्व. प्रेमवती गुप्ता का नाम न आए, ऐसा संभव नहीं। ब्रिटिश शासन के खिलाफ आंंदोलन के दौरान प्रेमवती की टोली पर अंग्रेजी पुलिस ने फायरिंग की। उनकी आंख के पास गोली भी लगी, मगर वह डगमगाई नहीं। भारत माता की जय बोलते हुए उन्होंने गिरफ्तारी दी। उन्हें छह माह की सजा भी हुई। वह महात्मा गांधी के आह्वान पर स्वतंत्रता आंदोलन में कूदी थीं।ब्रिटिश सरकार के खिलाफ हुए नमक आंदोलन में कासगंज की प्रेमवती गुप्ता ने जिले भर में अग्रणी भूमिका अदा की। ब्रिटिश सैनिकों की गोली लगने से घायल हुई। छह माह की सजा सुनाई गई लेकिन दिल में उठी आजादी की ज्वाला धधकना कम नहीं हुई। उनका आत्मविश्वास भी सरकार डिगा नहीं पाई।
ब्रिटिश सरकार ने सन् 1930 मे नमक पर टैक्स लगा दिया था। तब महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन का बिगुल फूंका था। पूरे देश में नमक आंदोलन हुआ था। चूंकि कासगंज उस दौरान एटा जिले में था, सो यहां भी आंदोलन की चिंगारी फूटी थी। सोरों में एकत्रित हुए आजादी के मतवालों ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था। ब्रिटिश सरकार ने आंदोलनकारियों पर दमनात्मक कार्रवाई की, मगर सेनानियों के हौसले नहीं टूटे। यहां एक टोली का नेतृत्व कासगंज की रहने वाली प्रेमवती गुप्ता कर रही थीं। अंग्रेजी पुलिस ने उनकी टोली पर फायरिंग कर दी। इस फायरिंग में अन्य सेनानी तो इधर-उधर दौड़कर बच गए, मगर प्रेमवती की आंख के पास गोली लगी। बे घायल हो गईं तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इस दौरान और भी स्वतंत्रता सेनानियों की गिरफ्तारी हुई।
प्रेमवती गुप्ता को अंग्रेजों की अदालत ने छह माह की सजा सुनाई। गोली लगने एवं सजा होने पर स्वजन विचलित हो गए। उनके पति पुरुषोत्तम दास गुप्ता को बच्चों को लेकर घर छोड़ा पड़ा। उन्हें इधर-उधर आश्रय लेना पडा। कुछ दिनों बाद जब हालात सामान्य हुए तो आंदोलनकारियों की सजा भी माफ कर दी गई। प्रेमवती गुप्ता घर लौटीं तब स्वजन ने राहत की सांस ली। नमक आंदोलन में अग्रणी भूमिका अदा करने वाली प्रेमवती गुप्ता को आज भी स्वतंत्रता सेनानियों की श्रेणी में सबसे आगे रखा जाता है। उनका 27 अगस्त 1995 को निधन हो गया। उनके पुत्र अविनाश चंद्र गुप्ता बताते हैं कि इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री रहते उन्हें दिल्ली बुलाया था। भारत सरकार ने उनकी मां के निधन पर राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार कराया था।