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Taxation: खूब लें गिफ्ट लेकिन जरा संभल कर, कहीं हो न जाए मुश्किल

Taxation एक वित्तीय वर्ष में 50 हजार से ज्यादा कीमत होने पर देय होगा कर। स्वजन और शादी में मिला गिफ्ट होगा पूरी तरह से कर-फ्री। किसी वित्त वर्ष में 55 हजार रुपये के गिफ्ट मिलें तो पूरी राशि आपकी आय में जुड़ जाएगी।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 17 Nov 2020 08:22 AM (IST)Updated: Tue, 17 Nov 2020 08:22 AM (IST)
Taxation: खूब लें गिफ्ट लेकिन जरा संभल कर, कहीं हो न जाए मुश्किल
एक वित्तीय वर्ष में 50 हजार से ज्यादा कीमत होने पर देय होगा कर।

आगरा, संदीप शर्मा। दीपावली बीत चुकी है और अब शादियों का सीजन शुरू होने वाला है। ऐसे में बधाइयों के साथ गिफ्ट लेने-देने का भी खूब चलन है, लेकिन इन गिफ्ट को लेते समय भी ध्यान रखें ना जरूरी है कि इनकी कीमत 50 हजार से ज्यादा न हो, नहीं तो आपको नतीजा आयकर चुकाने के रूप में भुगतना पड़ सकता है।

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गिफ्ट में कुछ हटकर देने की सोच आजकल बढ़ी हैं, ऐसे लोग गिफ्ट में नकदी, सोना, आभूषण, हीरे, जमीन, मकान और शेयर आदि भी देने लगे हैं। कारण, इसे निवेश के रूप में भी देखा जाता है। लेकिन यह गिफ्ट लेते सावधानी भी जरूरी है क्योंकि इसकी कीमत 50 हजार रुपए तक होने पर कोई टैक्स नहीं देना होगा, लेकिन कीमत तय राशि से अधिक हो, तो पूरी कीमत पर टैक्स भुगतान करना पड़ सकता है।

आयकर विशेषज्ञ सीए राकेश अग्रवाल का कहना है कि यदि आपको किसी वित्त वर्ष में 55 हजार रुपये के गिफ्ट मिलें, तो पूरी राशि आपकी आय में जुड़ जाएगी। उस पर आयकर की धारा 56 (दो) के तहत आपके आयकर स्लैब के हिसाब से टैक्स की गणना की जाएगी। यह 50 हजार रुपए की सीमा पूरे वित्तीय वर्ष के लिए होगी।

रिश्तेदारी में मिलेगी छूट

आयकर कानून, करीबी स्वजन या परिवार से मिले गिफ्ट को कर से पूरी तरह बाहर रखता है। भले इनकी राशि 50 हजार से अधिक ही क्यों न हो। इसमें पति-पत्नी, भाई-बहन, पति या पत्नी के भाई-बहन, माता-पिता के भाई-बहन या विरासत में मिली संपत्ति, पति या पत्नी के निकटतम पूर्वज या वंशज की ओर से मिला गिफ्ट भी छूट के दायरे से बाहर होगा। आयकर की धारा 10(23सी) के तहत हिंदू अविभाज्य परिवार (एचयूएफ) के किसी सदस्य से मिला तोहफा, पंचायत निगम, जिला बोर्ड से मिला गिफ्ट, शिक्षण संस्थान, अस्पताल व ट्रस्ट की ओर से दिए गए चल-अचल गिफ्ट पर भी टैक्स नहीं लगेगा।

आयकर रिटर्न में बताना जरूरी

सीए पंकज जैन ने बताया कि आयकर रिटर्न दाखिल करते समय करदाताओं को संबंधित वित्त वर्ष में मिले गिफ्ट की जानकारी भी देनी होगी। चल-अचल संपत्ति जैसे जमीन, मकान आदि पर स्टांप शुल्क में से विचाराधीन मूल्य (कंसीडरेशन प्राइस) घटाकर टैक्स गणना होगी। सोने या आभूषण में भी पांच फीसदी विचाराधीन मूल्य हटाकर शेष बाजार राशि पर टैक्स देनदारी बनती है।

इनका भी रखें ध्यान

- शादी में मिला गिफ्ट पूरी तरह टैक्स-फ्री होगा, भले उसकी कीमत कुछ भी हो। लेकिन यह भी ध्यान रखें कि इसके लिए शादी की तिथि से पांच दिन पहले और बाद में मिले तोहफे विचारणीय होंगे।

- जन्मदिन, वर्षगांठ आदि मौकों पर मिले गिफ्ट 50 हजार रुपए से ज्यादा होने पर टैक्स लगेगा।

- कार या अन्य वाहन चल संपत्ति में नहीं आएंगे।

- कंपनी या विभाग की ओर से मिला पांच हजार से ज्यादा का गिफ्ट भी टैक्स के दायरे में आएगा। 


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